Saturday, May 26, 2007

रोमन हॉलीडे - पत्रकारिता

इस विषय की पिछली चिट्ठी पर, मैंने अपनी मां के बारे में कुछ और बताने का वायदा किया था पर मुझे लगा कि मैं इस बार बचपन में देखी एक अंग्रेजी फिल्म के बारे में बात करूं जो इस समय प्रसांगिक है। मां की बात, आपातकाल की बात, फिर आगे।

पिछले कुछ महीने, हिन्दी चिट्टाजगत में पत्रकार छाये रहे। यह फिल्म भी एक पत्रकार और एक राजकुमारी की प्रेम कहानी है जिसने रुमानी फिल्मों में नये आयाम स्थापित किये। यह पत्रकारिता की मर्यादाओं को, एक
नये रिश्ते में बांधती है। यह फिल्म उन कलाकारो के द्वारा अभनीत की गयी जो कि अंग्रेजी फिल्मों में बेहतरीन कलाकार हो कर ऊभरे। इन्होने अपने वास्तविक जीवन में भी मित्रता, सम्मान का एक अनोखा रिश्ता कायम किया। जी हां, मैं बात कर रहा हूं ऑड्री हेपबर्न और ग्रेगरी पेक की और फिल्म है - 'रोमन हॉलीडे'।

कहा जाता है कि यह फिल्म, राजकुमारी मार्ग्रेट के रोम यात्रा से ली गयी घटनाओं पर आधारित कहानी है। इस कहानी में राजकुमारी 'ऎन' रोम जाती है। उसे वहाँ अपने देश के प्रतिनिधि की तरह बर्ताव करना है। वहाँ वह अपने देश के राजदूत के साथ टिकती है। उसे राजकुमारी की तरह बर्ताव करना बहुत मुश्किल लगता है वह इस तरह के जीवन से ऊब चुकी है और साधारण व्यक्ति की तरह जीना चाहती है। इस कारण, वह उन्मादी (hysterial) हो जाती है तो डाक्टर उसे नींद का इंजेक्शन लगा देता है। इसके पहले वह इंजेक्शन कारगर हो, वह खिड़की से निकल कर भाग जाती है। सड़क पर, उसकी मुलाकात एक अमेरिकी पत्रकार 'जो' से होती है। राजकुमारी, इंजेक्शन के कारण, रास्ते में ही सोने लगती है। इस पर पत्रकार,
राजकुमारी को अपने घर ले जाता है।

अगले दिन उस राजकुमारी ऎन को पत्रकार सम्मेलन में भाग लेना था जिसमें इस पत्रकार को भी जाना था। उसमें जाने के लिये जब वह दफ्तर पहुँचता है तो उसका सम्पादक बताता है कि राजकुमारी की बीमारी के कारण पत्रकार सम्मेलन स्थगित कर दिया गया है। सम्पादक, पत्रकार को राजकुमारी का चित्र दिखाता है तब उसे पता चलता है कि राजकुमारी वही लड़की है जो उसके घर में है। वह सम्पादक से पूछता है कि यदि वह राजकुमारी की कुछ खास चित्र उसे दे दे तो उसे क्या मिलेगा। संपादक उसे बहुत पैसा देने की बात कहता है। वह वापस अपने घर आता है और अपने एक मित्र को लेकर राजकुमारी के साथ घूमने जाता है। वे लोग साधारण व्यक्ति की तरह सैर सपाटा करते हैं, मज़ा आता है।

पत्रकार के मित्र के पास एक लाइटर है जो कि एक कैमरा है। उससे वह राजकुमारी की फोटो लेता रहता है। वे लोग रात को समुद्र तट पर पार्टी में जाते है। जहां पर राजकुमारी के देश की खुफिया पुलिस, जो उसे ढूढ़ रही होती है, पहचान लेती है और उसे वापस ले जाना चाहती है। पत्रकार और राजकुमारी वहां से भाग जाते हैं। जब राजकुमारी वापस लौट रही होती है तो उसे लगता है कि उसका अपने देश के प्रति भी कर्तव्य है और उसे वापस जाना चाहिए। वह वापस चली जाती है।

अगले दिन, राजकुमारी पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करती है जिसमें वह उनके जवाब भी देती है। यह
अमेरिकी पत्रकार और उसका मित्र भी उस प्रेस कान्फ्रेंस में होते हैं। उसका मित्र, राजकुमारी का चित्र, उसी लाइटर से लेता है तब राजकुमारी को पता चलता है कि यह लोग पिछले दिन भी उसकी फोटो ले रहे थे। राजकुमारी ऎन से सवाल पूछा जाता है कि वह देशों की दोस्ती के बारे में क्या सोचती है। राजकुमारी जवाब देती है,
'मेरा उस पर उतना ही विश्वास है जितना विश्वास मुझे दो व्यक्तियों के संबंध में है।'
इस पर अमेरिकी पत्रकार कहता है,
'राजकुमारी आपका विश्वास गलत साबित नहीं होगा।'
राजकुमारी कहती है कि उसे यह सुनकर प्रसन्नता हुई।

जब वह पत्रकार सम्मेलन समाप्त होता है तो राजकुमारी सबसे हाथ मिलाती है। अमेरिकी पत्रकार राजकुमारी को एक खास तोहफ़ा देता है जिसमें उनके द्वारा खींचे हुये सारे चित्र और निगेटिव रहते है । इसे राजकुमारी मुस्कराहट के साथ स्वीकार करती है और धीरे-धीरे वहां चली
जाती है जहां से शायद यह लोग फिर कभी नहीं मिल पाये।

इस पिक्चर में मुख्य भूमिका ऑड्री हेपबर्न और ग्रेगरी पेक ने निभायी है और इसका निर्देशन वाइलर ने किया है। यह आड्री हेपबर्न की पहली अमेरिकन पिक्चर थी और उन्हें इस पिक्चर में सबसे अच्छे कलाकार ऑस्कर पुरस्कार भी मिला। यह एक प्रेम कहानी है जो कि रिश्तों के बीच आदर और सम्मान की सीमा भी बताती है। यह अच्छी फिल्म है और सपरिवार देखने योग्य है।

मैं नहीं जानता कि यह वास्तविक जीवन में होता है कि नहीं। यह तो एक फिल्म थी पर मेरे विचार में यह पत्रकारिता की मर्यादा को ठीक तरह से परिभाषित करती है। पत्रकारिता का यही अर्थ होना चाहिए।


चित्रों को बड़े रूप में देखने के लिये उन पर चटका लगायें

भूमिका।। Our sweetest songs are those that tell of saddest thought।। कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पल छिन।। Love means not ever having to say you're sorry ।। अम्मां - बचपन की यादों में।। रोमन हॉलीडे - पत्रकारिता।। यहां सेक्स पर बात करना वर्जित है।। जो करना है वह अपने बल बूते पर करो।। करो वही, जिस पर विश्वास हो।। अम्मां - अन्तिम समय पर।। अनएन्डिंग लव।। प्रेम तो है बस विश्वास, इसे बांध कर रिशतों की दुहाई न दो।। निष्कर्षः प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।। जीना इसी का नाम है।।

3 comments:

  1. जब समीक्षा इतनी सुन्दर है तो फिल्म तो निसंदेह अच्छी होगी ही.
    सुना हुआ तो था, अब मौका मिलते ही देख भी लेंगे.

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  2. बढ़िया लगा ,पूरा पिक्चर का मजा आ गया।

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  3. सुन्दर आलेख। ये बिना ड्राईवर की कार पर रिपोर्ताज़ देने का युग है साहब आप कहाँ इतनी उम्मीदें लगा बैठें हैं इनसे। पर हाँ रवीश जैसे कुछ पत्रकारों को देखकर, उनके लेखन से उनको जानकर ये आस तो बंधती है कि ये लोग नैया को डूबने न देंगे।

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