Thursday, December 31, 2009

पृथ्वी, हमारे पास, वंशजों की धरोहर है

इस चिट्ठी में चर्चा है कि हम पर्यावरण को बचाने में क्या सहयोग कर सकते हैं।

क्या आप कभी अपनी पत्नी का जन्मदिन और शादी की सालगिरह दोनो एक साथ भूलें है। यदि आपका जवाब हां में है तब शुभा का गुस्सा समझ सकते हैं।

मुझे पिछले साल काम के सिलसिले में बाहर रहना पड़ा - कुछ समय दिल्ली और कुछ समय भोपाल। न उसके जन्मदिन की याद रही, न ही शादी की सालगिरह की - यह दोनो आस-पास ही पड़ते हैं। जब याद आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लगा कि जब वापस कस्बे में पहुंचूंगा, तो खैर नहीं। सोचा, मनाने के लिये, भोपाल से कुछ ले चलूं।
'उन्मुक्त जी, हम तो समझे कि आप पर्यावरण के बारे में कुछ बता रहें हैं यहां तो कुछ और ही है - पत्नी को मनाया जा रहा है।'
भोपाल में सबसे अच्छा बजार नयी मार्केट है। वहां, मध्य प्रदेश सरकार निगम की दुकान मृगनयनी है। वहां पर, अच्छा समान वाजिब दामों में मिल जाता है। बस उसके लिये, कुछ लेने के लिये, वहीं पहुंच गया।
'लगता है कि उन्मुक्त जी, बढ़िया सा शीर्षक देकर, हम सब को झांसा दे रहे हैं। समझ गये, कुछ नहीं, बस टीआरपी का चक्कर है।'
मैंने मृगनयनी से, एक सूती चन्देरी की साड़ी, शादी की सालगिरह और सूती सलवार-कुर्ते का सेट उसके जन्मदिन के लिये लिया। सलवार-कुर्ते के सेट में तीन कपड़े थे। एक रंगीन सादा कपड़ा और दो  वैजिटेबल रंग (vegetable dye) से चित्रकारी किये हुए कपड़े थे। 

वहां पर एक प्यारी सी, युवती विक्रेता थी। मैंने उससे पूछा कि इसमें कौन सा कपड़ा क्या है। उसने एक को, दुपट्टा बताया फिर मुस्करा कर बोली,
'वैसे सादा रंगीन कपड़ा सलवार है। लेकिन आजकल फैशन के अनुसार आप जिसे चाहें सलवार बना ले, जिसे कुर्ता।'

यानि कि सादे रंगीन कपड़े को कुर्ता और चित्रकारी करे हुऐ कपड़े को सलवार। मैं कुछ उलझन में पड़ गया। इस पर उसने कहा,
'आप बिलकुल मत खबराइये आपकी पत्नी को सब मालूम होगा। वह सब समझ जाएगी।'
यह जानने के लिये कि क्या वह युवती सच कह रही थी या नहीं - मैंने अन्तरजाल में ढ़ूंढा। मुझे यहां से, फैशन पत्रिका का यह चित्र मिला। इसे देख कर तो लगता है कि सादे कपड़े का कुर्ता ज्यादा सुन्दर लगता है। हांलाकि शुभा के अनुसार यह इसलिये है कि मॉडल-युवती सुन्दर है।
'उंह हूं उन्मुक्त जी, इस चिट्ठी में पर्यावरण का जिक्र तो दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है।'
वह युवती विक्रेता, जब इन कपड़ों को पैक करने लगी, तब मैं आश्चर्य से डूब गया। उसने समान को समाचार पत्रों के बने पैकेटों में पैक किया। उठाने के लिये, ऊपर सुतली लगी हुई थी। वह युवती समझदार थी समझ गयी कि मैं उन पैकेटों को देख कर आश्चर्य चकित हो रहा हूं। उसने बताया,
'अंकल, यह सब पर्यावरण को बचाने के लिये किया जा रहा है। हम प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करते हैं। इसलिये इस तरह के पैकेट प्रयोग करते हैं। इसके अलावा, इसके कई फायदे हैं।
  • हमने रद्दी समाचार पत्रों का फिर से प्रयोग कर लिया; और
  • यह पैकेट लघु उद्योग के द्वारा बनाये जा रहे हैं। इस कारण बहुत से लोगों को काम मिल रहा है।'
यह छोटा सा, पर सराहनीय कदम है। यह छोटे-छोटे कदम ही हमारी पृथ्वी मां को बचा सकेंगे। यह हमारी जिम्मेवारी है कि यह काम सुचारु रूप से हो। क्योंकि किसी ने सच कहा है कि,
‘We have not inherited this planet from our parents.
But have merely borrowed it from our children’
यह पृथ्वी हमें अपने पूर्वजों से नहीं मिली है
यह हमारे पास वशंजों की धरोहर है

यह हमारी जिम्मेवारी है कि हम वशंजों की धरोहर, उन्हें ठीक प्रकार से उन्हें वापस दे सकें।  क्या आप जानना चाहते हैं कि आप इसमें किस तरह से सहयोग कर सकते हैं। बहुत कुछ – देखिये आप क्या कर सकते हैं:
  1. आप समान ऐसे पैकेटों में खरीदिये जो फिर से प्रयोग हो सकें और उन्हें बार बार प्रयोग करें।
  2. शॉपिंग पर अपना बैग ले जायें।
  3. पेपर को बेकार न करें। दोनों तरफ प्रयोग करें। 
  4. हो सके तो, लिफाफों को फाड़ कर, अन्दर की तरफ सादी जगह को, लिखने के लिये प्रयोग करें।
  5. सारे बेकार कागजों को पुनर्चक्रण (recycling) के लिये इकट्ठा करें।
  6. प्लास्टिक के पैकेटों का कम प्रयोग करें। सब्जी, फल या मांस को सुरक्षित रखने के लिये प्लास्टिक की जरूरत नहीं।
  7. उन उत्पादनों को लें, जो हर बार पुनः फिर से भरने वाले पैकटों में मिलते हों। यदि आपकी प्रिय वस्तु  ऐसे पैकेटों में न आती हो तो कम्पनी को इस तरह के पैकेटों में बेचने के लिये लिखें।
  8. खाने की वस्तुओं को हवा-बन्द बर्तनों में रखें। उन्हें चिपकती हुई प्लास्टिक में रखने की जरूरत नहीं।
  9. पेट्रोल बचायें, प्रदूषण कम करें।
  10. अपने सहयोगियों और पड़ोसियों के साथ कार पूल कर प्रयोग करने का प्रयत्न करें।
  11. बिना बात बिजली का प्रयोग न करें - बत्ती की जरूरत न हो तो बन्द कर दें।
  12. पेड़ों, जंगलों के कटने को रोके। इनके कटने के खिलाफ लोगों को जागरूक करें।
  13. पुनरावर्तित (recycled) वस्तुओं का प्रयोग करें।
  14. ऐसे बिजली के उपकरण प्रयोग करें जो कम बिजली खर्च करते हों। इस समय इस तरह के नये तकनीक पर बने बल्ब आ रहें हैं। उनका प्रयोग करें।
  15. पर्यावरण-मित्रवत उत्पादकों (environment friendly products) का प्रयोग करें।
आप इन पन्द्रह बिन्दुओं में से, कितने बिन्दुओं का पालन करते हैं। मैं इसमें सब तो नहीं, पर अधिकतर का पालन करता हूं। मेरे साइकिल  चलाने के बारे में तो आप जानते ही हैं और शायद कोपेनहेगन व्हील (Copenhagen Wheel)  बहुत कुछ बदल दे।

इसी के साथ, इस साल को अलविदा। नया साल आपके लिये शुभ हो, मंगलमय हो। नये साल में आप ऊपर-लिखित १५ बिन्दुओं में से, अधिक से अधिक बिन्दुओं का प्रयोग करें - आखिरकार हमें पृथ्वी मां को, अपने बच्चों के लिये बचा कर रखना है। हिन्दी चिट्ठाजगत भी नये साल में, नयी ऊंचाईयों पर पहुंचे - ऐसी कामना, ऐसा विश्वास।

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मेरे अन्य चिट्ठों पर, पर्यावरण से संबन्धित चिट्ठियां



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This post talks about, what we can do save environment. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.







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Friday, December 25, 2009

पसन्द करें - कौन सी मछली खायेंगे

इस चिट्ठी में कोवलम अन्तर्राष्ट्रीय समुद्र तट की चर्चा है।


Friday, December 18, 2009

सफल वकील, मुकदमा शुरू होने के पहले, सारे पहलू सोच लेते हैं

सैमुएल लाइबोविट्ज़, २०वीं शताब्दी के दूसरे चतुर्थांश में अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध वकील थे। 'बुलबुल मारने पर दोष लगता है' श्रृंखला की इस चिट्ठी में, चर्चा है कि उन्हें पहला मुकदमा कैसे मिला और उसमें क्या हुआ।
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें।
यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। सुनने के लिये, दाहिने तरफ का विज़िट, 'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने' देखें।

सैमुएल की पृष्ठभूमि ऐसी नहीं थी कि उन्हें मुकदमे मिल सकें। एक बार कॉर्नेल  विश्वविद्यालय में, जब कानून के डीन ने, उनसे,  इस बारे में बात की तब  सैमुएल का कहना था

'मैं पहले प्रसिद्व वकील बनूंगा। तब, बड़ी-बड़ी कम्पनियां मेरे पास मुकदमा कराने आयेंगी और मैं पैसे कमा सकूंगा।' 
 सैमुएल लाइबोविट्ज़ का यह चित्र लाइफ पत्रिका के सौजन्य से।

  लेकिन जब सैमुएल वकील बन गये तब सबसे मुश्किल, उन्हें अपना पहला मुकदमा मिलने में हुई।

न्यायालय में  जब आरोपी वकील नहीं कर पाते  है तब  न्यायालय उनके लिए वकील नियुक्त करता है।  सैमुएल को भी अपना पहला मुकदमा इसी तरह मिला। 

इस मुकदमें के आरोपी के ऊपर आरोप था कि उसने  शराबखाने  का ताला खोलकर, पैसे और शराब की चोरी की। उसी दिन सुबह, उसे शराब के नशे में धुत्त, पकड़ लिया गया। उसकी जेब में वह चाभी भी मिली जिससे उसने ताले को खोला था। पुलिस के सामने उसने अपना गुनाह कबूल करा लिया। अमेरिका में पुलिस के सामने दिया बयान न्यायालय में देखा जा सकता है हालांकि भारत में नहीं।

सैमुएल ने अपने मित्रों, सहयोगियों  से इस संबन्ध में सलाह ली। उनका कहना था कि,

  • आरोपी को अपना दोष मान लेना चाहिए। क्योंकि सारे सबूत आरोपी के खिलाफ हैं। 
  • दोष मान लेने पर सजा कम हो जायगी। 
लेकिन सैमुएल को लगा कि यदि उसने अपने मुवक्किल से आरोप स्वीकार करवा दिया तब वह न तो प्रसिद्घ हो सकेगा, न ही पैसा कमा सकेगा। वह इस मुकदमे के उस पक्ष को देखने लगा,  जिसकी तरफ कोई सोच भी नहीं सकता था। 

कई  रात, बिस्तर में लेटे-लेटे, सोचते-सोचते, उसे एक युक्ति समझ में आयी।  यदि वह चल गयी तो जीत उसकी, नहीं तो आरोपी को सजा तो होनी ही थी। मुकदमा शुरू होने पर,  अभियोजन के अधिवक्ता एवं न्यायाधीश को आश्चर्य हुआ, जब आरोपी ने आरोप स्वीकार नहीं किया।

अभियोजन का पक्ष समाप्त हो जाने के बाद, आरोपी ने गवाही दी कि उसने, पुलिस अत्याचार के कारण, आरोप स्वीकार कर लिया था। 

अभियोजन का कथन था कि आरोपी ने चाभी से ताला खोलकर चोरी की है।  सैमुएल ने न्यायालय के समक्ष बहस की,
'क्या सरकारी वकील ने यह स्वयं देखा है कि आरोपी के जेब से मिली चाभी से शराबघर का ताला खुल सकता था या नहीं। यदि नहीं तो, न्यायालय एवं जूरी चल कर देखें कि क्या इस चाभी से उस ताले को खोला जा सकता है। यदि ताला नहीं खुलता है तो उसके मुवक्किल पर चोरी का आरोप नहीं बनता है।'

यह सच था कि सरकारी वकील स्वयं इस बात की जांच नहीं की थी कि उस चाभी से ताला खोला जा सकता था अथवा नहीं। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता को लगा कि यदि, 
  • इस समय न्यायधीश, जूरी के सदस्य जा कर देखते हैं तो न्यायालय और जूरी का समय बरबाद होगा।  इस तरह के अनगिनत मुकदमे लम्बित थे, उनका भी फैसला होना था।
  • ताला न खुला, तो सरकारी वकील की भद्द उड़ जायेगी। 
यह सोचकर सरकारी वकील ने कहा कि उसे बहस नहीं करनी है। सैमुएल ने भी अपनी बहस समाप्त कर दी। यह बताने की जरूरत नहीं है कि जूरी को  आरोपी को छोड़ने में कुछ भी समय  नहीं लगा। हालांकि न्यायालय से बाहर निकलने के बाद जब सैमुएल ने उस चाभी से ताला खोलने का प्रयत्न किया तो उसने न्यायालय के सारे ताले खुल गये। 

इस मुकदमे के बारे में अगले दिन अखबार में कुछ नहीं निकाला पर जेल में अन्य कैदियों, अधिवक्ताओं के बीच, यह बातचीत चलने लगी कि यह वकील कुछ ख़ास है। यहीं से, सैमुएल का सितारा, चमकना शुरू हो गया।

सैमुएल ने अपना पहला मुकदमा, रात में ही, बिस्तर पर सोचते सोचते जीत लिया था। उसने यह आदत,  जीवन भर डाली। वह मुकदमा के शुरू होने से पहले ही सारे पक्षों के बारे में सोच लेता था। यही एक अच्छे वकील की निशानी है। वकील का वास्तविक जीवन, अर्ल स्टैनली गार्डनर के कल्पित वकील, पैरी मेसन की तरह नहीं, जो मुकदमें के दौरान ही सोचा करता था। हर सफल वकील मुकदमा शुरू होने के पहले ही, उसके सारे पहलुओं के बारे में सोच लेते हैं।

इस मुकदमें से, सैमुएल ने एक दूसरी बात यह सीखी, कि जूरी, पुलिस-अत्याचार के बारे में आसानी से विश्वास कर लेते हैं। इस बात ने भी, उसे अन्य मुकदमों सफलता दिलवायी। 

क्या चश्मदीद गवाह,  न चाहते हुऐ भी,  आरोपी की गलत शिनाख्त कर देते हैं। इस बारे में, सैमुएल के क्या विचार हैं, यह अगली बार। 

बुलबुल मारने पर दोष लगता है

भूमिका।। वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी - कोर्टरूम।। सफल वकील, मुकदमा शुरू होने के पहले, सारे पहलू सोच लेते हैं।।





अन्य संबन्धित चिट्ठियां 
पुस्तक समीक्षा से संबन्धित लेख चिट्ठे पर चिट्ठियां
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This post describes how Samuel Leibowitz, the most famous American  lawyer of the 20th century, got his first case and what happened to it. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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Friday, December 11, 2009

पति, पत्नी के घर में रहते हैं

इस चिट्ठी में त्रिवेन्दम में घूमने की जगहों की चर्चा है।

महल में बाहर की तरफ उन्नीसवीं शताब्दी की बनी एक खास घड़ी, जिसमें घन्टे के पूरे होने पर उतनी बार ऊपर के बकरों सिर, एक दूसरे से टक्कर मारते हैं।

Thursday, December 03, 2009

सफलता हमेशा काम के बाद आती है

यह चिट्ठी ई-पाती श्रंखला की कड़ी है। यह श्रंखला, नयी पीढ़ी की जीवन शैली समझने, उनके साथ दूरी कम करने, और उन्हें जीवन मूल्यों को समझाने का प्रयत्न है। यदि लगन है, काम करने का ज़स्बा है तो सफलता कदम चूमेगी।

Friday, November 27, 2009

वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी - कोर्टरूम

सैमुएल लाइबोविट्ज़, २०वीं शताब्दी के दूसरे चतुर्थांश में अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध वकील थे। 'बुलबुल मारने पर दोष लगता है' श्रृंखला की इस चिट्ठी में, उनके जीवन पर लिखी पुस्तक 'कोर्टरूम' के बारे में चर्चा है।

'डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े' श्रृंखला की कड़ी 'यदि विकासवाद जीतता है तो ईसाइयत बाहर हो जायेगी' में, मैंने वकील क्लेरेन्स डैरो (Clarence Darrow) की चर्चा की थी। उनका जन्म १८ अप्रैल, १८५७ को हुआ था। उन्न्नीसवी शताब्दी के अंत होते होते वे अमेरिका के सबसे जाने माने वकील के रूप में स्थापित हो गये थे। उनका सितारा उदय हो चुका था। उसी समय एक अन्य वकील, सैमुएल लेबो (Samuel Lebeau) का जन्म १४ अगस्त १८९३ में रोमानिया में हुआ।

१८९७ में सैमुएल के पिता अमेरिका आ गये। वहां लोगों की सलाह पर सैमुएल के पिता ने अपने नाम का अमेरिकीकरण कर लिया—लेबो की जगह वे लाइबोविट्ज़  (Leibowitz) हो गये।

सैमुएल को विद्यार्थी जीवन में,  वक्तृत्व (elocution) और वाद विवाद प्रतियोगिताएं (debate) बेहद पसन्द थे। इसमें, वे हमेशा आगे रहते थे। पिता के सुझाव पर  सैमुएल ने   वकील बनने की ठानी और कानून की शिक्षा कॉर्नेल विश्वविद्यालय से पूरी की।

बीसवीं शताब्दी के पहले चतुर्थांश के अन्त होते होते सैमुएल ने अपना नाम  अमेरिका के जाने माने फौजदारी  के वकील के रूप में स्थापित कर लिया।  दूसरे चतुर्थांश  में वे अमेरिका में फौजदारी के सबसे प्रसिद्व वकील हो गये। १९४१ में  उन्होंने न्यायाधीश बनना स्वीकार कर लिया। न्यायधीश के रूप में वे जल्दी गुस्सा हो जाते थे। इसलिये वे बाद में कुछ विवादास्पद हो गये थे। उनकी मृत्यु ११ फरवरी, १९७८ में हो गयी।


 सैमुएल लाइबोविट्ज़ एवं उनकी पत्नी अपने पौत्र के साथ खेलते हुऐ - चित्र लाइफ पत्रिका के इस सौजन्य से। 

१९५० में, क्वेंटिन रिनॉल्डस् (Quentin Reynolds) ने सैमुएल की जीवनी,  कोर्टरूम (Courtroom) नामक पुस्तक में लिखी है। यह वकीलों के द्वारा लिखी गयी आत्मकथा या उनकी बारे में लिखी जीवनियों में सबसे अच्छी लिखी पुस्तक है। यह पुस्तक न केवल हर वकील को, पर प्रत्येक व्यक्ति के  पढ़ने योग्य है। बहुत से लोग, वकीलों के बारे में अच्छे विचार नहीं रखते हैं। यह पुस्तक उनके नजरिये को बदलेगी।

अगली बार बात करेंगे सैमुएल को पहला मुकदमा कैसे मिला और उसमें क्या हुआ।
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बुलबुल मारने पर दोष लगता है
भूमिका।। वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी - कोर्टरूम।।




पुस्तक समीक्षा से संबन्धित लेख चिट्ठे पर अन्य चिट्ठियां


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Samuel Leibowitz was most famous American  lawyer of the second quarter of the 20th century. Quentin Reynolds has written his biography titled as 'Coutroom'. It is the finest lawyer's biography ever written. This post of my new series 'bulbul maarne per dosh lagtaa hai' is about this book. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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Friday, November 20, 2009

आप, टाइम पत्रिका पढ़ना छोड़ दीजिए

केरल यात्रा के दौरान, हमने आयुवेर्दिक मालिश का भी अनुभव लिया। इस चिट्ठी में उसी की चर्चा है।


Friday, November 13, 2009

बुलबुल मारने पर दोष लगता है - भूमिका


हार्पर ली (Harper Lee) का लिखा उपन्यास, 'टु किल अ मॉकिंगबर्ड'  (To Kill A Mockingbird), २०वीं शताब्दी के उत्कृष्ट अमेरिकन साहित्य में गिना जाना जाता है।  'बुलबुल मारने पर दोष लगता है'  मेरी नयी श्रंखला है। यह, इस उपन्यास और उससे जुड़ी घटनाओं और कहानियों के बारे में है। यह चिट्ठी इस श्रंखला की भूमिका है।
इस चिट्ठी को  आप यहां चटका लगा कर सुन सकते हैं। यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट,
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने'
देखें।
कुछ समय पहले, मेरी तबियत खराब हो जाने के बाद, मेरी बिटिया रानी और बेटे राजा ने कुछ पुस्तकें भिजवायीं थी। इनमें एक पुस्तक  'हू द हेल इज़ ओ ॑-हारा'  (Who the Hell is O'Hara) है। इस पुस्तक में, दुनिया के ५० बेहतरीन लिखे उपन्यासों के बारे में लिखा है कि वे किस प्रकार से लिखे गये हैं। इसमें अधिकतर उपन्यास मेरे पढ़े हुऐ हैं या मैंने उनके बारे में सुना है। मुझे यह पुस्तक ही सबसे अच्छी लगी इसलिये इसे ही सबसे पहले पढ़ना शुरू किया। यह मुझे बेहद पसन्द आयी।

हार्पर ली (Harper Lee) का लिखा उपन्यास 'टु किल अ मॉकिंगबर्ड' (To Kill A Mockingbird) २०वीं शताब्दी के उत्कृष्ट अमेरिकन साहित्य में गिना जाता है।

इस पुस्तक में लिखे उपन्यासों की कहानियों में से एक लेख, उपन्यास 'टु किल अ मॉकिंगबर्ड'  (To Kill A Mockingbird) के बारे में है। इसे हार्पर ली (Harper Lee) ने लिखा है। यह उपन्यास  २०वीं शताब्दी के उत्कृष्ट अमेरिकन साहित्य में गिना जाता है। मेरी बिटिया रानी के मुताबिक यह ऐसा उपन्यास है जिसे अमेरिका के कॉलेज जाने वाले प्रत्येक विद्यार्थी ने कम से कम एक बार पढ़ा है।

इस उपन्यास की कहानी १९३० दशक की है जो एक बहन, उसके भाई, और उनके मित्र की, अपने वकील पिता के यहां बड़े होने की कहानी है। यह एक बेहतरीन उपन्यास है जिसे पुलिट्ज़र पुरूस्कार (Pulitzer Prize) भी मिल चुका है। यह ४० भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। इसकी अभी तक ३ करोड़ प्रतिलिपियां बिक चुकी हैं।

इस उपन्यास पर एक फिल्म भी इसी नाम से बनी है, जिसे तीन ऑस्कर पुरस्कार मिले।  ग्रेगरी पेक का जिक्र मैंने अपनी श्रंखला हमने जानी जमाने में रमती खुशबू की इस कड़ी में किया है। उन्हें इस फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिये ऑस्कर पुरस्कार मिला है।

यह उपन्यास १९६० में लिखा गया था।  १९५० दशक में रीडर्स् डाइजेस्ट की संघनित पुस्तकें (Reader's Digest Condensed Books) आनी शुरू हुईं। मेरे पास शायद यह सारी हैं। हम भाई बहन ने अपना बचपन यही पढ़ते गुजारा। मैंने यह उपन्यास इसी में, १९६० दशक के अन्तिम सालों, में पढ़ा था और उसी समय इस फिल्म को भी देखा था। यह श्रंखला पुनः रीडर्स् डाइजेस्ट के चयनित संस्करण (Reader's Digest Select Editions) नाम से आना शुरू की गयी हैं।।

वास्तविक जीवन में भी ली का बड़ा भाई और मित्र था। उसके पिता भी वकील थे। शादी के पहले उनकी माँ का नाम  फिंच था, जो कि उपन्यास में इनका सर-नाम है। लोगों का कहना है कि यह इनकी जीवनी है। लेकिन पर ली इस बात को तो नकारती है पर यह भी स्वीकारती हैं कि उन्होंने जो जीवन में  देखा उसी को इस कहानी में उतारा गया है। ली इस उपन्यास के बारे में कहती हैं,
'I never expected any sort of success with Mockingbird. I was hoping for a quick and merciful death at the hands of the reviewers but, at the same time, I sort of hoped someone would like it enough to give me encouragement. Public encouragement. I hoped for a little, as I said, but I got rather a whole lot, and in some ways this was just about as frightening as the quick merciful death I'd expected.'
मैं इस उपन्यास में कोई आशा नहीं रखती थी। लेकिन यह भी सोचती थी इसे शायद कोई पसन्द करेगा और मुझे प्रोत्साहित करेगा। मैं थोड़ा बहुत चाहती थी पर यह तो बहुत अधिक था और यह उतना ही डरावना जितना इसका न लोकप्रिय होना।

When you're at the top, there's only one way to go.

ली ने इस उपन्यास के बाद,  कोई अन्य पुस्तक या लेख  नहीं लिखा। वे लोगों के बीच से गायब हो गयी। क्या कारण था इसका? उन्होंने, अपने चचेरे भाई को, इसका कारण इस तरह से बताया,
'When you're at the top, there's only one way to go.'
जब आप सबसे ऊपर होते हैं तो जाने का केवल एक ही तरीका है।
यह श्रंखला इसी उपन्यास के बारे में है। इसकी कहानी की चर्चा करने से पहले हम अगली बार बात करेंगे २०वीं शताब्दी के दूसरे चतुर्थांश में अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध वकील और उसकी जीवनी पर लिखी पुस्तक पर। मेरे विचार से वकीलों की लिखी आत्मकथा या उनकी जीवनी पर लिखी पुस्तकों में सबसे  बेहतरीन पुस्तक है। उसके बाद अमेरिका के एक प्रसिद्ध मुकदमे की।
'उन्मुक्त जी, इन वकील साहब, या प्रसिद्ध मुकदमे का इस उपन्यास से क्या संबन्ध है। लगता है कि आप तो बस लोगों को चक्कर में डाल रहें हैं।'
इनका संबन्ध तो है। यह आपको इस श्रंखला के दौरान ही बता चलेगा। इंतज़ार कीजिए।
'लगता है उन्मुक्त जी की एक और श्रंखला झेलनी पड़ेगी।'
बुलबुल मारने पर दोष लगता है 

इस श्रंखला की सारी कड़ियां नीचे चटका लगा कर पढ़ सकते हैं। यदि सुनना चाहें तो ► पर चटका लगा कर सुन सकते हैं। ख्याल रहे ऑडियो क्लिप ऑग मानक में है। इसे कैसे सुनते हैं यह तो मालुम हैं न। नहीं तो दाहिने तरफ का विज़िट ‘बकबक पर पॉडकास्ट कैसे सुने‘ देखें।
भूमिका: ।। वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी – कोर्टरूम: ।। सफल वकील, मुकदमा शुरू होने के पहले, सारे पहलू सोच लेते हैं: ।। कैमल सिगरेट के पैकेट पर, आदमी कहां है: ।। अश्वेत लड़कों ने हमारे साथ बलात्कार किया है: ।। जुरी चिट्ठे में जालसाज़ी की गयी है: ।। क्या ‘टु किल अ मॉकिंगबर्ड’  हर्पर ली की जीवनी है: ।। बचपन के दिन भी क्या दिन थे: ।। पुनः लेख – ‘बुलबुल मारने पर दोष लगता है’ श्रृंखला के नाम का चयन कैसे हुआ: ।। अरे, यह तो मेरे ध्यान में था ही नहीं।।

मेरे घर में तरह तरह की चिड़ियायें आती रहती हैं। पहला चित्र मेरे घर में आयी बुलबुल का है और अन्तिम चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से मॉकिंगबर्ड का है।


पुस्तक समीक्षा से संबन्धित लेख चिट्ठे पर अन्य चिट्ठियां


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yh citthi meiree nayee shrankhla 'bulbul maarne per dosh lagtaa hai' kee bhoomika hai. yh shrankhalaa 'To Kill a Mockingbird' pustak aur usase juree ghatanaaon ke baare mein hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


This post is introduction to my new series  'bulbul maarne per dosh lagtaa hai'. This series is about  talks about the book 'To Kill a Mockingbird' and incidents related to it. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
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Friday, November 06, 2009

आपका प्रेम है कि आपने मुझे अपना मान लिया

इस चिट्ठी में कन्याकुमारी में घूमने की जगहों का वर्णन है।

Friday, October 30, 2009

हम तो पूरी दिल्ली में बदनाम हैं

मुझे दिल्ली में एक अच्छी पुस्तक दुकान की तलाश थी। इस बार वह मिल गयी। इस चिट्ठी में उसी की चर्चा है।

शुभा के अनुसार, मेरे तीन प्यार में से, एक  प्यार पुस्तकों से है। यह सच है, वे मेरी सबसे प्रिय मित्र हैं। हांलाकि, जबसे अन्तरजाल का चस्का लगा, तब से कुछ समय अन्तरजाल पर भी बीतता  है। जाहिर है पुस्तकों के लिये समय कम हो गया। मैं बाहर जाते समय,  पुस्तकों की जगह लैपटॉप ले जाने लगा। देव भूमि हिमाचल की यात्रा पर जाते समय मैंने तय कर लिया था कि लैपटॉप नहीं केवल पुस्तकें ले जाउंगा।  यात्रा में, पढ़ने के लिये चार पुस्तकें ले गया था। यह  अलग अलग विषय पर थीं।
  • पहली, फ्रीमन डाइसन की 'द सन, जनोम, एण्ड द इंटरनेट' (The Sun, Genome and the Internet by Freeman J Dyson) थी। यह  विज्ञान और तकनीक से संबन्धित है;
  • दूसरी, मैनेजमेन्ट से संबन्धित शू शिन ली की 'बिज़िनस द सोनी वे' (Business the Sony Way by Shu Shin Luh) थी;
  • तीसरी, मेरी प्रिय लेखिका आशापूर्णा देवी की हिन्दी उपन्यास 'प्रारब्ध' थी; और
  • चौथी, कानून से संबन्धित, सदाकान्त कादरी की 'ट्रायल' (Trial by Sadakant kadri)।
इसमें में पहली तीन पढ़ पाया पर चौथी पूरी नहीं। आने वाले समय में, इन पुस्तकों की भी चर्चा करूंगा।

यात्रा के बाद, मुझे लगा कि केवल पुस्तकें ले जाना ठीक था - कम से कम तीन तो पढ़ लीं। लैपटॉप न रहने के कारण भी कुछ अनुभव भी हुऐ। यह हिमाचल यात्रा संस्मरण के दौरान लिखूंगा। 

दूसरे शहर में, पुस्तकों की दुकान जाना, मेरा पसंदीदा शौक है। हैदराबाद में पुस्तक की दुकान में झुंझलाहट लगी। दिल्ली और लखनऊ में पुस्तकों की दुकान के बारे में, मार्टिन गार्डनर की पुस्तकों के बारे में जिक्र करते समय किया।  बुकवर्म के बन्द हो जाने के बाद मैं टैक्सन जाने लगा पर वहां का अनुभव अच्छा नहीं रहा। लेकिन दिल्ली में मेरे ठिकाने के  सबसे पास टैक्सन की ही दुकान है इसलिये वहीं जाता हूं। हिमाचल यात्रा के बाद, दिल्ली में रुकते समय वहां गया था।

इस बार टैक्सन में युवतियां बात तो नहीं कर रहीं थीं पर एक सज्जन जोर जोर से मोबाइल पर पुस्तकों के ऑर्डर के बारे में बात कर रहे थे। समय की कोई पाबंदी नहीं रही होगी क्योंकि जब तक मैं वहां था वे बात करते रहे। मैंने टैक्सन से, पांच पुस्तकें ली। अब लैपटॉप न रहने के कारण अन्तरजाल पर तो भ्रमण करना था इसलिये साइबर कैफे की तलाश, में चल दिया -  कभी बायें तो कभी दायें। वहीं पर एक अन्य पुस्तक की दुकान  बेसमेन्ट में दिखायी पड़ी। कभी उस तरफ गया नहीं था, इसलिये इस पर कभी नजर नहीं पड़ी थी।  सोचा चलो इसको देखा जाय, साइबर कैफे को बाद ढ़ूँढ़ा जायगा।  

इस पुस्तक दुकान का नाम मिडलैण्ड बुक शॉप था। यह  जी-८ (बेसमेन्ट) साउथ एक्सटेंशन पार्ट-१, नयी दिल्ली में है। इसमें ज्यादा पुस्तकें दिखीं पर वे अस्त-वयस्त थी। मैंने जो पुस्तकें टैक्सन में खरीदी थीं वे सारी वहां थीं पर उसके साथ बहुत सारी वे भी थीं जो टैक्सन में नहीं थीं। मुझे लगा कि पुस्तकों के मामले में यह बेहतर दुकान है। यहां पर भी मैंने चार अन्य पुस्तकें लीं। मैंने इसके मालिक से कहा,
'आपके यहां बहुत पुस्तकें हैं। इनका सेल क्यों नहीं लगा लेते ताकि पुस्तकें ठीक से लगायी जा सके और पुस्तकें ढूढ़ने में सुविधा रहे।'
उसने कहा,
'मुझे पुस्तकों से प्यार है। मैं नहीं चाहता कि कोई ग्राहक पुस्तक लेने आये और हम उसे दे न सकें। इसलिये हमारी दुकान में अधिक पुस्तकें हैं। हम रोज़ एक अलमारी ठीक करते हैं लेकिन जब तक उस पर वापस आते हैं उसकी पुस्तकें पुनः अस्त-वयस्त हो जाती हैं।'

मैंने उससे बिल बनवाया तो लगभग २५०० रुपये का आया। उसने उस पर मुझे २०% कम कर दिया। मेरे कस्बे का दुकान वाला जहां मैं लगभग १५ दिन में, एक बार पहुंच जाता हूं २०% तो क्या १०% भी कम नहीं करता। यहां तो मैं पहली बार गया था। मैंने उसे पैसे कम करने के लिये भी नहीं कहा था उसने फिर भी कर दिया।   मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने उसे धन्यवाद दिया तो उसने मुस्कुराते हुऐ कहा, 
'इस बात के लिये तो हम दिल्ली के दुकान पुस्तक के मालिकों के बीच बदनाम हैं।'
उसने यह भी बताया,
'हमारी एक अन्य दुकान इसी नाम से २०, ऑरोबिन्दो प्लेस् हॉज़ खास नयी दिल्ली में और न्यू बुक लैण्ड नाम से इंडियन ऑयल भवन जनपथ नयी दिल्ली में भी है। आप को वहां भी कम दाम में पुस्तक मिलेगी।'
दिल्ली में मुझे, मिडलैण्ड बुक शॉप के रूप में, अच्छी पुस्तक की दुकान मिल गयी है। यदि आप कभी इस दुकान पर जायें और वहां किसी ग्राहक को दुकानदार या वहां खरीदने वालों से बात करते देखें तो समझ लीजियेगा कि वह कौन व्यक्ति है।
'उन्मुक्त जी यह तो बताईये कि साउथ एक्सटेंशन में कोई साइबर कैफ़े मिला? क्या आप अन्तरजाल पर जा पाये?'
हां जा तो पाया पर नानी याद आ गयी। उसके बारे में फिर कभी।


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mujhe dilli mein ek achhi pustakon ke dukaan kee talaash thee. is baar vh mil gayee. is chitthi mein usee kaa jikra hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


I wanted to find out good book stall in Delhi. In this trip, I found one. This post talks about it. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.



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Wednesday, October 21, 2009

मुझे, केवल कुमारी कन्या ही मार सके

कन्याकुमारी जाते समय हमें मालुम चला कि इसे कन्याकुमारी क्यों कहते हैं। इस चिट्ठी में इसी की चर्चा है।

एक दिन हम लोग त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी के लिये चले। कन्याकुमारी पहुंचने में लगभग ढाई घन्टे का समय लगता है। रास्ते में, एक टूरिस्ट गाइड खरीदी। इसमें कन्याकुमारी का यह नाम क्यों पड़ा, इसकी कथा इस तरह से बतायी गयी है।  

कहा जाता है कि बाणासुर नामक दैत्यों का राजा था उसने ब्रह्मा जी की पूजा कर उनसे अमृत देने का वर मांगा। ब्रह्माजी ने कहा,
'अमृत तो नहीं मिल सकता है पर जिस तरह से तुम अपनी मृत्यु  चाहते हो वह मांग सकते हो।‘
इस पर उसने कुमारी कन्या से ही मृत्यु मांगी। वह सोचता था कि कोई भी कुमारी कन्या उसे नहीं मार सकती है। 

इसके पश्चात बाणासुर, देवताओं को तंग करने लगा। तंग होकर, देवताओं ने भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी से सहायता की गुहार लगायी।  उन्होंने उन्हें पराशक्ति, जो कि देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, की पूजा करने को कहा। ब्रह्मा जी के वर के कारण वे ही बाणासुर से मुक्ति दिला सकती थीं। देवताओं की पूजा  से प्रसन्न हो कर, देवी पराशक्ति ने, बाणासुर को मारने का वायदा किया। उन्होंने कुमारी  कन्या के रूप में जन्म लिया। 

कन्याकुमारी में विवेकानन्द रॉक मेमोरियल से समुद्र का दृश्य

पराशक्ति हमेशा शिव जी के साथ ही रहना चाहती हैं। इसलिये   समुद्र में एक चट्टान पर एक टांग से खड़े होकर, उन्होंने शिव जी की पूजा की। शिव जी ने उससे प्रसन्न होकर वर मांगने का कहा। उन्होंने शिवजी को  वर के रूप में प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की। शिव जी ने उन्हे इसका वायदा कर दिया लेकिन देवता यह नहीं चाहते थे। क्योंकि, यदि वह शादी कर लेती तो वे कुमारी नहीं रहती और तब बाणासुर का वध नहीं हो पाता। देवताओं ने, नारद जी को अपनी दुविधा बतायी। नारद जी ने शिवजी से कहा,
‘भगवन आपकी शादी का शुभ मुहूर्त सुबह के पहले है। इसलिए वह सुबह के पहले ही शादी करें।‘
शिवजी अपनी बारात लेकर सुचीन्द्रम नामक जगह पर रूके। सुबह के पूर्व उनके बारात लेकर शादी के लिए निकलने के पहले ही, नारद जी ने मुर्गे का रूप धारण करके बांग देना शुरू कर दिया। जिससे उन्हें लगा कि सुबह हो गयी है और महूर्त नहीं रहा। इसलिए  वे शादी के लिए नहीं गये। 

कहा जाता है कि  कुमारी कन्या की जब शादी नहीं हो पायी तो उसके सारे गहने और जेवरात रंग बिरंगे पत्थरों में बदल गये, जो कि इस समय भी कन्याकुमारी के समुद्र तट पाये जाते हैं। 


बाणासुर को, कुमारी कन्या की सुंदरता के बारे में पता चला। उसने उनसे शादी करने की इच्छा प्रकट की जिसे, उन्होंने मना कर दिया। बाणासुर, उन्हें बलपूर्वक  जीतकर उनसे शादी करनी चाही। इस पर दोनो के बीच युद्घ हुआ और बाणासुर मारा गया । इस तरह से उस अत्याचारी की मृत्यु हुयी। इसलिये इस जगह का नाम कन्याकुमारी पड़ा। 



इस कहानी में मुझे कुछ संशय लगता है। जहां तक मुझे मालुम है बाणासुर बालि का पुत्र था और भगवान शिव का भक्त। उसने वर के रूप में ऐसे योद्दा से युद्ध करने की इच्छा प्रगट की थी जो उसे हरा सके। उसे भगवान कृष्ण ने पराजित किया। बाद में वह हिमालय में भगवान शिव की तपस्या करने चला गया।  मुझे कन्याकुमारी में बाणासुर की कथा, महिसासुर और देवी दुर्गा कहानी का दूसरा रूप लगता है।




सुचीन्द्रम में, सुचीन्द्र मन्दिर है। यह शिव जी का मंदिर है हालांकि इसमें ब्रम्हा और विष्णु जी की भी मूर्ति  है।  यहां पर गणेश जी की पत्नी की भी मूर्ति है।

सुचीन्द्र मन्दिर का चित्र विकिपीडिया से

कहा जाता है जिस चट्टान पर एक टांग से खड़े होकर  कुमारी कन्या ने अपनी पूजा की,  वहां पर उसका एक निशान बना हुआ है। स्वामी विवेकानंद उस निशान को देखने के लिए वहां गये जिससे  उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। इसी  चट्टान पर  विवेकानंद रॉक मेमोरियल बना हुआ है। यह जगह देखने लायक है। कन्याकुमारी में, देवी कुमारी मन्दिर भी है।

कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा
 क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें।। भारतीय महिलाएं, साड़ी पहनकर छोटे-छोटे कदम लेती हैं।। पति, बिल्लियों की देख-भाल कर रहे हैं।। कुमाराकॉम पक्षीशाला में।। क्या खांयेगे - बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट।। आखिरकार, हमें प्राइवेट और सरकारी होटल में अन्तर समझ में आया।। भारत में समुद्र तट सार्वजनिक होते हैं न की निजी।। रात के खाने पर, सिलविया गुस्से में थी।। मुझे, केवल कुमारी कन्या ही मार सके।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi

सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।






यात्रा विवरण पर लेख चिट्ठे पर अन्य चिट्ठियां



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kanyakumari jaate samy hamen maulm chalaa ki ise kanyakumari kyon khte hain. is chitthi mein usee kee charchaa hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


On our way to Kanyakumari, we came to know why is this place so named. This post explains it. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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Kanyakumari, Suchindram,
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Saturday, October 17, 2009

यू हैव किल्ड गॉड, सर

 इस चिट्ठी में अमेरिका के लूज़िआना राज्य के साइंस एजूकेशन ऐक्ट, विलायती फिल्म 'क्रिएशन' और 'डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े' श्रंखला के निष्कर्ष की चर्चा है।
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें। यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम लिखा है वहां चटका लगायें। इन्हें डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।
 
न्यायालय से पटखनी खाने के बाद भी कट्टरवादियों ने हार नही मानी। वे किसी तरह से ऎसे  कानून बनाने पर जोर दे रहे हैं जिससे कि लगे कि डार्विन का विकासवाद का सिद्वान्त गलत है। अमेरिका के ऎलाबामा (Alabama),  फ्लोरिडा (Florida), मिशिगन (Michigan),  मिसूरी (Missouri), और साउथ कैरोलाइना ( South Carolina)  राज्यों में इस तरह के कानून लाये गये पर वे पास नहीं हो पाये और २००८ में मृत हो गये पर जून २००८ में, लूज़िआना राज्य में 'साइन्स एजूकेशन ऐक्ट' (Science Education Act) पारित किया गया है। यह पुन: विद्यार्थियों में सृजनवाद पढ़ाने के रास्ते खोल सकता है। इस अधिनियम की सारे वैज्ञानिकों ने निन्दा की है।  अफसोस की बात यह है कि  इसे भारतीय मूल के बॉबी ज़िन्दल ने हरी झंडी दी है।
 

डार्विन के जीवन पर इस साल एक नयी फिल्म 'क्रिएशन' (Creation) नाम से बनी है। इसमें डार्विन और उसकी पत्नी ऐमा की भूमिका, पॉल बेटॅनी और जेनिफर कॉनेली ने निभायी है जो कि वास्तविक जीवन में भी पति और पत्नी हैं। यह फिल्म अमेरीका में नहीं दिखायी जा रही है। वहां पर कोई भी फिल्म वितरक इसे वितरण के लिये नहीं लेना चाहता है। उन्हें डर है कि सृजनवादी इसके खिलाफ धरना देगें, प्रदर्शन करेंगे। इस फिल्म में एक जगह एक थॉमस हेनरी हक्सले डार्विन से कहता है
'All mighty can no longer claim to have authored every species under a week.
You have killed God, Sir'
लोग, डार्विन के सिद्धांत को इसी तरह से समझते हैं। इसलिये,  यदि आप कट्टरवादी हैं तो आपको उसका सिद्धांत, यह फिल्म विवादास्पद लगेगी। इस चिट्ठी का शीर्षक मैंने इसी डायलॉग से लिया है। इस फिल्म का ट्रेलर देखिये - आपको पसन्द आयेगा। मैंने जिस डायलॉग की चर्चा की है वह भी इसमें है। 

इस फिल्म में डार्विन और उसकी पत्नी ऐमा की भूमिका पॉल बेटॅनी (Paul Bettany) और जेनिफर कॉनली (Jennifer Connelly) ने निभायी हो जो कि वास्तविक जीवन में भी पति और पत्नी हैं।

चर्च आफ इंग्लैंन्ड ने,  डार्विन के प्रति किये गये अन्याय पर माफ़ी मांग ली।  उनका कहना है कि डार्विन के विकासवाद का सिद्धांत उनके मज़हब के विरूद्ध नहीं है।  वे प्रयत्नशील है कि किसी तरह यह लड़ाई समाप्त हो पर  कट्टरवादी कहीं भी हो, किसी भी धर्म के हों, जब वे हाथ से बाहर निकल जाते है तो किसी की भी नहीं  सुनते हैं।  क्या  वे तर्क  को, सबूतों को,  विज्ञान को समझेंगे या फिर क्ट्टरवादिता, विज्ञान पर विजय प्राप्त कर लेगी? क्या क्रिएशन फिल्म अमेरिका में प्रदर्शित हो पाएगी?  लगता नहीं कि ऐसा हो पायेगा :-(

'उन्मुक्त जी यह आप कैसे कह सकते हैं?'
मैं तो यह ब्रिटिश काउंसिल (British Council) की प्रार्थना पर इप्सॉस मोरी (Ipsos MORI) के द्वारा डार्विन के ऊपर किये गये सर्वे के कारण कहता हूं। इसका डाटा आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैं। इसका कुछ अंश मैं यहां प्रदर्शित कर रहा हूं।


देश विकासवाद वैज्ञानिक तथ्य हैं हां/ नहीं विकासवाद और ईश्वर - दोनो सम्भव विकासवाद अन्य सिद्धान्तों के साथ
अर्जेनटीना ४४/ ७ ६२ २३/ ६५
चीन ५५/ ७ ३९ १९/ ४२
मिस्र ८/ १९ ४५ १८/ १
इंगलैंड ५१/ ७ ५४ २१/ ५४
भारतवर्ष ३८/ २ ८५ ३७/ ४०
मेक्सिको ५२/ ९ ६५ २८/ ५६
रूस ३९/ ८ ५४ १०/ ५३
. अफ्रीका ८/ ४ ५४ ११/ २९
स्पेन ३९/ ५ ४६ ३४/ ३१
अमेरिका ३३/ २४ ५३ २१/ ५१


यह चार्ट प्रतिश्त में है। इससे पता चलता है कि यद्यपि 'विकासवाद के लिये वैज्ञानिक तथ्य हैं' (कॉलम १) का प्रतिशत  'विकासवाद के लिये वैज्ञानिक तथ्य नहीं हैं' से केवल मिस्त्र (Egypt) को छोड़ कर बाकी देशों में ज्यादा है फिर भी  'ईश्वर एवं विकासवाद पर एक साथ विश्वास किया जा सकता है' (कॉलम २) से कम है और 'विकासवाद व अन्य सिद्धान्त पढ़ाये जाने चाहिये' (कॉलम ३) का प्रतिशत 'केवल विकासवाद पढ़ाया जाना चाहिये' के प्रतिशत से, स्पेन को छोड़, सब देशों में अधिक है।

कहावत है कि झूट, होता है, फिर सफेद झूट , फिर सांख्यिकी - आंकड़े अक्सर गलत बताते हैं। ईश्वर करे कि यह सही हो :-)

ऐसे खबर है कि भारतीय और चीनी विद्यार्थियों को सृजनवाद भा रहा है। विश्वास नहीं,  तो अन्तरजाल पर घूम रहा कार्टून देखिये।

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आज दिवाली है - विजय का त्योहार: ज्ञान की अज्ञानता पर, धर्म की अधर्म पर, रोशनी की अंधकार पर - इसी पर्व पावन पर यह श्रंखला इस आशा के साथ समाप्त होती है कि विज्ञान की धार्मिक कट्टरता पर  विजय होगी। आपको दीपवली शुभ हो। 

कौन ... कहता है कि हमारे और बन्दरों के पूर्वज एक थे देखिये हममें कितना अन्तर है।
यह चित्र मेरा नहीं है। इस श्रंखला के दौरान किसी ने यह चित्र भेजा है। यदि इसके कॉपीराइट स्वामी को आपत्ति हो तो मैं चित्र को हटा दूंगा।

मैं बहुत जल्दी आपको दो नयी श्रंखला में ले चलूंगा। पहली में हम बात करेंगे एक ऐसे उपन्यास और उससे जुड़ी कहानियों के बारे में है जो न केवल २०वीं शताब्दी के उत्कृष्ट अमेरिकन साहित्य में गिना जाना जाता है पर,  मेरी बिटिया रानी के अनुसार, जिसे अमेरिका के कॉलेज जाने वाले प्रत्येक विद्यार्थी ने कम से कम एक बार पढ़ा है और दूसरी में, मैं आपको देव भूमि हिमाचल की यात्रा में ले चलूंगा।

डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े 
भूमिका।। डार्विन की समुद्र यात्रा।। डार्विन का विश्वास, बाईबिल से, क्यों डगमगाया।। सेब, गेहूं खाने की सजा।। भगवान, हमारे सपने हैं।। ब्रह्मा के दो भाग: आधे से पुरूष और आधे से स्त्री।। सृष्टि के कर्ता-धर्ता को भी नहीं मालुम इसकी शुरुवात का रहस्य।। मुझे फिर कभी ग़ुलाम देश में न जाना पड़े।। ऐसे व्यक्ति की जगह, बन्दरों से रिश्ता बेहतर है।। विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है।। समय की चाल - व्यवस्था से, अव्यवस्था की ओर।। मैंने उसे थूकते हुऐ देखा है।। यदि विकासवाद जीतता है तो इसाइयत बाहर हो जायगी।। विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं।। सृजनवाद धार्मिक मत है विज्ञान नहीं है।। 'इंटेलिजेन्ट डिज़ाईन' - सृजनवादियों का नया पैंतरा।। यू हैव किल्ड गॉड, सर।।




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is chitthi mein america ke Louisiana rajya ke 'science education act', british film 'creation' aur 'Darwin, Vikaasvaad, aur Majhhabee rore' shrankhlaa ke nishkarsh kee charchaa hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is about Science Education Act enacted by State of Louisiana, British film 'Creation' and conclusion of 'Darwin, Evolution and Religious Fervour' series. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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