Tuesday, August 26, 2008

आइम् लविंग इट

यदि आप यह सोचते हैं कि मैं मैक्डॉनल्ड के विज्ञापन के बारे में बात करने जा रहा हूं तो आप गलतफ़हमी में हैं। न तो मुझे फास्ट फूड अच्छा लगता है और न ही मैं मैक्डॉनल्ड जाता हूं। मैं तो आपसे आज एक खास दिन (२० सितम्बर) और एक खास सॉफ्टवेयर {युबुन्टू (Ubuntu)} के बारे में बात करना चाहता हूं।


'उन्मुक्त जी, २० सितम्बर को क्या खास है, लगता है कि आपका जन्मदिन है?'

अरे नहीं। यह मेरा जन्मदिन नहीं है पर बहुतों के लिये वैलेंटाइन डे से कम नहीं है।



मुक्त सॉफ्टवेयर प्रेमी लोग साल में एक दिन मुक्त सॉफ्टवेयर दिवस मनाते हैं। इस दिन वे मुक्त सॉफ्टवेयर के बारे में सम्मेलन कर, लोगों को इसके महत्व के बारे में बताते हैं और उन्हें जागरूक करने का प्रयत्न करते हैं। इस साल, यह २० सितम्बर को मनाया जायगा। इसके बारे में मैंने पिछले साल भी लिखा था। इस साल के बारे में आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं और कहां कहां मनाया जा रहा है देख सकते हैं।

अभी तक भारत में मानाये जाने का जगहों का नक्शा


उत्तर, पश्चिम, और मध्य भारत में यह कम जगह मनाया जा रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह दिल्ली में नहीं मनाया जा रहा है - कम से कम अभी तक वहां के लोगों ने अपने को रजिस्टर नहीं कराया है। पूर्वी भारत में यह केवल कलकत्ता में मनाया जा रहा है। दक्षिण भारत में तो यह जगह जगह मानाया जा रहा है। इससे आप देश भर में सूचना प्रद्योगिकी की प्रगति का अन्दाज कर सकते हैं।


कैनोनिकल लिमिटेड (Canonical Ltd), इस साल मुक्त सॉफ्टवेयर दिवस के प्रायोजक में से एक हैं। वे इसके उपलक्ष में सीडी भेंट कर रहे हैं। अभी देरी नहीं हुई है यदि यह आपके शहर में नहीं मनाया जा रह है तो अपने को रजिस्टर करवायें और कुछ प्रोग्राम करें। ख्याल रहे, १४ सितम्बर को हिन्दी दिवस भी है जो कि २० कि बिलकुल पहले है - उस दिन हिन्दी में बात करना है।



'उन्मुक्त जी, यदि हम इसका आयोजन अपने शहर में करें तो आप आयेंगे न!'

इस साल तो नहीं, फिर कभी। इस साल तो मेरी तो बुकिंग हो चुकी है शायद आपके ही शहर में हो। इसलिये यदि कोई सम्मेलन हो जाइयेगा अवश्य, हो सकता है वहीं हमारी मुलाकात हो जाय :-)


'उन्मुक्त जी, कैनोनिकल लिमिटेड कंपनी क्या करती है? उसका मुक्त सॉफ्टवेयर से क्या सम्बन्ध है?'

कैनोनिकल लिमिटेड (Canonical Ltd) एक साउथ अफ्रीकन कंपनी है। यह युबुन्टू (Ubuntu) नामक एक मुक्त एवं मुफ़्त ऑपरेटिंग सिस्टम निकालती है। यह डेबियन लिनेक्स पर आधारित है और सबसे पहले २० अक्टूबर २००४ को प्रकाशित किया गया था।


युबुन्टू, ज़ुलू (Zulu) भाषा के शब्द युबुन्टू से लिया गया है जिसका अर्थ है - मानवता। युबुन्टू का ध्येय है कि वह साधारण व्यक्ति - जिसे कंप्यूटर का कोई ज्ञान न हो उस - के लिये एक स्थायी और अच्छा ऑपरेटिंग सिस्टम बनाये। वे सॉफ्टवेयर के लिये पैसा तो नहीं ले सकते हैं इसलिये उसमें सेवाये दे कर पैसा कमाते हैं।


मेरे लैपटॉप में रेडहैट लिनेक्स एन्टरप्राइस-५ है पर मैं अपने डेस्कटॉप में लिनेक्स के अलग अलग डिस्ट्रीब्यूशन डालता रहता हूं। मैंने मैनड्रिवा (Mandriva), सुज़े (SuSe) पर काम किया है पर बहुत समय पर फिडोरा (Fedora) पर काम कर रहा था। दो महीने पहले मैंने डेस्कटॉप पर फिडोरा-९ डाला। उस समय इसमें कुछ मुश्किलें थीं और मुझे उसे हटाना पड़ रहा था। मेरे पास विकल्प था कि मैं वापस फिडोरा-८ पर चला जाऊं या फिर कुछ नया डिस्ट्रीब्यूशन डालूं। मेरे पास कुछ लोग युबुन्टू की समस्याओं के बारे में ई-मेल करते हैं मुझे लगा कि क्यों न मैं इसे ही डाल कर देखूं।
बस मैंने इसे अपने डेस्कटॉप पर डाला दिया और दो महीने से इसी पर काम करता हूं।


युबुन्टू में हिन्दी का अच्छा समर्थन है। इसमें हिन्दी के इन्सक्रिप्ट (Inscript) और फोनेटिक (phonetic) कीबोर्ड हैं पर रेमिंगटन कीबोर्ड नहीं है। दफ्तरों में हिन्दी टाइपिस्ट अधिकतर रेमिंगटन कीबोर्ड जानते हैं इसलिये शायद यह वहां न चल पाये पर मुझे कोई अन्तर नहीं पड़ता। मैं तो फोनेटिक कीबोर्ड का प्रयोग करता हूं।


आप आसानी से, युबुन्टू में अपनी तरफ से न तो कोई नया प्रोग्राम नहीं डाल सकते हैं न ही किसी प्रोग्राम को अपग्रेड नहीं कर सकते हैं। कम से कम मेरा जैसा व्यक्ति तो नहीं। शायद इसके लिये आपको कंप्यूटर विशेषज्ञ होना चाहिये। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि इसके बनाने वाले सारे प्रोग्रामों के अपग्रेड को स्वयं टेस्ट करते हैं और जब उन्हें स्थायी पाते हैं तो फिर आपको अपग्रेड करने की सुविधा देते हैं। वे लोग यह काम, शायद इसलिये करते हैं कि वे आपको स्थायी ऑपरेटिंग सिस्टम देना चाहते हैं। इसलिये जब तक प्रोग्रामों की टेस्टिंग पूरी नहीं हो जाती है वे आपको आसानी से अपग्रेड नहीं करने देते हैं। इसका नया वर्ज़न भी लगभग छः महीने के अन्तराल पर आता है।


'उन्मुक्त जी यह सब तो ठीक है पर यह बताइये कि इन सब का इस शीर्षक से क्या सम्बन्ध है।'


उंह हूं - मैं भी कैसा भुलक्कड़ हूं। यह तो बताना मैं भूल ही गया,
I'm loving it :-)

लोग कहते हैं कि साउथ अफ्रीका सुन्दर जगह है। हो सकता है कि निकट भविष्य में मैं आपको अफ्रीकन जंगल सफारी पर ले चलूं।

हिन्दी में युबुन्टू के बारे में अन्य जगह जानकारी
उबुन्तु लिनक्स में हिन्दी सक्षम कैसे करें


हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.)
यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।


is post per software freedom day ke baare mein bataaya gaya hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about freedom software day. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
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8 comments:

  1. आभार जानकारी के लिए.

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  2. "...आप आसानी से, युबुन्टू में अपनी तरफ से न तो कोई नया प्रोग्राम नहीं डाल सकते हैं न ही किसी प्रोग्राम को अपग्रेड नहीं कर सकते हैं। ..."

    उन्मुक्त जी, ऐसा नहीं है. बल्कि यह बेहद आसान है. बस आप कमांड लाइन एप्ट इंस्टालर या उबुन्टु के ग्राफिक प्रोग्राम मैनेजर से यह कार्य बेहद आसानी से किया जा सकता है.

    रवि

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  3. युबुन्टू के बारे में पहली बार जाना।

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  4. सुना तो था ,पर कुछ विस्तार से अब जाना पर समझा कुछ ख़ास नहीं !

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  5. मैं जल्दी विण्डो छोड़कर इधर उधर नही भटकती .जानकारी अच्छी दी आपने पर नए के साथ एड्जस्ट करने में समस्या आती है .वो क्या है अपने जैसा नही लगता हमें तो बिल्लू दी खिड़की ही भाती है

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  6. नमस्ते आप की यह लेख काफ़ी अच्छी है | और इस में बहुत से लाभदायक विषयों के बारे मे आप ने लिखा है | आप एक समय मे Fedora और Red Hat दोनों के साथ काम करते हो , इसे पढ़कर में हैरान और आश्चर्यचकित हो गई | बहुत अच्छी बात है | आप के Blog को में अपने Blogroll मे जोड़दूंगी |

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  7. इसी बहाने कई उपयोगी जानकारी भी मिल गयीं, आभार।

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  8. I read this article with great attention because I have started the process of migration to Linux, and that also to the Ubuntu flavour. I am sure than in next 6 months I will be an expert.

    I have been brought up on CP/M and DOS, both of which were command-line operating systems, so the migration should not be very difficult mentally.

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