Tuesday, September 29, 2009

सृजनवाद धार्मिक मत है विज्ञान नहीं है

इस चिट्ठी में एडवार्ड बनाम एगिलार्ड मुकदमे की चर्चा है। इसमें न्यायालय ने कहा कि सृजनवाद धार्मिक मत है न की विज्ञान।
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें। यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम लिखा है वहां चटका लगायें। इन्हें डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।


लूज़िआना (Louisiana) राज्य ने, बैलेन्सड ट्रीटमेन्ट फॉर क्रिएशन-साइंस एण्ड इवोल्यूशन- साइंस ऐक्ट (Balanced Treatment for Creation-Science and Evolution-Science in Public School Instruction Act) नामक  कानून बनाया। मोटे तौर पर यह कहता था कि,
'डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को स्कूलों में न पढ़ाया जाए। यदि स्कूलों में डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पढ़ाया जाता है तो सृजनवाद का सिद्धांत भी पढ़ाया जायेगा।'

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इस कानून को  डोनाल्ड एग्वीलार्ड  (Donald Aguillard) नामक शिक्षक ने  चुनौती दी। यह कानून न केवल लूज़िआना के सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा, पर अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दिया गया। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय में, न्यायालय के मित्र के रूप में, एग्वीलार्ड के समर्थन में ७२ नोबल पुरस्कार विजेताओं ने, राज्य सरकार की १७ विज्ञान परिषदों और ७ अन्य विज्ञान संगठनों  ने,  अपने विचार रखे कि क्रिएशन-साइंस धार्मिक मत है।     

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने एडवार्ड बनाम एगिलार्ड (Edwards V Aguillard) (482 US 578 96 L Ed 2d 510) ने १९ जून,१९८७ को अपना निर्णय देते हुए कहा कि,
'The Louisiana Creationism Act advances a religious doctrine by requiring either the banishment of the theory of evolution from public School classrooms or the presentation of a religious viewpoint that rejects evolution in its entirety.
The Act violates the Establishment Clause of the First Amendment because it seeks to employ the symbolic and financial support of government to achieve a religious purpose.'
लूज़िआना 'सृजनवाद कानून' एक मज़हबी सिद्धांत को यह कहकर आगे बढ़ाता है कि, विकासवाद के सिद्धांत को न पढ़ाया जाए और यदि पढ़ाया जाए तो मज़हबी दृष्टिकोण भी बताया जाए जो कि विकासवाद को नकाराता है।
यह कानून पहले संशोधन का इसलिए उल्लंघन करता है क्योंकि यह एक तरह से मज़हब के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध कराने की चेष्टा करता है।

मज़हबी कट्टरवादियों ने हार नहीं मानी। उन्होनें अपना पैंतरा बदल दिया। अब उन्होंने क्या रास्ता अपनाया यह अगली बार।

Creationism Pictures, Images and Photos


डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े 
भूमिका।। डार्विन की समुद्र यात्रा।। डार्विन का विश्वास, बाईबिल से, क्यों डगमगाया।। सेब, गेहूं खाने की सजा।। भगवान, हमारे सपने हैं।। ब्रह्मा के दो भाग: आधे से पुरूष और आधे से स्त्री।। सृष्टि के कर्ता-धर्ता को भी नहीं मालुम इसकी शुरुवात का रहस्य।। मुझे फिर कभी ग़ुलाम देश में न जाना पड़े।। ऐसे व्यक्ति की जगह, बन्दरों से रिश्ता बेहतर है।। विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है।। समय की चाल - व्यवस्था से, अव्यवस्था की ओर।। मैंने उसे थूकते हुऐ देखा है।। यदि विकासवाद जीतता है तो इसाइयत बाहर हो जायगी।। विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं।। सृजनवाद धार्मिक मत है विज्ञान नहीं है।।






About this post in Hindi-Roman and English
is chitthi mein Edwards V Aguillard mukdme kee charchaa hai. ismen court ne kahaa kee srijanvaad darmik mat hai na kee vigyaan. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is about Edwards V Aguillard where court has held that creationism is religious view point and science. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक चिन्ह






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Wednesday, September 23, 2009

आट्टूकल पोंगाला - क्या कोई आचित्य है

त्रिवेन्द्रम के आट्टूकल भगवती मंदिर में पोंगाला चढ़ाया जाता है। इस चिट्ठी में उसी की चर्चा है।
 
यह चित्र इस मंदिर की वेबसाइट से लिया गया है जहां से आप अंग्रेजी में इसके इतिहास के बारे में पढ़ सकते हैं।

हम लोग कुमाराकॉम से लगभग सवा ग्यारह बजे त्रिवेन्द्रम के लिए निकले थे। वहाँ से त्रिवेन्द्रम पहुंचने के लिए लगभग चार घण्टें लगते है। लेकिन उस दिन त्रिवेन्द्रम के आट्टूकल भगवती मन्दिर में, पोंगाला (चावल की खीर), वहीं बना कर चढ़ायी जाती है। यह कार्य केवल महिलाएं ही करती हैं। वहां महिलाओं का मेला था।

त्रिवेन्द्रम पहुंचते-पहुंचते यह त्योहार समाप्त हो रहा था और सब महिलाएं वापस जा रहीं थी।  लौटकर जाने वाली हर कार, प्रत्येक बस, में केवल महिलाएँ थीं। वे केरल की पारंपरिक साड़ी जो   सफेद या हल्के पीले रंग की होती है, पहने थी। इनमें सुनहरा बार्डर था। वे लाल कथई रंग का ब्लाउज पहने हुई थीं। हम लोग इनके ट्रैफिक जैम में फंस गये।  हम त्रिवेन्द्रम में अपने होटेल में  शाम को साढ़े पाँच बजे ही पहुंचे पाये।

हम लोगों ने अगले दिन अखबार में पढ़ा कि लाखों महिलाओं ने इस त्योहार में आट्टूकल भगवती मंदिर में पोंगाला चढ़ाया। इन महिलाओं में २००८ मिस वर्ल्ड की रनर्स् अप पार्वती ओमनकुट्टन भी थीं।

पोंगाला बनाती हुई, पार्वती ओमनकुट्टन का यह चित्र 'द हिन्दू' अखबार के इस वेब पेज से है

मुझे एक बात अजीब लगी। मुझे ऐसा आभास हुआ कि उस दिन बहुत मात्रा में खीर बर्बाद हो जाती है। इसकी पुष्टि वहां पर लोगों ने की। यदि यह सच है तो जिस देश के करोड़ों लोगों को खीर खाना तो दूर, देखना न नसीब हो - वहां इस तरह के उत्सव या त्योहार का क्या कोई औचित्य है।
 

 यह चित्र सुब्रमनयम जी की इस चिट्ठी से है। वहीं पर इस इस त्योहार के बारे में हिन्दी में सूचना है। यह चित्र, उपर मेरी कही बात की तरफ भी इशारा करता है। 

कुछ समय पहले, लोगों ने एक दिन यह कहना शुरू किया कि गणेश जी की मूर्ति दूध पी रही है। यह वास्तव में पृष्ट तनाव (surface tension) के कारण हो रहा था। कई लोग विज्ञान की बारीकी नहीं समझ पाते थे। उन्हें, मैं यह कह कर समझाता था कि जिस देश के करोड़ों बच्चों को एक बूंद दूध न मिले, वहां के भगवान इतना दूध क्यों और कैसे पी सकते हैं।  कुछ ने समझा, पर बहुतों ने नहीं। 

बहुत से  उत्सवों और त्योहारों के दौरान, नदी या समुद्र में विसर्जन किया जाता है। मेरे विचार से उत्सवों और त्योहारों में इस तरह की परम्परा का कोई औचित्य नहीं है। यह प्रदूषण फैलाता है। हमें बदलना चाहिये।

त्रिवेन्दम में, हमें  के.टी.डी.सी. के होटल समुद्र में ठहरना था। वहाँ वहां पर उदय समुद्र होटल भी है। मैंने अपने एक मित्र से बात की थी कि हम कहां रुके। उसका  कहना था, 
‘समुद्र, के.टी.डी.सी. का चार स्टार  होटल है।  यहां से समुद्र का दृश्य बहुत सुन्दर दिखायी पड़ता है।  उदय समुद्र, तीन स्टार का होटल है। तुम्हे,  समुद्र में ही रूकना चाहिए।‘
प्रवीण का कहना था,
'यह सच है कि उदय समुद्र तीन स्टार होटल है। लेकिन, इस समय वह पाँच स्टार होटल की सुविधाऐं दे रहा है और हमें उदय समुद्र में ही रूकना चाहिए था क्योंकि वहाँ की सर्विस ज्यादा अच्छी है।‘
समुद्र होटल पहुंचते ही हम लोगों को प्राइवेट और सरकारी होटल का अन्तर समझ में आ गया।

समुद्र होटल से दृश्य बहुत सुन्दर था पर वहाँ की सर्विस  अच्छी नहीं थी। इसके पहले दो जगह हम लोग ताज ग्रुप के होटल में रुके थे। वहाँ पर  युवक और युवतियाँ थी। वे  जब भी हमसे  मिलते थे, हमेशा गुड-मॉर्निंग, गुड-आफटर-नून, या  गुड-इवनिंग कहते थे, हमेशा मुस्कुराते रहते थे। होटल समुद्र पर सारा काम सरकारी था।  वहां के लोगों में मुस्कुराहट नहीं थी। उनका चेहरा उदासी से भरा हुआ था।  उनमें   कोई जोश भी नहीं लगता था। हम,  जिस कमरे में ठहरे हुए थे वह कमरा भी ताज के होटल के  कमरों से कुछ छोटा था। इसके बाथरूम का फलश और सिंक टूटा था।  पानी भी  अच्छी तरीके से नहीं आ रहा था। यहां पर उस तरीके से भी सुविधाऐं नहीं थी जैसा कि ताज के होटलों में  थी।  हमें  लगा कि आगे से सरकारी होटल की जगह, प्राइवेट होटल में रूकना ज्यादा अच्छा है।

समुद्र तट सार्वजनिक होते हैं। अगली बार, त्रिवेन्दम के समुद्र तट के साथ, इसी विषय पर बात करेंगे।


कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा
 क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें।। भारतीय महिलाएं, साड़ी पहनकर छोटे-छोटे कदम लेती हैं।। पति, बिल्लियों की देख-भाल कर रहे हैं।। कुमाराकॉम पक्षीशाला में।। क्या खांयेगे - बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट।। आखिरकार, हमें प्राइवेट और सरकारी होटल में अन्तर समझ में आया।।


हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi

सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
  • सृजनवाद धार्मिक मत है, विज्ञान नहीं है:
  • विकासवाद को पढ़ाने से मना करने वाले कानून - गैरकानूनी हैं:  
यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
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  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
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बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।














यात्रा विवरण पर लेख चिट्ठे पर अन्य चिट्ठियां



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trivandum mein attukal devi ke mandir mein pongal charhayaa jaataa hhai. is chitthi mein usee kee charchaa hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


Pongal is offered in temple of Attukal devi in Trivandum. This post talks about the same. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
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Saturday, September 19, 2009

जो वायदा किया, वो निभाना पड़ेगा

इस चिट्ठी में सॉफ्टवेयर फ्रीडम डे और लोकप्रिय  ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर  के बारे में चर्चा है।
'अरे उन्मुक्त जी कौन सा वायदा,  किसने किया,  कब किया?'
अरे, वही वायदा, जो आपने, हिन्दी चिट्ठाजगत ने - अपने आप से किया था। आज सितम्बर माह का तीसरा शनिवार है। इस दिन प्रत्येक साल, सॉफ्टवेयर मुक्ति दिवस (Software Freedom Day) बनाया जाता है। याद नहीं, आपने वायदा नहीं किया था कि आज के दिन से, कम से कम, आप एक ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना शुरू करेंगे। अरे इस दिवस के बारे में, मैंने पिछले सालों में,  'आइम् लविंग इट' और 'मुक्त सॉफ्टवेयर दिवस' शीर्षक से बताया था। लगता है कि आप भूल गये। 

चलिये, कोई बात नहीं। मैं पुनः कुछ मुक्त सॉफ्टवेयरों के बारे चर्चा करता हूं जिन्हें आप बहुत आसानी से  विंडोज़ पर इस्तेमाल कर सकते हैं। यह लिनेक्स पर भी चलते हैं। पहले आप इन्हें विंडोज़ पर प्रयोग कीजिये फिर जब मन आये तब लिनेक्स शुरू कर दीजियेगा। ठीक, अब वायदा पक्का, थम्ब प्रॉमिस (thumb promise),  याद रखेंगे न।


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सबसे पहले मॉज़िला के तीन बेहतरीन मुक्त प्रोग्राम के बारे में बात करते हैं।  यह तीनो मॉज़िला पब्लिक लाइसेन्स, जो कि एक ओपेन सोर्स लाइसेन्स है, के अन्दर प्रकाशित हैं। 
  • फायरफॉक्स: यह अन्तरजाल पर सबसे बेहतरीन वेब ब्रॉउज़र है। मैं सारे काम इसी पर करता हूं। अपने चिट्ठे, पॉडकास्ट इसी पर करता हूं। आपकी चिट्ठियां भी इसी पर पढ़ता हूं। इसमें पहले हिन्दी के साथ कुछ मुश्किल थी पर अब नहीं।
  • थंडरबर्ड: यह ई-मेल भेजने और प्राप्त करने के सॉफ्टवेर है। मैं आपकी ईमेल इसी पर प्राप्त करता हूं और इसी से आपको ईमेल लिखता हूं।  इसमें चिट्ठों की आरएसएस फीड भी स्थापित की जा सकती है। मैंने पहले इसी पर फीड स्थापित कर चिट्‌ठों को पढ़ता था।
  • सनबर्ड: यह ई-मैनेजर है। यह आपको प्रिय जनों का जन्मदिन, शादी की सालगिरह की याद दिलाता है। मैंने अपने मित्रों, सहयोगियों का जन्मदिन, शादी की सालगिरह इसी पर नोट कर रखी है। उन्हें हमेशा आश्चर्य होता है कि मैं कैसे उन सब का जन्मदिम और शादी की सालगिरह याद रखता हूं। बस, इसका यही राज है। इसे आप अलग से या फिर थंडरबर्ड या फायरफॉक्स के साथ स्थापित कर चला सकते हैं। मैंने इसे  थंडरबर्ड के साथ स्थापित कर रखा है।

मैं कार्यलाय से संबन्धित सारे कार्य ओपेनऑफिस डाट कॉम के आफिस स्वीट में करता हूं।मुझे इसमें या एमएस वर्ड में कोई अन्तर नहीं लगता यह उतना ही अच्छा है। बस इसका फायदा यह है कि यह मुफ्त है। इसमें कई प्रोग्राम हैं
  • राइटर: इसका प्रयोग मैं लिखने के लिये करता हूं। मैं अपनी सारी चिट्ठियां, समय की सुविधा के अनुसार ऑफलाइन पर लिख लेता हूं। इसके बाद धीरे धीरे कड़ियों पर उन्हें अपने चिट्ठों पर डालता हूं। इसमें एक बेहतरीन सुविधा है कि यह न केवल आपकी फाइलों को पीडीएफ मानक में बदल सकता है पर यह पीडीऐफ फाइलों को संशोधित भी कर सकता है। मेरा काम लिखने से संबन्धित है। यह सारे मैं इसी पर करता हूं। मैंने कुछ पुस्तकें अंग्रेजी में लिखी हैं। सौभाग्य से इनके कई संस्करण भी निकलें हैं। यह सारे मैंने इसी पर किये हैं। मुझे इसमें कभी भी कोई मुश्किल नहीं हुई। यह डिफॉल्ट में मुक्त मानक में फाइलों को सुरक्षित करता है। लेकिन आप चाहें तो किसी भी अन्य मानक या  एमएस वर्ड के डिफॉल्ट मानक डॉक पर भी फाइलें सुरक्षित कर सकते हैं। आप अपने एमएस वर्ड पर काम करने वाले मित्र को उसी के मनचाहे मानक पर फाइलें भेज सकते हैं या फिर उनसे सन-माइक्रोसिस्टम का यह मुफ्त प्लग-इन डाउनलोड कर अपने एमएस वर्ड के प्रोग्राम में स्थापित करने के लिये कह सकते हैं ताकि यह मुक्त मानक की फाइलों को पढ़ सकें।
  • इम्प्रेस: मुझे  अकसर सम्मेलन में या फिर विद्यार्थियों के बीच बोलने का मौका मिलता है। मैं प्रस्तुतिकरण (presentation) के लिये इसी का प्रयोग करता हूं। मेरे सुनने वालों ने कभी नहीं कहा कि मेरा प्रस्तुतिकरण किसी प्रकार भी पावर पॉइंट पर बने प्रस्तुतिकरण से कम अच्छा है। मैं सुविधा के लिये अपने प्रस्तुतिकरण की एक फाइल पीपीटी मानक और पीडीएफ मानक पर भी बना कर ले जाता हूं। यह सुविधा भी इसमें है। 
  • इसके अतिरक्त कार्यालय के अन्य तरह के काम करने के लिये चार अन्य प्रोग्राम, मैथ, कैल, ड्रॉ, और बेस भी हैं। जिन पर बाकी सारी तरह की फाडलें बना सकते हैं। मुझे उनका प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिये मैं उनके बारे में नहीं लिख पा रहा हूं। आप  लिख सकतें हों तो क्या बात है। 


मल्टीमीडिया और चित्रों के लिये ओपेन सोर्स में बेहतरीन प्रोग्राम हैं।
  • वीएलसी मीडिया प्लेयर और एमप्लेयर: आप इन दोनो प्रोग्राम में ऑडियो और वीडियो के प्रत्येक प्रकार के मानकों की फाइलों को सुन सकते हैं। मैं इसी पर सुनता या देखता हूं।
  • ऑडेसिटी: इस प्रोग्राम में, ऑडियो फाइलों को सुना, संपादित, और रिकॉर्ड किया जा सकता है। मैं अपनी बकबक (मेरे पॉडकास्ट), इसी पर रिकॉर्ड करता हूं। इसमें एमपी-३ पइलों के लिये प्लग-इन डालना होता है। यह करने में कोई मुश्किल नहीं होती है। आप  एमपी-३ मानक में भी रिकॉर्ड कर सकते हैं। किसी भी मानकों की फाइलों को दूसरे मानक में बदल सकते हैं। मैं अपने पॉडकास्ट ऑग मानक पर रिकॉर्ड करता हूं। पॉडभारती में मेरे दो पॉडकास्ट 'स्कॉट की अन्तिम यात्रा' और 'पापा क्या आप उलझन में हैं' को पुनः यहां और यहां प्रकाशित किया है। वे एमपी-३ मानक में हैं। मेरे विचार से यह उन्होंने, इसी प्रोग्राम का प्रयोग कर किया है।
  • गिम्प: इस प्रोग्राम का प्रयोग चित्रों को संपादित करने के लिये कया जाता है। इसमें आप चित्रों सम्पादित और उनका पिक्सल कम कर सकते हैं। चिट्ठों पर चित्र डालते समय उन्हें अक्सर सम्पादित करना पड़ता है। क्योंकि यदि चित्र के किसी भाग का महत्व उस चिट्ठी के लिये नहीं है तो उसे रखने की कोई जरूरत नहीं। चिट्ठों पर चित्रों  को हमेशा पिक्सल कम करके डालना चाहिये। इससे चिट्ठा और वह चिट्ठी दोनो जल्दी लोड होती हैं।  यह  काम मैं इसी पर करता हूं। 
यदि आप और मुक्त सॉफ्टवेयर के प्रोग्रामों के बारे में जानना चाहें तो आप मेरी बिटिया को लिखी चिट्ठी 'ओपेन सोर्स की पाती - बिटिया के नाम' पर या फिर 'वेलेंटाइन दिवस, ओपेन सोर्स के साथ मनायें' चिट्ठी पर पढ़ सकते हैं।
linux Pictures, Images and Photos
'उन्मुक्त जी, जब बाज़ार में सारे प्रोग्राम दस रुपये की सीडी में मिल जाते हैं तो फिर   ओपेन सोर्स के टंटे करने का क्या फायदा?'
सवाल तो वाज़िफ है। मैं जवाब देने की कोशिश करता हूं।
  • मैं लिनेक्स और ओपेन सोर्स प्रोग्राम का प्रयोग इसलिये करता हूं क्योंकि मैं चाहता हूं सब इनका प्रयोग करें। यह धुर सत्य है, आप जैसी  दुनिया चाहो, वैसा स्वयं बनो। 
  • महात्मा गांधी ने एक बार कहा, 'साधन, अन्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।' यह बात यहां भी लागू होती। इसके लिये मैं उलझन में नहीं रहता
  • न केवल बच्चे, पर हम सब व्यवहार से सीखते हैं न कि उपदेश से। इस पर काम करने से 'एक घन्टा, एक मिनट लगता है' :-)
  • इनका प्रयोग करने के कारणों में, सबसे मुख्य बात यह है कि इनका प्रयोग करने में कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं होता और यह मुफ्त हैं। इसका प्रयोग आप अपनी अन्तरात्मा को बिना गिरवी रखे कर कर सकते हैं।
  • आपने पंचतंत्र की  कछुवा और खरगोश की कहानी तो सुनी होगी। इसमें, आजकल  बदलाव हो हो गया है। यह बदलाव ओपेन सोर्स के करीब है। आपको नहीं मालुम तो यहां पढ़ लीजिये।
  • यही वह जगह जहां पेंग्युन भी उड़ सकती हैं
  • आपको तो मालुम ही है कि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का सबसे जाना माना प्रोग्राम लिनेक्स है और इसे प्रयोग करने वाले पुरुष तो खास होते हैं। वे न केवल जोशीले और उत्साही होते हैं पर उन्हें महिलायें भी अधिक पसन्द करती हैं। पुरुष पाठक समय न गवायें,  तुरन्त खुद ही यहां पढ़ें। 
  • क्या कहा, आप पुरुष नहीं, महिला हैं।  कोई बात नहीं। अब वह सुबकने वाली, पुरुषों का साया ढ़ूढ़ने वाली महिला कहां रह गयी है। महिला तो आज की दुर्गा है उसका सशक्तिकरण हो चुका है। वे पुरुषों से किसी क्षेत्र में कम नहीं, फिर देर किस बात की - शुरू करिये प्रयोग करना ओपेन सोर्स के प्रोग्राम।

मैं जानता हूं कि आप यहां ओपेन सोर्स का भाषण सुनने नहीं आये हैं। आप तो आये हैं ताजमहल के प्यारे से गाने को सुनने के लिये जो इस चिट्ठी का शीर्षक है। लीजिये वह भी सुन लीजिये। लेकिन इस गाने कुछ को इस तरह से समझियेगा,
जो वायदा किया, वो निभाना पड़ेगा।
रोके तुम्हारा डर चाहे,
तुमको मुक्त सॉफ्टवेयर प्रयोग करना पड़ेगा
हो वायदा किया है तुमने,  
मुक्त सॉफ्टवेयर प्रयोग करने का।
वह वायदा तो तुम्हें निभाना पड़ेगा, निभाना पड़ेगा।



जब आप में से अधिकांश यह चिट्ठी पढ़ रहे होंगे तो मैं अपने कस्बे से दूर, कुछ दिनो तक हिमाचाल, हरियाणा, और पंजाब के दौरे पर रहूंगा। मेरा अपने आप से वायदा है कि मैं लैपटॉप न ले जाउं और इस काल्पनिक दुनिया से दूर रहूं। देखता हूं कि इसमें सफल रहता हूं कि नहीं। 

 मेरी 'केरल यात्रा' एवं 'डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े'  श्रंखलायें समाप्त हो रही हैं।  बहुत जल्द, मैं आपको नयी श्रंखलाओं  पर ले चलूंगा। इनमें से एक ऐसे उपन्यास और उससे जुड़ी कहानियों के बारे में है जो न केवल २०वीं शताब्दी के उत्कृष्ट अमेरिकन साहित्य में गिना जाना जाता है पर,  मेरी बिटिया के अनुसार, जिसे अमेरिका के कॉलेज जाने वाले प्रत्येक विद्यार्थी ने कम से कम एक बार पढ़ा है। दूसरा हो सकता है कि मैं आपको कुल्लू मनाली की यात्रा पर ले चलूं। 
 






मुक्त सॉफ्टवेयर से संबन्धित अन्य चिट्ठियां




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Friday, September 11, 2009

विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं

डार्विन के विकासवाद सिद्धांत को पढ़ाने पर स्कोपस् के विरूद्व बीसवीं शताब्दी में दाण्डिक मुकदमा चला। इसे मन्की ट्रायल (Monkey trial) के रूप में भी जाना जाता है। पिछली बार, हमने इसी की चर्चा की थी। इस बार चर्चा करेंगे उस मुकदमें जिसने इस फैसले से मिली शर्म को दूर किया। 
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सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें। यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम लिखा है वहां चटका लगायें। इन्हें डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।


मंकी ट्रायल का फैसला लगभग चालिस साल तक लागू रहा। अमेरिका के कई राज्यों में, डार्विन के विकासवाद  सिद्धांत को पढ़ाने से मना करने वाले कानून चलते रहे।  ऐरकेनसाज़  (Arkansas) भी अमेरिका का  राज्य है। इसमें भी इस तरह का कानून था।  

 सूसन एपर्सन, लिटिल रॉक (पुलास्की कॉउंटी) के सेन्ट्रल हाई स्कूल {Central High School in Little Rock (Pulaski County)} में जीव विज्ञान की अध्यापिका थीं। उन्होंने डार्विन के विकासवाद  सिद्धांत को पढ़ाने से मना करने वाले कानून को चुनौती दी।

 सूसन एपर्सन का यह चित्र यहां से लिया गया है।

अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय  ने  इस कानून को सर्वसम्मति से एपर्सन बनाम ऎरकेनसाज़ (Epperson V Arkansas:  393 US 97: 21 LEd 2d 228) में गैरकानूनी  ठहराया। न्यायालय ने दिनांक १२ नवम्बर, १९६८  के फैसले में  कहा, 
'Arkansas' law cannot be defended as an act of religious neutrality. Arkansas did not seek to excise from the curricula of its schools and universities all discussion of the origin of man. The law's effort was confined to an attempt to blot out a particular theory because of its supposed conflict with the Biblical account, literally read. Plainly, the law is contrary to the mandate of the First, and is violation of the Fourteenth, Amendment to the Constitution.'

ऐरकेनसाज़ राज्य के कानून का बचाव, यह कह कर नहीं किया जा सकता है कि यह मज़हब निष्पक्षता का प्रतीक है। यह कानून अपने राज्य में प्राणियों के उत्पत्ति के बारे में पढ़ाने के लिए नहीं मना करता है। यह कानून उस सिद्धांत को पढ़ाने के लिए मना करता है जो बाईबिल के विरूद्ध है। यह न केवल पहले पर चौदहवें संशोधन के अन्दर असंवैधानिक है।

इस मुकदमें के निर्णय के साथ, अमेरीकी न्यायालय ने अपने ऊपर लगे धब्बे को साफ किया। लेकिन अमेरिका में इस ईसाई धर्म के अनुयायी लोगों ने, अपनी बात को कानूनी  जामा पहनाने का दूसरा रास्ता अपनाया। क्या था यह रास्ता क्या उसमें सफलता मिली -  अगली बार, हम लोग उसी की चर्चा करेंगे।

डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े 
भूमिका।। डार्विन की समुद्र यात्रा।। डार्विन का विश्वास, बाईबिल से, क्यों डगमगाया।। सेब, गेहूं खाने की सजा।। भगवान, हमारे सपने हैं।। ब्रह्मा के दो भाग: आधे से पुरूष और आधे से स्त्री।। सृष्टि के कर्ता-धर्ता को भी नहीं मालुम इसकी शुरुवात का रहस्य।। मुझे फिर कभी ग़ुलाम देश में न जाना पड़े।। ऐसे व्यक्ति की जगह, बन्दरों से रिश्ता बेहतर है।। विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है।। समय की चाल - व्यवस्था से, अव्यवस्था की ओर।। मैंने उसे थूकते हुऐ देखा है।। यदि विकासवाद जीतता है तो इसाइयत बाहर हो जायगी।। विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं।।



About this post in Hindi-Roman and English
vikaasvadd padhhaane ke kanoon ko, Eperson banaam Arkansas ke nirnay mein gair-kanooni ghoshit kiya gayaa. is chitthi mein isee kee charchaa hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

Anti-evolution laws were declared unconstitutional in Epperson V Arkansas. This post talks about the same.  It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक चिन्ह
Epperson V Arkansas, Epperson V Arkansas



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Sunday, September 06, 2009

क्या खांयेगे - बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट

केरल में, बीफ, काफी खाया जाता है। इसका आभास हमें कुमारकॉम से त्रिवेन्दम जाते समय, रास्ते में हुआ। इसी की चर्चा इस चिट्ठी में है।
इस यात्रा के दौरान, कन्याकुमारी में विवेकानन्द रॉक मेमोरिएल से समुद्र का चित्र