Friday, July 08, 2011

भगवान को भी जलन होने लगी

इस चिट्ठी में, महाबलिपुरम में, समुद्र किनारे मन्दिर (sea shore temple) की चर्चा है।



आंग्ल यात्री जे गोल्डिंघम (J Goldingham), १७९८ में महाबलिपुरम आया था। उसने समुद्र के किनारे बसे इस शहर के बारे में लिखा है।
'जहाज के नाविक, इस शहर को सात मेरु मन्दिर (Seven Pagodas) के नाम से जानते हैं जिसके छः मन्दिर समुद्र के अन्दर हैं और केवल एक मन्दिर समुद्र के किनारे बचा है।
मिथक है कि, यह शहर इतना सुन्दर था कि भगवान को भी जलन होने लगी और उन्होंने समुद्र में इतना बड़ा तूफान भेजा कि एक ही दिन में इसके छः मन्दिर समुद्र में डूब गये।' 
समुद्र किनारे बचा हुआ मन्दिर,  सी शोर टेंपल (Sea Shore temple) के नाम से प्रसिद्ध है। हम इसे भी देखने गये।

लक्ष्मण ने बताया,

'यह ७ मंजिला  मंदिर है जिसमें ६ मंदिर समुद्र के अन्दर और आगे १४ किलोमीटर तक हैं। इसमें डेढ़ किलोमीटर तक पल्लव राजा का राज महल है। ये सब पानी में डूबे हुए हैं। पहले इस मंदिर में भी एक या दो फिट पानी रहता था और जब समुद्र की लहरें ऊंची होती थीं तो यह पूरा मंदिर उसी में डूब जाता था। जिसके कारण  मूर्तियां खराब हो रही थीं। लेकिन सरकार ने बांध बनवा दिया है जिसके कारण अब पानी नहीं आता है।
२००३ में इंग्लैण्ड से कुछ गोताखोर आये थे। उन्होंने पानी के अन्दर चित्र खींचे। जिससे पता चला कि वहां पर पानी के अन्दर राज महल है।'
लक्षमन के द्वारा बताया गया अन्वेषण, २००२ में हुआ था। इसके बारे में, बीबीसी की खबर यहां पढ़ सकते हैं।  

२००४ में, सुनामी के दौरान, महाबलिपुरम में, कुछ समय के लिये समुद्र का पानी ५०० मीटर अन्दर चला गया था। उस समय, पर्यटकों और वहां रहने वालों ने, पानी में डूबे मन्दिरों  को देखा। जब पानी वापस आया तो वे सब पानी के अन्दर चले गये। इसके बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं। 

सुनामी के बाद महाबलिपुरम में समुद्र के किनारे कुछ मुर्तियां बाहर निकल आयी हैं जो भी वहां पहले मन्दिरों के होने  की पुष्टि करती हैं। इसके बारे में, आप आउटलुक का लेख लेख पढ़ सकते हैं और नीचे मूर्तियों का चित्र भी आउटलुक के उसी पेज से है। 
सुनामी में बाहर निकली मूर्तियां - चित्र आउटलुक पत्रिका से


समुद्र के किनारे बचा हुआ मन्दिर, एक चट्ठान पर बना है। क्या मालुम बाकी छः मन्दिर रेत में बने हों और हज़ारों साल पहले सुनामी की तरह के तूफान में सब डूब गये हों। मन्दिरों के डूबने का मिथक, सदियों से चला आ रहा है और यह सच ही हो। 

यहां से, बाहर निकलते समय सबसे अच्छी बात यह लगी कि यहां का शौचालय बहुत साफ सुथरा था जो किसी भी शौचालय को मात देता है। आवश्यक्ता इस बात की है कि हम इतने साफ शौचालय हर घूमने वाली जगहों पर बनाये।

इस श्रृंखला की अगली कड़ी में, इस मन्दिर के पास, चट्टानों पर नक्काशी देखने चलेंगे।


मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा 
हो सकता है कि लैपटॉप के नीचे चाकू हो।। कोबरा मेरे हाथ पर लिपट गया।। घोड़ा डाक्टर, गायों और भैंसों की लात खाते थे।। पॉन्डेचेरी फ्रांसीसी कॉलोनी थी।। शाम सुहानी लग रही थी।। महिलाएं बेवकूफ़ बन रही हैं।। पैंतालिस मिनट में पांच हजार लोगों का खाना।। यह स्कूल अनूठा है।। शिव ने पार्वती को चूम लिया।। अरबिन्दो के संपर्क के आने से पहले, मां की शादी हो चुकी थी।। मातृमन्दिर, ऑरोविल की आत्मा है।। ऑरोविल की  सबसे अच्छी बात - इसकी हरियाली।। हमें बहुत पैसा मिल रहा है।। मैं आमिर खान हूं।।  हिन्दूओं ने भी मन्दिर तोड़े।। भगवान को भी जलन होने लगी।।

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This post is about 'sea shore temple' in Mahabalipuram. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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5 comments:

  1. ऐसी शानदार हो तो किसी को भी जलन हो सकती है

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  2. शानदार भूतकाल है हमारा।

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  3. सुनामी से निकली मूर्तियाँ विस्मय और जिज्ञासा जगाती हैं

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  4. अच्‍छी लगी यह जानकारी। आभार।

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  5. बहुत ही अच्छी जानकारी धन्यवाद

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