Friday, October 09, 2009

'इंटेलिजेन्ट डिज़ाईन' - सृजनवादियों का नया पैंतरा

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय से दो बार हार जाने के बाद भी मज़हबी कट्टरवादियों ने हार नहीं मानी। उन्होनें अपना पैंतरा बदल दिया। इस चिट्ठी में उनकी इस चाल और उस पर टैमी किट्ज़मिलर बनाम डोवर एरिया स्कूल डिस्ट्रिक्ट मुकदमें में हुऐ फैसले की चर्चा है। 
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें। यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम लिखा है वहां चटका लगायें। इन्हें डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।

मज़हबी कट्टरवादियों ने १९८९ में एक पुस्तक प्रकाशित की। इसका नाम 'ऑफ पांडास्  एण्ड पीपल' है। इसमें सिद्वान्त तो सृजनवाद का ही है पर सृजनवाद की जगह 'इंटेलिजेन्ट डिज़ाईन' (Intelligent Design) शब्द का प्रयोग किया गया है। इन लोगों ने स्कूलों को निम्न तरह की यह  नीति निर्णय लेने के लिए बाध्य किया,
'The Pennsylvania Academic Standards require students to learn about Darwin’s Theory of Evolution and Case eventually to take a standardized test of which evolution is a part.
Because Darwin’s Theory is a theory, it continues to be tested as new evidence is discovered. The Theory is not a fact. Gaps in the Theory exist for which there is no evidence. A theory is defined as a well-tested explanation that unifies a broad range of observations.
Intelligent Design is an explanation of the origin of life that differs from Darwin’s view. The reference book, Of Pandas and People, is available for students who might be interested in gaining an understanding of what Intelligent Design actually involves.
With respect to any theory, students are encouraged to keep an open mind. The school leaves the discussion of the Origins of Life to individual students and their families. As a Standards-driven district, class instruction focuses upon preparing students to achieve proficiency on Standards-based assessments.'

Intelligent design protest Pictures, Images and Photos

'स्कूल में   डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत पढ़ाया जा सकता है। लेकिन शिक्षक उसको पढ़ाने के पहले विद्यार्थियों को बतायें कि यह केवल सिद्धांत है और इस सिद्धांत का कोई तथ्य नहीं है।
इंटेलीजेंट डिज़ाइन सिद्धांत भी प्राणियों की उत्पत्ति के बारे में बताता है और यह डार्विन के विकासवाद से भिन्न है। इस बारे में 'ऑफ  पांडास एण्ड पीपल' नामक पुस्तक  विद्यार्थियों  के लिए उपलब्ध है जो इस सिद्वान्त के बारे में बताती है।
विद्यार्थियों से कहा जाता है कि वे अपने मस्तिष्क को खुला रखे।  इस बारे में, विद्यालय विद्यार्थियों को उनके एवं परिवार के विवेक पर छोड़ते है।'

यह नीति बहुत सारे स्कूलों में लागू कर दी गयी।  कुछ अभिभावकों ने इस नीति निर्णय को न्यायालय के समक्ष चुनौती दी।

दो बेटियों की मां, टैमी किट्ज़मिलर २६ सितम्बर २००५ में, हैरिसबर्ग पैनिसलवेनिया के न्यायालय से बाहर आती हुईं - चित्र कैरलिन कैस्टर/ एपी फोटो Carolyn Kaster/ AP Photo


अमेरिका के पेन्सिलवेनिया राज्य के परीक्षण न्यायालय ने, टैमी किट्ज़मिलर बनाम डोवर एरिया स्कूल डिस्ट्रिक्ट मुकदमें में, दिनांक २० दिसम्बर,२००५ को अपना फैसला देते हुऐ घोषणा की,
'A declaratory judgement is issued in favour of Plaintiff ... that Defendant's [School's] policy violates the First Amendment of the Constitution of the United States and Article 1& 3 of the Constitution of the Commonwealth of Pennsylvania.
... Defendants are permanently enjoined from maintaining ID Policy in any school within Dover Area District.'  
यह नीति अमेरिका के प्रथम संशोधन का उल्लघंन करती है, और असंवैधानिक है।
विपक्ष पक्ष को आदेशित किया जाता है कि वे इस नीति को डोवेर क्षेत्र के किसी भी स्कूल में  लागू न करें।
Creationism Pictures, Images and Photos

नवम्बर २००५ में डोवर स्कूल बोर्ड़ के सदस्यों का चुनाव हुआ। इस  चुनाव में इंटेलीजेन्ट डिज़ाइन नीति के पक्ष में वोट दिये जाने  वाले सारे सदस्य नहीं चुने गये। नये सदस्यों के मुताबिक यह नीति  ठीक नहीं थी। उन्होनें इसे ठुकरा दिया।


क्या कट्टरवादियों ने हार मान ली या कुछ नया राग छेड़ दिया - यह अगली बार। 

डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े 
भूमिका।। डार्विन की समुद्र यात्रा।। डार्विन का विश्वास, बाईबिल से, क्यों डगमगाया।। सेब, गेहूं खाने की सजा।। भगवान, हमारे सपने हैं।। ब्रह्मा के दो भाग: आधे से पुरूष और आधे से स्त्री।। सृष्टि के कर्ता-धर्ता को भी नहीं मालुम इसकी शुरुवात का रहस्य।। मुझे फिर कभी ग़ुलाम देश में न जाना पड़े।। ऐसे व्यक्ति की जगह, बन्दरों से रिश्ता बेहतर है।। विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है।। समय की चाल - व्यवस्था से, अव्यवस्था की ओर।। मैंने उसे थूकते हुऐ देखा है।। यदि विकासवाद जीतता है तो इसाइयत बाहर हो जायगी।। विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं।। सृजनवाद धार्मिक मत है विज्ञान नहीं है।। 'इंटेलिजेन्ट डिज़ाईन' - सृजनवादियों का नया पैंतरा।।


About this post in Hindi-Roman and English
is chitthi mein Tammy Kitzmiller V Dover Area School District mukdme kee charchaa hai. ismen court ne oos neeti ko gairkanoonee ghoshit kar diya jismen intelligent design ko pdhaane ka nirnay liya gayaa thaa. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is about Tammy Kitzmiller V Dover Area School District where the court has declared the policy to teach intelligent design as unconstitutional. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक चिन्ह
Hindi,।
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8 comments:

  1. बड़ा रोचक है। कट्टरवाद/विकासवाद का यह युद्ध चर्च सदैव हारता नजर आता है!

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  2. कट्टरवादियों को अंततः हारना तो है ही।

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  3. हमें पहले भ्रम था की कट्टरवाद केवल कठमुल्लाओं तक ही सीमित है परन्तु ऐसी जानकारियों ने हमें हताश कर दिया. अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा.

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  4. क्या कहें.

    एक अपुष्ट सर्वे में यह पता चला कि अधिकांश भौतिकविद भीतर-ही-भीतर यह मानते हैं कि ईश्वर ने यह कॉसमोस सात दिनों में बनाया है. वस्तुतः, पदार्थ और चेतना को सम्बद्ध करने के सभी प्रयास, चाहे वे तत्व्मीमान्सकों के हों या क्वांटम शास्त्रियों के, मुंह के बल गिरे हैं. ऐसे में मन सहज ही उस युक्ति को मानने पर विवश हो जाता है जो तर्कसंगत नहीं है लेकिन पोपुलर है. ये एक refuge है, politically correct.

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  5. यह मामला सुलझने वाला नहीं है ! कई वैज्ञानिक भी सृजन्वादियों के खेमे में आ गए हैं !

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  6. आज से पचास साल बाद की दुनिया सोचता हूँ.. क्या सब वैसा ही रहेगा या कुछ बदलेगा ? कट्टरवाद तब भी होगा या नहीं ?

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  7. यह तर्क वितर्क सतत चलने वाली प्रक्रिया है।
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  8. बहुत रोचक तथ्य. कट्टरवाद का खात्मा तो शायद कभी होगा नहीं..

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