Wednesday, June 15, 2011

मैं आमिर खान हूं

इस चिट्ठी में, महाबलिपुरम में हमारे गाइड लक्षमन की चर्चा है।
 

हमारे गाइड लक्षमन हमें समुद्र के किनारे स्थित मन्दिर घुमाते हुऐ


पॉन्डिचेरी से लौटते समय हम लोग महाबलीपुरम देखने का कार्यक्रम बनाया। यहां पर ७ से ९वीं शताब्दि में पत्थरों पर बने हुऐ समारक चिन्ह हैं। इन्हें युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। इन्हें दिखाने के लिये, हम लोगों ने गाइड लिया, जिसका नाम लक्ष्मण था। उसने हम लोगों से तीन जगहें दिखाने के लिए २५०/-रूपया लिये। 

लक्षमन ने बताया,
'महाबलीपुरम में पत्थरों पर किया गया काम, पल्लव राजवंश के द्वारा  किया गया है। पल्लवों की ईष्ट देवी काली हुआ करती थी। यह बली मांगती थी और इसीलिए इसका नाम महाबलीपुरम पड़ा।
यहां पर विदेशों से बहुत से पर्यटक आते हैं और सरकार को लगा कि महाबलीपुर शायद एक अच्छा नाम न हो। यहां पर पल्लव राजवंश के पहले राजा नरसिंह वर्मा थे। वे बहुत अच्छी कुश्ती करने वाले थे। इसीलिए इसका नाम मम्लापुरम कर दिया गया है।'

मैंने इस बारे में कुछ और जानने का प्रयत्न किया तो यह पता चला कि
  • एक मिथक यह भी है कि इस जगह को महाबालि ने स्थापित किया इसलिये इसका नाम महाबालिपुरम पड़ा। हांलाकि, वहां पर, भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के द्वारा मिली पुस्तक में, इस बात को नकार दिया गया है;
  • पल्लव हिन्दू थे और समय की रस्म के अनुसार अश्वमेध (अथार्त अशवों की बलि) एवं अन्य वैदिक बलि, जैसा कि यजुरवेद में है, दिया करते थे।
इससे तो लक्षमन की ही बात सही लगती है।

लक्ष्मण ने बताया कि कुछ समय पहले, यहां एक व्यक्ति आया था जिसको कि उसने पांचो रथ दिखाये थे। उसके बाद उस व्यक्ति ने पूछा कि क्या आप मुझे पहचानते है। लक्ष्मण ने कहा,
'मैं तो नहीं पहचान पा रहा हूं पर आपका चेहरा कहीं देखा हुआ लगता है।'
इस पर  तब उसने कहा,
'मैं आमिर खांन हूं और यहां पर घूमने आया हूं'
लक्ष्मण ने यह भी बताया कि उन्होंने उसको एक अंगूठी भी दी जिसके बीच में यानी आमिर खांन लिखा है। इस अंगूठी को उसने दिखाया।

लक्ष्मण ने बताया,

'फिल्म 'थ्री इडिऎट' के रिलीज़ होने पर, आमिर खान ने उन्हें और उनकी पत्नी को को बम्बई बुलाया था। आने जाने का टिकट का किराया भी दिया था और एक पांच स्टार होटल में ठहराया था। इसके बाद, सबके साथ, उन्होंने फिल्म भी देखी थी।'
इस फिल्म के बारे में मैंने अपनी हिमाचल यात्रा में चायल पैलेस का जिक्र 'मेरे दिल में आज क्या है' नाम की कड़ी में चर्चा की थी, जहां इसका कुछ भाग फिल्माया गया था।

मैंने उनसे आमिर खांन के साथ चित्र दिखाने के बारे में बात की तो उनका कहना था चित्र नहीं है। इसलिए वह नहीं दिखा सकते हैं। लेकिन, यह बात सच लगती है क्योंकि जब मैंने इसके बारे में अन्तरजाल ढूंढ़ा तो कई जगह यह सूचना मिली कि आमिर खान थ्री इडिऎट का प्रचार करने के लिये कई जगह गये जिसमें एक जगह महाबलिपुरम भी थी जहां उनकी मुलाकात लक्षमन से हुई जो उन्हें नहीं पहचान पाये थे। आप भी इसे यहां  पढ़ सकते हैं।


आज-तक का यह विडियो देखिये जिसमें यह खबर है।

अगली बार हम लोग, लक्षमन के साथ, पांच रथ मंदिर देखने चलेंगे।

मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा 
हो सकता है कि लैपटॉप के नीचे चाकू हो।। कोबरा मेरे हाथ पर लिपट गया।। घोड़ा डाक्टर, गायों और भैंसों की लात खाते थे।। पॉन्डेचेरी फ्रांसीसी कॉलोनी थी।। शाम सुहानी लग रही थी।। महिलाएं बेवकूफ़ बन रही हैं।। पैंतालिस मिनट में पांच हजार लोगों का खाना।। यह स्कूल अनूठा है।। शिव ने पार्वती को चूम लिया।। अरबिन्दो के संपर्क के आने से पहले, मां की शादी हो चुकी थी।। मातृमन्दिर, ऑरोविल की आत्मा है।। ऑरोविल की  सबसे अच्छी बात - इसकी हरियाली।। हमें बहुत पैसा मिल रहा है।। मैं आमिर खान हूं।। यह गलत है कि हिन्दूओं ने मन्दिर नहीं तोड़े।।

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13 comments:

  1. गाइड सफलता के लक्षणों से समृद्ध लक्ष्‍मण.

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  2. लक्ष्मण जी को अच्छा तोहफा मिला.

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  3. चलिए लक्षमण आपको भी मिल गया ...आपने उसे २५० रूपये दिए ...
    महाबलीपुरम राजा बलि की स्मृति में दिया गया नाम लगता
    महाबलो ये न राजा बलि ...कहा गया है ...
    किसी विद्वान् दक्षिण भारतीय से पूछना पड़ेगा -
    अपने डॉ .जे सी फिलिप कैसे रहेगें ? आप उन्हें मेल करेगें या मैं ?
    देखिये मैंने फिर कंट्रोवर्सी पैदा कर दी -क्या करें ,कंट्रोल ही नहीं होता :)

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  4. आलेख सुंदर है. बल्लभ की जगह पल्लव उपयुक्त जान पड़ता है. पहले चित्र के बारे में कुछ जानने की उत्सुकता थी. मेरी जानकारी में मामल्लपुरम ही पुराना नाम रहा है.

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  5. तकरीबन १० वर्षों पूर्व महाबलीपुरम देखा था , स्मृतियाँ ताज़ा हो गयीं।

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  6. सुब्रमनियम जी, धन्यवाद। गलती सुधार ली है।

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  7. भूल्लकड गाईड है

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  8. उन्मुक्त जी ,
    बलि और बाली ये दो मिथकीय चरित्र हैं जिसमें समूचे दक्षिण भारत में दानव राजा बलि (या महाबलि=महाबली ) का बड़ा प्रभाव है -वहां के अनेक पर्व त्यौहार -ओणम आदि इन्ही महाराजा बलि की स्मृति में मनाया जाता है ...मिथक है कि बलि पाताल के राजा था और एक बार इनके घोर तप से इंद्र डर गए कि तप पूरा होते ही यह तो इन्द्रासन छीन लेगा -तब विष्णु ने वामन अवतार लेकर इनका तप भंग किया -बड़ी रोचक और लम्बी कहानी है -अंतर्जाल पर भी मिल जायेगी ..
    दूसरे हैं बाली जिसे राम ने युद्ध में छल से मार दिया था और यह भी बहुत पराक्रमी राक्षस राजा था .....इसका प्रभाव दक्षिण भारत में अपेक्षाकृत बहुत कम है क्योकि यह अत्याचारी और अनैतिक था -भाई (सुग्रीव ) की पत्नी को जबरदस्ती छीन लिया था ..
    अब आईये महाबलिपुरम पर -इसका अपना एक उलझाने वाला इतिहास रहा है -नाम में भी परिवर्तन शासकों द्वारा किया गया ....
    किन्तु कोई भी दक्षिण भारतीय जाक्कार व्यक्ति आपको इसका लिंक महाबलि से ही बतायेगा जिनको विष्णु ने परास्त किया था ....
    मैंने डॉ जे से फिलिप शास्त्री को महाबलिपुरम के नामकरण के पीछे की कथा पर अपना मत व्यक्त करने के लिए मेल भेजा था मगर उसका जवाब नहीं मिला है ..मैं यह जरुर कह दूं कि भारत और खासकर दक्षिण भारत के पर्यटन को तब तक आप अकादमीय दृष्टि से एन्ज्याय नहीं कर सकते जब तक कि भारत के मिथकों की आपको एक सरसरी जानकारी न हो -एक आम गाईड से हम ज्यादा उम्मीद नहीं कर सकते .....
    महाबलिपुरम का आरम्भिक नाम उसी पाताल लोक के राजा बलि से जुड़ा है यह मेरी (हायपो) थीसिस है !

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  9. अरविन्द जी, महाबलिपुरम में वहां के बारे में भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित पुस्तक खरीदी थी। उसमें महाबलि का इस जगह को स्थापित करने की बात या पांच रथ मन्दिर का संबंध महाभारत से होने की बात को नकारा गया है। इसलिये यही लगता है कि इसका महाबलि से कोई संबंध न होगा।

    इस पुस्तक में यह भी लिखा है,
    'The modern name Mahabalipuram is derived from Mamallapuram, "the city of Mamlla", a title of Marsimhavarman-I (circa 630-70) the great Pallav ruler of the seventh century, who was responsible the most of the rock-cut temples and carvings at the place'
    लेकिन यहां पर मुझे शब्द 'Mahabalipuram' के चयन में प्रकाशन की त्रुटि लगती है क्योंकि इसका आधुनिक नाम मम्लापुरम है न कि महाबालिपुरम।

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  10. अंतर्जाल स्रोत -

    प्राचीन नाम महाबलीपुरम था जो ऐसा समझा जाता है कि पल्लव राजा नरसिंहवर्मन -१
    जो कि एक मल्ल योद्धा थे के सम्मान में इसे ममल्ल्पुरम कर दिया गया ..
    मगर प्राचीन नाम ही आज भी ज्यादा प्रचलित है !

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  11. राजा नरसिंहवर्मन प्रथम, जैसा आपने कहा है, एक मल्ल योद्धा था और उसी की प्रतिष्ठामें मामल्लपुरम कहलाया. वह भी महा बलि था. वैसे प्राचीनकाल में स्थल का नाम महाबलीपुरम रहा हो, ऐसे कोई अभिलेखीय (उत्कीर्ण लेख) प्तमाण की मुझे जानकारी नहीं है. रोचक बात यह है की महाबली कुरुक्षेत्र में कहीं पाया जाता था.

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