Sunday, April 15, 2007

न मांगू सोना, चांदी

हम लोग गोवा में जिस होटेल में रुके थे उसमें हर रात को अलग अलग रेस्तरां पर किसी न किसी थीम पर खाना होता था। एक रात, समुद्र के किनारे, बारबेक्यू चल रहा था, खाना अफ्रीकन थीम पर था। कुछ अफ्रीकन लोग, तरह तरह के करतब दिखा रहे थे और नाच रहे थे। वे होटेल के मेहमानो को भी स्टेज पर नाचने के लिये बुलाने लगे, कई गये। मैं भी नाचने के लिये जाने लगा तो मुन्ने की मां ने हांथ पकड़ लिया,
'क्या करते हो, इस बुढ़ापे में क्या हो रहा है।'
मैंने कहा,
'अमिताभ बच्चन भी तो करता है।'
मुन्ने की मां बोली, '
वह तो पैसे के लिये, पिक्चर में - सपनो की दुनिया में करता है। यह तो असली जिन्दगी है लोग क्या कहेंगे।'
झक्क मार कर बैठ गया।

गोवा में हमारी आखरी रात पर, गोवन थीम पर भोजन था। हम भी गये। पहुंचते ही एक स्वागत ड्रिंक मिली। मैंने पी ली पर मुन्ने की मां ने नहीं ली। लगता तो संतरे का जूस था पर स्वाद कुछ अजीब था। मैंने वेटर से पूछा कि यह क्या है। उसने बताया,
'यह संतरे का जूस है पर इसमें थोड़ी सी काजू फेनी मिली हुई है।'
फेनी गोवा की देसी शराब है। यह दो तरह की होती हैः काजू फेनी और नारियल फेनी। यह उसी तरह की तरह है जैसे उत्तरी भारत में महुऐ से बनी देसी शराब। महुऐ से बनी शराब नीबू और पानी के साथ ली जाती है और फेनी किसी न किसी जूस के साथ ली जाती है। मैं शराब नहीं लेता। वेटर के बताने पर तो धर्म संकट में फंस गया - न तो निकाली जा सके, न पचायी जा सके।

सामने स्टेज पर, एक बैण्ड संगीत सुना रहा था जिसका संचालन समार्ट सी युवती कर रही थी। इसने कोकण के लोकगीत सुनाये, कुछ लोकनृत्य दिखाये। एक लोक गीत के साथ, लोकनृत्य 'टेंपल डांस' (Temple Dance) के नामे से भी दिखाया। इसकी धुन बहुत प्यारी ओर सुनी हुई लगी। मैंने उस युवती से इस गीत लोक नृत्य का महत्व पूछा। इसने बताया,
'कुछ युवतियां शादी में शामिल होना चाहती हैं पर उसके लिये नदी पार करनी है जो कि उफान में है और नाविक उन्हें नहीं ले जा रहा है। वे नाविक को गीत गा कर, नृत्य दिखा कर रिझा रहीं हैं कि उन्हें नदी पार करवा दे।'
मैंने पूछा, यदि इसका यह अर्थ है तो इसे आप टेंपल डांस क्यों कह रहीं हैं। उसने कहा,
'यह नृत्य दिये के साथ किया जाता है इसलिये इसे 'टेंपल डांस' कहा जाता है।'
मैंने उससे कहा कि लोकगीत की धुन बहुत प्यारी है क्या वह इसे बिना कोंकणी गीत के, एक बार फिर से सुनवा सकती है। उसने कहा अवश्य और धुन बजाने के पहले स्टेज से हमें इंगित कर कहा,
'This item is dedicated to the young couple sitting at the left corner'
हमारा मन तो उसका हमें नवजवान जोड़े कहने से ही प्रसन्न हो गया। धुन भी अच्छी तरह से समझ में आयी और यह भी समझ आया कि यह क्यों अच्छी लगी। इसी धुन पर तो बौबी फिल्म का यह गाना है,
न मांगू सोना चांदी,
न चांहू हीरा मोती
देती है दिल दे, बदले में दिल दे
प्यार में सौदा नहीं
है, है....
रात बहुत हो चली थी अगले दिन वापस चलना था। हम लोग वापस समुद्र के किनारे, किनारे अपने कमरे के लिये चल दिये।

बॉबी फिल्म का गीत 'न मांगू सोना चांदी' सुनिये।



10 comments:

  1. Bin Photu sab soon :)

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  2. मिश्र जी ने सही कहा, बिन फोटो सब सून, आप आपनी फोटो नहीं छाप सकते है वह मैं समझ सकता हूं लेकिन बाकी फोटो तो छप ही सकते ह। नई सीरिज की भूमिका बहुत ही बढिया है, इंतजार रहेगा। क्या ये आवाज की है, या वकास मीर साहब की?

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  3. Anonymous2:55 am

    आपकी सीरिज लगता है काफी जबरदस्त होने वाली है, आपकी आवाज में बहुत दम है वो आपकी ही आवाज है ना। गोवा में लगता है काफी मजे किये गये लेकिन बिन फोटो सब झूठ ;)

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  4. अरे भाई, आवाज में तो जबर्दस्त दम है...वाह वाह, गजब बोला है भाई!! हम तो खो गये. :)
    हमारी भी एकाध कविता पढ़कर दे दिजिये न, अपनी आवाज में :)

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  5. इस कड़ी से संबन्धित कोई फोटू नहीं खींच पाया बस इसलिये ही नहीं पोस्ट कर पाया।
    काश यह अवाज मेरी होती पर यह है नहीं। यह एक विज़िट है जो कि मेरी आने वाली सिरीस के लिये उचित है। मैंने इसे उस सिरीस की भूमिका के लिये मैंने लगाया है। यह मैंने widgetbox.com से लिया है।

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  6. महाराज! आया तो था आप का सोना चांदी पढ़ने मगर आप तो लगे कविता सुनाने । मतलब पकड़ पकड़ कर कविता सुनाने वाली कवियों के बारे में जो अफ़वाहें थी वो अफ़वाहें नहीं थी । हद कर दी है आपने । कुछ कीजिये इसका वरना आपका नया कुछ भी लिखना बेकार है व्यर्थ है । अपनी पोस्ट के शुरु में आपकी बीबी कह रही हैं कि आप बूढ़े हैं । उसके बाद आपकी कविता चालू हो गई । फिर कुछ नहीं पढ़ सका । छोटे बच्चे नहीं करते- आप बैठे अखबार पढ़ रहे हैं वो आप को लगते हैं अपनी कहानी सुनाने । न आपसे कहानी सुनी जाती है न अखबार पढ़ा जाता है । थोड़ा रहम कीजिये आने वाले लोगों पर । इस कविता पाठ का अलग से लिंक दीजिये । और मेरी बात का बुरा मान कर मुँह भी फुला लीजियेगा । इसी को कहते हैं जबरा मारे भी औ रोयें ना दे ।

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  7. Anonymous4:00 pm

    आपने तो मुझे गोआ में बिताए गए उन चार वर्षों की पुनः याद दिला दी जो मेरे स्मृतिकोष की अमूल्य धरोहर हैं .

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  8. ब्रह्मराक्षस जी
    मैंने न तो आपकी बात का बुरा माना, न ही मुँह फुलाया। मैं तो आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मेरे चिट्ठे की कमी को बताया।
    यह कविता या शायरी, न तो मेरी है न ही वह आवाज मेरी है। यह तो एक विज़ट है जो मैंने कुछ दिन तक, अपने आने वाली सिरीस 'हमने जानी है जमाने में रमती खुशबू' के लिये लोड कर रखी है। उस सिरीस के समाप्त होते ही यह हट जायगी। इस विज़ट में इस आवाज़ को बन्द करने का बटन है और इस बटन पर चटका लगा कर आसानी से बन्द किया जा सकता है। मैं यही समझता था कि अन्तरजाल पर जाने वाला इस बात को समझता होगा या फिर आसानी से समझ लेगा और यदि इसे नहीं सुनना चाहता है तो वह स्वयं बन्द कर लेगा। आपकी टिप्पणी से लगता है कि मेरी समझ गलत थी और कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो यह न समझ पायें। अब मैंने यह स्पष्ट तरीके से लिख दिया है। अब आपको यह तकलीफ न होगी। आपको कष्ट हुआ इसके लिये माफी चाहता हूं।
    आप न केवल मेरे चिट्ठे पर आये, पर मेरे चिट्ठे पर कमी बतायी और टिप्पणी भी की, इसलिये धन्यवाद। कृपया आगे भी इसी प्रकार आकर कमियां बताते रहियेगा।

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  9. धन्यवाद उन्मुक्त जी, आपके बताये तरीके अनुसार मैने कविता पाठ बंद किया और फिर आराम से आपकी पोस्ट पढ़ सका । सही है। मजे करें गोवा में । दुबारा धन्यवाद आपने मेरी गुस्ताखी का बुरा नहीं माना ।

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  10. ब्रह्मराक्षस जी
    आपकी टिप्पणी से मुझे अपने पाठकों के बारे में बेहतर जानकारी मिली और एक हमें आसान लगने वाली बात, अक्सर किसी और को मुश्किल लगती है चिट्ठी, पोस्ट करने की प्रेणना भी मिली।
    आपको भी धन्यवाद।

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आपके विचारों का स्वागत है।