Thursday, July 21, 2011

बॉल ट्रैकर, गेंद का संभावित प्रक्षेप पथ बताता है

इस चिट्ठी में, अम्पायर डिसिशन रिवियू सिस्टिम (यूडीआरएस) में, बॉल ट्रैकर तकनीक के बारे में बताया है।
मैंने यह चित्र यहां से लिया है।
Cartoon by Nicholson from "The Australian" newspaper: www.nicholsoncartoons.com.au

२०११ का भारत-पाकिस्तान का सेमी फाइनल मुकाबला खेल जगत के इतिहास में सबसे अधिक लोगों के द्वारा देखा मैच था। इस मैच पर सचिन २३ रन पर खेल रहे थे तब मैदानी अम्पायर द्वारा वे एलबीडब्लू घोषित कर दिये गये थे। लेकिन, अम्पायर डिसिशन रिवियू सिस्टिम (यूआरडीएस) के तहत, इसे पलट दिया गया। बहुत से लोग इसे बेईमानी का फैसला बताते हैं। इसकी चर्चा, मैंने पिछली चिट्ठी में की थी।

यूआरडीएस, मुख्यतः तीन तकनीक पर निर्भर है,
  1. स्निकोमीटर (sound technology): इससे पता चलता है कि क्या गेंद बल्ले से छुई थी; 
  2. हॉट स्पॉट (thermal imaging): इससे पता चलता है कि क्या कैच ठीक प्रकार से लिया गया; और
  3. बॉल ट्रैकर (ball tracker): इससे गेंद की स्थिति, वेग, और दिशा लगाया जाता है।

 एलबीडब्लू के निर्णय में, मुख्यतः तीसरी तकनीक यानि कि बॉल ट्रैकर का प्रयोग होता है। इस तकनीक को, हॉक आई इनोवेशन्स (Hawk-Eye Innovations) नामक ब्रिटिश कम्पनी ने विकसित किया है। इस कंपनी  ने सबसे ज्यादा अपना नाम क्रिकेट में कमाया है। वे टेनिस  में भी अपनी तकनीक के द्वारा खेल में सहायता कर रहे हैं। इस समय वे फुटबाल के अंदर अपनी तकनीक को विकसित कर रहे हैं।

इस तकनीक में, क्रिकेट के मैदान पर, छः टीवी कैमरो के द्वारा अलग अलग छोर से विडियो लिया जाता है। इसमें दो बल्लेबाज के पीछे, दो गेंदबाज के पीछे, और दो पिच के दोनो तरफ रहेते हैं। इनसे लिये विडियो को संसाधित (process) कर निम्न बातों का पता लगाया जाता है,
  • गेंद, जिस समय गेंदबाज के हाथ से निकली एवं बल्लेबाज के पैड पर लगी, उस समय उसकी तीन आयाम में स्थित;
  • गेंद का वेग;
  • गेंदबाज के हाथ से निकलने एवं टिप्पा खाने के बाद उसकी दिशा; और 
  • बल्लेबाज के पैड पर लगते समय उसकी विकेट से दूरी। 

उक्त सूचना से, उसका संभावित प्रेक्षेप पथ (trajectory) निकाला जाता है। गेंद के पैड पर लगते समय, उसकी दूरी मालुम होने पर, गेंद के प्रेक्षेप पथ का बहिर्वेश (extrapolate) कर, यह पता किया जाता है कि यदि गेंद पैड पर न लगती, तब क्या वह विकेट पर लगती या उसके बगल से निकल जाती। बाद में, इसी बात को चित्र के रूप में दिखाया जाता है।

इस तकनीक में महत्व, कैमरे से लिये विडियो का है कि वह कितना अच्छा है और वे कहां रखे जाते हैं। इसी से गेंद का संभावित प्रक्षेप पथ तय होता है। इसमें किसी व्यक्ति द्वारा कोई हस्तक्षेप करने का अवसर नहीं होता। इसके निर्णय में गलती हो सकती है। इसका कारण कैमरे लिये विडियो का अच्छा न होना है न कि किसी व्यक्ति विशेष की बदमाशी का। 

एलबीडब्लू के निर्णय में तीन बातें महत्वपूर्ण होती हैं।
  1. क्या गेंद विकेट के लाइन में थी?
  2. क्या बल्लेबाज, विकेट के सामने था?
  3. क्या गेंद, विकेट में लग जाती?
सचिन के केस में, बॉल ट्रैकर द्वारा गेंद का संभावित प्रक्षेप पथ
तीसरे अम्पायर के अनुसार, कोई भी खिलाड़ी तभी आउट होता है जब उक्त तीनो प्रश्नों का जवाब हां में हो। सचिन के केस में पहले एवं दूसरे प्रश्न का उत्तर हां में था लेकिन तीसरे प्रश्न का उत्तर नहीं में था। इसीलिए तीसरे अम्पायर ने निर्णय बदल दिया। 

भारतीय क्रकेट बोर्ड यूआरडीएस का समर्थक नहीं है। लेकिन अन्ततः, उसने दो तकनीक यानि कि स्निकोमीटर और हॉट स्पॉट पर स्वीकृति दे दी है पर बॉल ट्रैकर को नहीं। 

कुछ दिन पहले आइसीसी ने, भारतीय क्रिकेट बोर्ड की इच्छाओं का सम्मान करते हुऐ बॉल ट्रैकर की तकनीक को वैकल्पिक रख, यूआरडीएस को मैचों में लागू करने की स्वीकृति दे दी है।

इसका यह अर्थ हुआ कि अब सारे मैचों यूआरडीएस लागू रहेगा और उसमें स्निकोमीटर और हॉट स्पॉट तकनीक का प्रयोग किया जायगा। इन तकनीकों से, निम्न बातें पता करने में सहायता मिलती है,
  • गेंद बल्ले से छुई या नहीं; और 
  • कैच ठीक से पकड़ा गया या नहीं। 

जहां तक बॉल ट्रैकर तकनीक की बात है इसका उपयोग तब तक नहीं होगा जब तक वह मैच या श्रृंखला खेलने वाले देश इसे रखने की स्वीकृत नहीं देगें। यदि इस तकनीक उपयोग नहीं होगा तब एलबीडब्लू के फैसले तीसरे अम्पायर को निर्णय हेतु नहीं भेजे जायेंगे।

मेरे विचार से, इस तकनीक से लिया गया निर्णय, किसी भी व्यक्ति अम्पायर के निर्णय से कहीं अधिक वस्तिनिष्ठ (objective) और न्यायपूर्ण (fair) है। इसमें व्यक्तिगत पूर्वाग्रह (personal bias) भी नहीं है। इसमें कमियां हो सकती हैं, इसे बेहतर बनाया जा सकता है - लेकिन यह एक बेहतरीन तकनीक है। इसे न स्वीकारना एक भूल है।

इस श्रृंखला की अगली कड़ी में, चर्चा करेंगे कि, 
  • क्यों, सचिन के एलबीडब्लू फैसले में, मैदानी अम्पायर और यूआरडीएस की बॉल ट्रैकर तकनीक के द्वारा लिये चित्रों  में, अन्तर हो गया? 
  • सचिन के निर्णय बारे में, कैसे कहा जा सकता है कि यूआरडीएस की बॉल ट्रैकर तकनीक के द्वारा लिये चित्र पर आधारित तीसरे अम्पायर का फैसला, मैदानी अम्पायर के फैसले से ज्यादा उपयुक्त है? 
इस श्रृंखला की अगली कड़ी, बस मां की नगरी की यात्रा की दो कड़ियों के बाद।

क्रिकेट और अम्पायर डिसिशन रिव्यू सिस्टम

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About this post in Hindi-Roman and English 
is chitthi  mein, cricket ke umpire decision review system (UDRS) ke ball tracking takneek ke baare mein bataya gaya hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about ball tracker technique in umpire decision review system (UDRS) in cricket. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
Cricket, Umpire decision review system, ball tracking technique, Hawk Eye,
।  Scienceविज्ञान, समाज, ज्ञान विज्ञान, ।  technology, technology, Technology, technology, technologyटेक्नॉलोजी, टैक्नोलोजी, तकनीक, तकनीक, तकनीक,
Hindi,।

4 comments:

  1. सही कह रहे हैं. तकनीक को प्रयोग न करना कहां की अक्लमन्दी है.

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  2. तकनीक पर बहुत अधिक निरभर होने पर यह खेल आम नहीं रह जायेगा। हाँ बड़े खेलों में इसका उपयोग हो।

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  3. यूआरडीएस पर समग्र जानकारी !

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