Sunday, June 29, 2008

गैंगटॉक कैसे पहुंचें

सिक्किम यात्रा की इस चिट्ठी में, गैंगटॉक पहुंचने के तरीके बताये गये हैं।

गैगंटॉक सिक्किम की राजधानी है। यहां पहुंचने के दो तरीके है।
  • हवाई जहाज से बागडोगरा फिर कार या हेलीकाप्टर से गैंगटॉक
  • रेल से जलपाईगुड़ी तक फिर कार से गैंगटॉक

हरा-भरा सिक्किम

हम लोग बागडोगरा तक इण्डियन एयरलाइंस के हवाई जहाज से आये। परिचारिकायें, जबान -तोड़ अंग्रेजी में बात कर रही थीं। हवाई जहाज में चढ़ते समय उन्होनें हाथ,मुँह साफ करने के लिए रूमाल तो दिया पर टॉफी नही दी। मैनें पूछा कि टॉफियां कहाँ है। उसने उत्तर दिया प्रबंध समिति ने यह न बाटनें का निर्णय लिया है। मेरे विचार से यह निर्णय ठीक नही है। इसमें ज्यादा पैसा खर्च नही होता पर लोग इससे प्रसन्न रहते है। हम लोग ज्यादा टाफियां जेब में रख लेते थे और बाद में आराम से खाते रहते थे। लगता है कि यह अब नही हो सकेगा, इसके लिए किसी दूसरी एयर लाइन्स से उड़ान भरनी पड़ेगी।

नदियों और झरनों से भरपूर - सिक्किम

परिचारिकायें नीली और नारंगी रंग साड़ियां पहने थी। मैने पूछा कि क्या कोई नियम है कि कौन किस रंग की साड़ी पहनेगा। उसने बताया कि कोई नियम नही है पर उन्हें उन दो में किसी एक रंग की साड़ी पहनना होता है। जिसे जो रंग पसंद है वह उस रंग की साड़ी पहन सकती है।

बागडोगरा एयर पोर्ट से गैगंटॉक लगभग १२५ किलोमीटर है पर पहाड़ी रास्ते के कारण लगभग ४ घण्टें लगते है। हम लोगों ने बागडोगरा हवाई अड्डे से गैगंटॉक के लिये टैक्सी पकड़ी। हमारा टैक्सी ड्राइवर मजेदार व्यक्ति था। वह रास्ते भर बात करता रहा।

इस श्रंखला की अगली कड़ी में - रास्ते और टिस्ता नदी पर बन रहे डैम की बातें।

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी पर डैम बने अथवा नहीं।।

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(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.) यह ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।

is post per bataaya gayaa hai ki sikkim-Gangtok kaise phunche. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post explains as how to reach Gangtok-Sikkim. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
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Friday, June 27, 2008

बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां श्रंखला कि इस चिट्ठी में चर्चा है कि क्या बेथलेहम का तारा ग्रहों के पास पास रहने के कारण ज्यादा चमकीला हो कर दिखायी पड़ा था।

तारों और ग्रहों में अन्तर है। तारे अपनी रोशनी से चमकते हैं और ग्रह तारों की रोशनी परिवर्तित कर चमकते हैं। मंगल, बुद्घ, चन्द्रमा एवं ब्रहस्पति हमें आकाश में दिखायी देते हैं यह रोशनी उनकी नहीं है। वे सूर्य की रोशनी परिवर्तित कर रहे हैं। सारे तारे, अपने आप में सूर्य हैं। वे दिन और रात हर समय चमकते रहते हैं पर वे हमसे इतने दूर हैं कि हमारे पास रोशनी आते-आते वह बहुत धीमी हो जाती है। इसलिये दिन में सूरज की तेज रोशनी के कारण दिखायी नहीं पड़ते हैं। इसलिये वे सूर्य ग्रहण के समय, जब सूरज की रोशनी कम हो जाती है तब दिखाई पड़ने लगते हैं।


सूरज, ब्रहस्पति, शनि, यूरेनस, और वरुण (Neptune) - आकार के अनुसार


बुद्ध, शुक्र, पृथ्वी, और मंगल - आकार के अनुसार
यह दोनो चित्र विकिपीडिया से, और उसी के शर्तों के अन्दर है

कभी-कभी ग्रह भी पास-पास आ जाते हैं जिसके कारण वे अधिक चमकीले हो जाते हैं। क्या बेथलेहम का तारा, किन्हीं दो ग्रहों के पास आने के कारण हो गया था। यदि हम कंप्यूटर की मदद से देखें तो उस समय ग्रहों की स्थिति के बारे में यह पता चलता है:
  • १७ जून २ ईसा पूर्व (BC) बुद्घ और वृहस्पति पास- पास थे,
  • १२ जून ३ ईसा पूर्व (BC) में बुद्घ और शनि पास-पास थे;
  • १२ अगस्त ३ ईसा पूर्व (BC) में बुद्घ और वृहस्पति पास- पास थे।

यह हो सकता है कि बेथलेहम का तारा इन ग्रहों के पास पास रहने के कारण रहा हो पर ऎसा कुछ ही दिनो के लिए होता है। राजाओं को पहुंचने में महीने लगे होंगे, मेरे विचार से यह संभव नहीं है। बेथलेहम का तारा का तारा कुछ और ही रहा होगा। क्या वह किसी खास तरह का तारा था?

इस चिट्ठी में हम लोगों ने तारों और सूर्य ग्रहण की चर्चा की है। इसके पहले हम चर्चा करें कि क्या बेथलेहम का तारा किसी तरह का तारा था, कुछ चर्चा उन कहानियां कि जिसमें इस वैज्ञानिक तथ्य का सहारा लिया गया है कि ग्रहण के बारे में पहले से ही भविष्यवाणी की जा सकती है। इसी के साथ चर्चा करेंगे सूर्य ग्रहण पर आधारित सबसे प्रसिद्ध विज्ञान कहानी की - यह सब इस श्रंखला की अगली कड़ी में।


बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां।। बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे।।

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  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

is post per charchaa hai kyaa bethlehem ka tara grahon ke paas paas rhne ke karan tha. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about whether star of Bethlehem could be because of conjunction of planets. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
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Monday, June 23, 2008

यदि भगवान साहूकार होता: किताबी कोना

इस चिट्ठी में 'यदि भगवान साहूकार होता' (If God was a Banker by Ravi Subramamaniam) नामक पुस्तक की समीक्षा है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,

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  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। डाउनलोड करने के लिये पेज पर पहुंच कर जहां Download फिर अंग्रेजी में फाइल का नाम लिखा है, वहां चटका लगायें।

रवि सुब्रमनियम (Ravi Subramamaniam) ने १९९३ में आई.आई.एम. बैगंलोर (IIM Bangalore) से एम.बी.ए.डिग्री प्राप्त की। 'यदि भगवान साहूकार होता' (If God was a banker), उनकी पहली पुस्तक है।

रवि सुब्रमनियम स्वयं विदेशी बैंक में सेवारत हैं और यह कहानी भी दो नवयुवकों की है जो कि न्यूयार्क अन्तराष्ट्रीय बैंक में काम करते हैं। यह कहानी उस समय की है जब बहुराष्ट्रीय बैंक भारत में पर्दापण कर रहे थे।

संदीप श्रीवास्तव ने आई.आई.एम. बैगंलोर से और स्वामीनाथन ने आई.आई. एम. अहमदाबाद से १९८६ से डिग्री लेकर, बैंक में काम करना शुरू किया। यह दोनो पढ़ाई में बहुत अच्छे थे पर दोनो का व्यक्ततित्व, पारिवारिक पृष्ठभूमि एकदम फर्क। संदीप जहाँ अक्रामक, अतिविश्वसनीय, और सफलता को हर हाल में पहुंचने के लिए आतुर। वहीं स्वामीनाथन अन्तर्मुखी, सोच विचार कर, सिद्वान्तों के अन्दर काम करने वाला है। दोनो सफलता के शिखर पर पहुंचतें हैं पर अंत में क्या होता है, यह उसी की कहानी है।

संदीप जो हर हालत पर सफल होना चाहता है पर उसे हालात ही पकड़ लेते है । यह एक दिन की कहानी है जब संदीप को, अपने बैंक के सी.ई.ओ. से मिलना है और उसे मालूम है कि आज के बाद वह बैंक में काम नही कर पायेगा। वह उस दिन सुबह से, मीटिंग के तक, अपनी और स्वामीनाथन की जिन्दगी के बारे में सोचता है।

कल्पना, संदीप की सहपाठिन थी। संदीप उससे प्रेम करता था पर वह स्वामीनाथन से शादी कर लेती है। नताशा संदीप की पत्नी है और उससे बेहद प्रेम करती है। संदीप उस दिन इन सारे लम्हों को जीता है, सोचता है उसने ठीक नहीं किया। उसके मन में यह सवाल भी घुमड़ता रहता है कि क्या वह उसका परिवार इस सदमें से उबर सकेगा? यह कहानी उसी के इर्द गिर्द घूमती रहती है।

यह कहानी है बड़ी कम्पानियों में महिला शोषण की; यह कहानी है कि काम को सिद्व करने में सेक्स का किस प्रकार से प्रयोग किया जाता है। इस कहानी का सार है
'यदि लक्ष्य महत्वपूर्ण है तो उसे पाने की सीढ़ी उससे अधिक महत्वपूर्ण।'
यह बात न केवल महात्मा गांधी ने बतायी पर इसे अपने जीवन में अमल भी किया।

इस कहानी में प्रवाह है, तेज चलती है और अंत तक बांधे रहती है। एक बार उसे पढना शुरू करें तो छोडने का मन नही करता। इसमें हिन्दी फिल्मों का मसाला है । मुझे कोई ताज्जुब नही होगा कि यदि आने वाले समय मे यह उत्तम विक्रेता सूची की ऊँचाई पर पहुंच जाये और जल्द ही इस पर कोई फिल्म बने।

आप सोचते होगें कि इसका नाम 'यदि भगवान साहूकार होता (If God was a banker) क्यों रखा गया।

हर जगह कुछ खराब लोग हैं तो कुछ अच्छे। अच्छे लोग ही भगवान है। इस कहानी में कौन है वह बेहतरीन शख़सियत – यह तो आप कहानी पढ़ कर ही जान सकते हैं।


किताबी कोना
पढ़ें और सुने
  • स्कॉट की आखिरी यात्रा - उसी की डायरी से: पढ़ें, सुने
  • माइक्रोब हंटरस् - जीवाणु के शिकारी: पढ़ें, सुने
  • डबल हेलिक्स – जनन उत्पत्ति निर्देश रहस्य का पर्दाफाश: पढ़ें, सुने
  • फैंटास्टिक वॉयेज - अद्भुत यात्रा: पढ़ें, सुने
  • If God was a Banker - यदि भगवान साहूकार होता: पढ़ें, सुने

केवल पढ़ें

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yah post 'If the God was a Banker' naamak pustak kee smeekshaa hai. yah hindee {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is review of the book 'If God was a Banker'. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

Saturday, June 21, 2008

सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर

यह चिट्ठी मेरी सिक्किम यात्रा कड़ी है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

यह तो आपको मालुम चल ही गया है कि हम सिक्किम घूमने गये थे। यह राज्य भारत के उत्तर पूर्व में है और हमारे साथ १९७५ में जुड़ा।

सिक्किम भारत का दूसरा सबसे छोटा प्रदेश है। गोवा (Goa) इससे छोटा प्रदेश है सिक्किम क्षेत्रफल ७ हजार वर्ग किलोमीटर है। इसकी जनसंख्या सारे राज्यों से कम केवल ५,४०,००० है। इसके पश्चिम में नेपाल है उत्तर में तिब्बत, पूरब में भूटान, और दक्षिण में पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग जिला है। सिक्किम में चार जिले हैं - उत्तर, पूरव, दक्षिण, और पश्चिम।

सिक्किम घूमते समय, हमें पर्यटन विभाग के द्वारा जगह, जगह पर सिक्किम के बारे में कुछ जुमले लिखे दिखे। कहीं लिखा हुआ था - 'छोटा और सुन्दर' (Small & beautiful) तो कहीं लिखा हुआ था 'छोटा मगर सुन्दर' (Small but beautiful), इन दोनो में मुझे तो 'छोटा मगर सुन्दर' जुमला ज्यादा भाया।

सिक्किम पहाडियों और पेड़ों से हरा भरा सुंदर जगह है। यहां अलग अलग सभ्यता और संस्कृति के लोग रहते हैं - डजोंगु (Dzongu), भूटिया (Bhutia), और नेपाली।

यहां पर हम लोगों ने सिक्किम के ऊपर एक पॉकेट गाइड ली। यह गाइड माइलस्टोंस (Millstones) के द्वारा प्रकाशित है। यह सिक्किम के बारे में अच्छी सूचना देती है। आप कभी सिक्किम जाने की सोचें तो इस पुस्तक को पढ़ लें। हालांकि इसमे बताई गई हर जगह में देखने के लिए न तो समय है और शायद न ही जरूरत।

इस श्रंखला की अगली कड़ी में गैगटॉक कैसे पहुंचें।

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।।

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बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

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This post is of my Sikkim trip and contains some information about Sikkim. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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Monday, June 16, 2008

पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां श्रंखला कि इस चिट्ठी में धूमकेतु पुच्छल तारों पर लिखी गयी विज्ञान कहानियों की चर्चा है।

पुच्छल तारा/ धूमकेतु पर सबसे पहली कहानी जुले वर्न ने १८७७ में लिखी। इस पुस्तक का नाम है - 'धूमकेतु पर' (Off on a Comet; ऑफ ऑन ए कॉमेट) (इस कहनी को यहां पढ़ें)। इस कहानी में धूमकेतु पृथ्वी के पास से गुजरता है जिसमें लोग फंस जाते हैं। यह धूमकेतु २ साल बाद, सूरज का चक्कर लगा कर पृथ्वी के पास से गुजरता है तभी वे लोग पृथ्वी पर वापस आ पाते हैं।

जयंत नार्लीकर (Jayant Narlikar) जाने माने भारतीय खगोलशास्त्री हैं। उन्होंने, अपनी उच्च शिक्षा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की है। उन्होंने भी अंग्रेजी मराठी, और हिन्दी में विज्ञान कहानियां लिखी हैं। उनकी एक विज्ञान कहानियों की पुस्तक 'धूमकेतु' नाम से है। इस राजपाल एण्ड सन्स कश्मीरी गेट दिल्ली - ११०००४ ने छापा है। इसमे उनकी नौ विज्ञान कहानियों का संग्रह है। यह कहानियां पहले मराठी में लिखी गयी थीं और उसके बाद उनका हिन्दी में अनुवाद किया गया है। इसकी पहली कहानी का नाम धूमकेतु है।

यह कहानी कलकत्ता की इंद्राणी देवी और उनके पति दत्त बाबू की कहानी है। दत्त बाबू एक नया धूमकेतु ढूंढ़ते हैं पर उनकी गणना बताती है कि यह पृथ्वी से टकराने वाला है। इंद्राणी देवी और उनके पति दत्त बाबू किस तरह से अलग अलग तरीके से इसके बचाव का तरीका निकालते हैं। यही इसकी कहानी है।

यह तो, मैं बताने से रहा कि इंद्राणी देवी और दत्त बाबू ने धूमकेतु से बचने के लिये क्या तरीकों को अपनाया। क्योंकि कहानी ही सही, वह भी मेरे द्वारा नहीं पर जयंत नार्लीकर के द्वारा लिखी, फिर भी मैं 'ज्यादा पढ़ने के खतरे(?)!' के बाद 'उच्च-मध्य वर्ग की अभद्र रुक्षता' के कारण 'केमोफ्लाज़्ड पतनशीलता' में नहीं डूबना चाहता हूं :-) (ज्ञान जी और प्रत्यक्षा जी से क्षमा याचना सहित)

वैसे, इस पुस्तक की सारी कहानियां बेहतरीन हैं और विज्ञान के किसी न किसी विषय को छूती हैं। आप ,अपने मुन्ने और मुन्नी को इसे अवश्य पढ़ने को दें। यदि आप को विज्ञान में जरा सी भी रुचि है और यह पुस्तक नहीं पढ़ी है तो अवश्य पढ़ें।

वीनस (Venus) सुन्दरता की देवी हैं। शुक्र ग्रह को अंग्रेजी में वीनस इसलिये कहा जाता है कि वह सबसे चमकीला और सुन्दर दिखता है - ऐसे नरक यदि कहीं है तो वह वहीं। मुझे तो ग्रहों में सबसे चमकीला ब्रहस्पति (Jupiter) ग्रह लगता है। यह ग्रहों में सबसे बड़ा है और इसमें सूर्य बनने की क्षमता है। आर्थर सी कलार्क (Arthur C Clark) इसी बात का उपयोग अपनी कहानी २००१ स्पेस ऑडेसी (2001: Space Odyssey) और इस श्रंखला के बाद की पुस्तकों में किया है। मंगल (Mars) ग्रह कुछ लाल रंग लिये और आकाश में दिखाये देता है। कभी कभी ग्रह भी पास पास आ जाते हैं जिससे ज्यादा चमकीले हो जाते हैं। क्या बेथलेहम का तारा कहीं ग्रहों के पास आ जाने के कारण तो नहीं था। चलिये, इसकी चर्चा करेंगे इस श्रंखला की अगली कड़ी में।

मिल गया, मिल गया।
'अरे उन्मुक्त जी, यह एकदम से क्या हो गया? आप क्यों आर्कमडीस की तरह यूरेका युरेका बोलने लगे।'
श्रंखला 'अन्तरजाल की मायानगरी में' और 'वियाना यात्रा' समाप्त हो चुकी है। हांलाकि मैंने 'सिक्किम यात्रा' शुरू की है पर कुछ पाठकों के अनुसार,
'मेरे विचार में एक से ज़्यादा श्रंखला चले तो ही बेहतर होता है, एक तो विभिन्नता आती है और दूसरे क्या पता किसी को उस एक विषय में रूचि ही न हो फ़िर तो उसे आपके अगले श्रंखला का इंतज़ार ही करना पड़ेगा।'
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कौन सी नयी श्रंखला शुरू करूं।

इस चिट्ठी में लिखी कुछ सामग्री जानने के लिये, कुछ चिट्ठाकारों से ईमेल का आदान प्रदान हुआ। कुछ जानना चाहते थे कि मैं यह क्यों पूछ रहा हूं। मेरे कहने पर कि मैं एक विज्ञान कहानी में वर्णित महिला के बारे में लिखना चाहता हूं तो उनका कहना था,
'आजकल अक्सर विज्ञान कहानियों में मुख्य पात्र महिलायें होती हैं, जो कि सशक्त हैं और पुरुषों से किसी भी माने में कम नहीं। फिर आप इस ... महिला की ही क्यों बात कर रहे हैं।'
यह सच है। बस इसी से, मुझे एक नयी श्रंखला शुरू करने का विचार मिल गया 'महिला और विज्ञान कहानियां' या शायद 'विज्ञान कहानियों में महिलायें' बेहतर शीर्षक हो। चलिये जब तक मैं इसे लिखना शुरू करता हूं तब तक आप यह विडियो देखिये जिसमें पुच्छल तारा, छुद्र ग्रह, उल्का क्या होते हैं आसान तरीके समझाया गया है।





बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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This post talks about science fiction written on comets. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


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Thursday, June 12, 2008

लीसा, अपने मन की बात सुनो: ई-पाती

लीसा से मेरी मुलाकात वियाना में कॉन्वेंट में हुई थी। मैंने उसकी आप सब से मुलाकात, अपनी चिट्ठी 'एक प्यारी सी लड़की - लीसा' पर करवायी थी और वायदा किया था कि उसके और मेरे बीच बीच ई-मेल की चर्चा करूंगा। यह चिट्ठी उसमें से एक है।

Sunday, June 08, 2008

क्या आप इस शख्स को जानते हैं?

यह चिट्ठी मेरी सिक्किम यात्रा की पहली कड़ी है। इसमें एक ऐसी घटना का जिक्र है जो हमारे देश में अक्सर होती है और जो मुझे दुखी करती है। यह ऐसी नहीं है जो दूर न जा सकती है । दुख इस बात का होता है कि अक्सर यह पढ़े लिखे, संपन्न घराने के लोग भी करते हैं। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।


'उन्मुक्त जी यह चित्र तो एकदम स्पष्ट नहीं है इन्हें कैसे पहचाना जा सकता है।'

मैं जानबूझ कर इनका स्पष्ट चित्र नहीं लिया। ऐसा मैंने क्यों किया यह मैं आपको इस चिट्ठी के अन्त होते पता चलेगा।

मैं इस शख्स को नहीं जानता हूं पर मैं इनके बारे में कुछ और जानकारी देना चाहूंगा शायद यह आपके जान पहचान वाले हों या आप स्वयं हों और इस चिट्ठी को पढ़ रहे हों।

यह महोदय मई २००८ के अन्त में सिक्किम घूमने गये थे। यह ३० मई को, मारुति वैन से यूथांग घाटी से वापस, गैंगटॉक की तरफ जा रहे थे। दोपहर २:३५ बजे तुंग (Toong) के पास सड़क पर पत्थर गिर गये थे इसलिये सड़क जाम हो गयी थी। दोनो तरफ गाड़ियों फंस गयी थीं जिसमें पर्यटक थे। इन पर्यटकों में अधिकतर लोग बच्चे, बच्चियां, एवं महिलायें भी थीं। इसमें इनकी मारुति वैन (या शायद बोलेरो) और हमारी गाड़ी भी फंस गयी थी। इनकी और हमारी गाड़ी के बीच पांच गाड़ियां थीं जिसमें केवल विदेशी पर्यटक थे।

'उन्मुक्त जी, इन्होंने क्या कर दिया कि आप इनके बारे में चिट्ठी लिखने बैठ गये।'

इन्होंने जो किया वह तो प्राकृतिक था पर जिस तरह से किया वह अशोभनीय था। सड़क साफ होने में समय लगा। बहुत से लोग पहाड़ पर झाड़ियो, पेड़ों और पत्थरों के पीछे चले गये पर यह महानुभाव सबके सामने सबकी नजर में चालू हो गये। इन्होंने अपने साथ की महिलाओं की तरफ पीट कर ली पर बाकी सारी जनता, जिसमें अनेक विदेशी महिलायें थीं
हम सब के सामने खुले रूप से .. कुछ लोगों ने हार्न बजाया। एक व्यक्ति ने इन पर एक कंकड़ फेंक इनका ध्यान खींचना चाहा पर इन पर कोई असर नहीं।

यह चित्र पोस्ट करने के लिये आप मुझे माफ करेंगे। मैंने कई बार सोचा कि इस चित्र को पोस्ट करूं या न करूं। लगा कि यदि पोस्ट नहीं करता हूं तो बात अधूरी रह जायगी। यह महाशय जिस गाड़ में चल रहे थे वह इनके पीछे है। बगल की महिला इनके साथ की है।

यह घटना शिष्टाचार से जुड़ी है। इस संदर्भ में, मैं आपको तीन साल पहले कोरिया में घटी एक घटना के बारे में बताना चाहूंगा जो कि शिष्टाचार से जुड़ी है।

जून २००५ में कोरिया में एक २० साल की लड़की कुत्ते को लेकर ट्रेन में जा रही थी। उसके कुत्ते ने ट्रेन में गन्दगी कर दी लोगों ने उसे साफ करने को कहा तो उसने मना कर दिया। एक अन्य व्यक्ति ने कैमरे से उसका चित्र खींच लिया और उसे अन्तरजाल पर डाल दिया।

यह कोरियन लड़की, बहुत जल्द ही gae-ttong-nyue (dog-shit-girl) (कुत्ता-गन्दगी-लड़की) के नाम से जानी जाने लगी। लोग उसे पहचानने लगे और उसके बारे में सूचना देने लगे। अन्ततः उसे विश्वविद्यालय छोड़ना पड़ा और सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी। इस बारे में आप विकिपीडिया में विस्तार से पढ़ सकते हैं जहां पर इसके बारे में चिट्ठों पर जो भी लिखा गया है या जो भी चित्र हैं या जो कुछ बहस का विषय है उसकी लिंक दी गयी है।

हमारे देश में सार्वजनिक मूत्रालय/ शौचालय कम हैं। यदि,
  • आपको मूत्रालय/ शौचालय जाने की जरूरत पड़ जाय तो सबके सामने न शुरू हो जांय - कुछ ओट, या फिर एकान्त जगह पर चले जांय।
  • आप नगर, विकास या पर्यटन विभाग से संबन्ध रखते हैं तो सार्वजनिक मूत्रालय/ शौचालय बनावायें। हो सके तो सुलभ शौचालय की तरह हो, जिसमें पैसा दे कर प्रयोग किया जा सकता है। यह सुविधा जनक है और एक अच्छा तरीका है। योरप में सार्वजनिक शौचालय प्रयोग करने में पैसा देना पड़ता है हांलकि अमेरिका में नहीं। पैसा दे कर शौचालय का प्रयोग करने की सुविधा देने में कोई गलती नहीं है

'उन्मुक्त जी , आपने यह नहीं बताया कि आपने स्पष्ट चित्र क्यों नहीं लिया?'

मैंने इस व्यक्ति का स्पष्ट चित्र नहीं खींचा। क्योंकि,
  • मैं इस व्यक्ति का नाम या परिचय नहीं जानना चाहता हूं। मैं केवल यह चाहता हूं कि इन्हें मालुम चल जाय कि उन्होंने ठीक नहीं किया।
  • हो सकता है कि इनसे यह भूलवश हो गया हो। हो सकता है कि यह समझ ही न सके हों कि इनसे क्या गलती हो रही है। मैं इनका नाम या परिचय जान कर या उसे सार्वजनिक कर इन्हें और शर्मिन्दा नहीं करना चाहता हूं।
  • मैं यह भी नहीं चाहता हूं कि इनके बारे में कोई और जानकारी सार्वजनिक की जाय। इसमें कहीं एकान्तता के अधिकारों की बात भी आती है। यह बहस का विषय है और मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता।

'उन्मुक्त जी, पर आप क्या चाहते हैं?'

मैं केवल यह चाहता हूं कि यदि,
  • आप स्वयं वह व्यक्ति हैं और यह चिट्ठी पढ़ रहे हैं तो समझे कि आपने क्या गलत किया।
  • आप इन्हें जानते हैं तो इन्हें सलाह दें कि यह भविष्य में यह कार्य इस तरह से न करें।
  • यदि आपको कभी यह कार्य करना पड़े तो कभी इस तरह से न करें।

मैं स्वयं यह कार्य कभी इस तरह से नहीं करता। यदि मैं वह कोरियन लड़की होता तो उस गन्दगी को साफ करता। वास्तव में एक बार मेरे साथ ऐसा ही हुआ था पर हम कूपे में थे फिर भी हमने वह गन्दगी साफ की।

इस चिट्ठी से तो आपको मालुम ही चल गया होगा कि मैं सिक्किम यात्रा पर गया था। सिक्किम बहुत सुन्दर जगह है। मैं जल्द ही आपको वहां ले चलूंगा।

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।।

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yeh post meri sikkim yatra kee phlee kri hai. is per el aisee ghatnaa ka jikra hai jisne mujhe dukhee kiyaa. yeh devnagree mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is my first one of my Sikkim trip. It is about an incident that pained me. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
Sulabh International, सुलभ शौचालय, good manners, manners,
Sikkim, सिक्किम,
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Wednesday, June 04, 2008

हैली धूमकेतु

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां श्रंखला कि इस चिट्ठी में हैली धूमकेतु की चर्चा है।

हैली का धूमकेतु, सबसे प्रसिद्घ पुच्छल तारा है। इसका नाम प्रसिद्घ खगोलशास्त्री एडमंड हैली (Edmond Halley) के नाम पर रखा गया है। हैली न्यूटन के समकालीन थे। उनका जन्म ८.११.१६५८ को और मृत्यु १४.१.१७४२ में हुई। उन्होने धूमकेतुओं के बारे में अध्ययन किया। उनका कहना था कि जो धूमकेतु सन् १६८२,में दिखायी दिया था यह वही धूमकेतु है जो सन् १५३१ व १६०७ तथा संभवत: सन् १४६५ में भी दिखायी पड़ा था। उन्होंने गणना द्वारा भविष्यवाणी की कि यह सन् १७५८ के अन्त के समय पुन: दिखायी पड़ेगा।Portrait of Edmond Halley painted around 1687 by Thomas Murray (Royal Society, London) uploaded from http://www.phys.uu.nl/~vgent/astrology/newton. ऎसा हुआ भी कि यह पुच्छल तारा १७५८ के बड़े दिन की रात्रि (Christmas night) को दिखलायी दिया। तबसे इसका नाम हैली का धूमकेतु पड़ गया।

एडमंड हैली का यह चित्र विकिपीडिया से है

हैली की मृत्यु १४ जनवरी १७४२ को हो गयी यानि उन्होंने अपनी भविष्यवाणी सच होते नहीं देखी। इसके बाद यह पुच्छल तारा नवम्बर १८३५, अप्रैल १९१०,और फरवरी १९८६ में दिखायी पड़ा। यह पुन: २०६१ में दिखायी पड़ेगा।

यह चित्र नासा और लिक वेधशाला के सौजन्य से है

इस धूमकेतु के साथ एक अन्य प्रसिद्घ व्यक्ति भी जुड़ा है। वे हैं प्रसिद्घ लेखक मार्क ट्वैन (Mark Twain)। आपका जन्म ३०.११.१८३५ को हैली धूमकेतु के आने पर हुआ था और मृत्यु २१.४.१९१० को, जब यह धूमकेतु अगली बार आया।

पुच्छल तारे सारी सभ्यताओं में अशुभ माने जाते हैं। इस गणना ने यह सिद्घ कर दिया कि यह किसी अशुभ घटना या दैविक प्रकोप का कारण नहीं है पर विज्ञान से जुड़ी घटना है। यदि हम पीछे की गणना करें तो यह १२ बी. सी. में या फिर ६६ ए. डी. में पृथ्वी पर दिखायी दिया होगा। यदि बेथलेहम का तारा हैली धूमकेतु था तो प्रभू ईसा का जन्म या १२ बी.सी. में या फिर ६६ ए.डी. में हुआ होगा। मेरे विचार से इतना अन्तर नहीं हो सकता और वह तारा हैली का धूमकेतु या फिर और कोई धूमकेतु नहीं हो सकता है। इसके कई कारण और भी हैं।
  • पुच्छल तारा, अन्य तारों से भिन्न होता है। सारी सभ्यताओं में पुच्छल तारा को पुच्छल तारा कह कर ही बताया गया है। यदि पुच्छल तारा होता तो वही कहा जाता।
  • सारी सभ्यताओं में, पुच्छल तारे अशुभ माने जाते हैं। यदि प्रभू ईसा के जन्म के समय पुच्छल तारा निकला था तो वह कम से कम वे लोग पुच्छल तारे को अशुभ नहीं मानते।
  • यदि वह हैली के अतिरिक्त कोई और धूमकेतु था तो वह फिर क्यों नहीं आया।
  • धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर रहती है यानी कि पूंछ पश्चिम की ओर। इसलिये धूमकेतु कभी भी पश्चिम दिशा की ओर इंगित नहीं कर सकते हैं। यदि पश्चिम से लोग आते तो शायद कहा जा सकता कि वह धूमकेतु था पर यहां तो पूरब से लोग आये थे।
मेरे विचार से, यह तारा ही रहा होगा पर वह किस तरह का तारा था जो उस समय कई दिनों तक दिखायी पड़ा पर अब नहीं दिखायी पड़ता। इस बात पर चर्चा करने से पहले कुछ चर्चा पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियों पर करेंगे। यह इस श्रंखला की अगली चिट्ठी पर।

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु

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is post per halley ke dhoomketu ke baare mein charchaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about Halley's comet. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द

Halley's Comet
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