Friday, November 25, 2011

बांके बिहारी से कुछ न मांग सका

इस चिट्ठी में वृन्दावन में स्थित बांके बिहारी के मंदिर की चर्चा है।
बांके बिहारी

वृन्दवन का बांके बिहारी का मंदिर, स्वामी हरि दास ने बनवाया था। वह एक कवि और संगीतज्ञ थे। वे तानसेन के गुरू भी थे। कहा जाता है कि उनका जन्म १४८० में हुआ था और मृत्यु १५७५ में।

हरिदास जी ने, वृन्दावन में अपना एक आश्रम बनवाया। वहां पर उन्हें बांके बिहारी जी एक मूर्ति भी मिली  थी। यह मूर्ति इसी मंदिर में रखी हुई है। यह मंदिर बाद में,१९वीं शताब्दी के अन्त में बना।

बांके बिहारी मंदिर के मुख्य पुजारी गोस्वामी जी थे और अब उनकी भी पीढ़ियाँ बढ़ गयी हैं। जिस तरह से किसी सम्पत्ति का बंटवारा होता है उसी तरह से इस मंदिर में सेवा, पूजा, एवं अर्चना कराने का भी बंटवारा हो गया है। अलग-अलग परिवार को, अलग-अलग दिन पूजा कराने के लिए निश्चित किया गया है। 


मंन्दिर में बंटवारे वा उसके प्रबन्ध करने के संबन्ध में मुकदमेंबाजी चल रही है। इसलिए न्यायालय ने इस मंदिर के लिए, रिसीवर नियुक्त किया है। लोगों का कहना था कि जब से न्यायालय ने रिसीवर नियुक्त किया है तब से स्थिति ठीक हो गयी है और उनकी जो सम्पत्ति २२ करोड़ की थी अब वह बढ़कर ४२ करोड़ हो गयी है।

मेरे सहयोगी एवं मित्रों ने कहा था आप बांके बिहारी जी आपकी सभी मनोकामना को पूरा करेगें। मैं अपने मन में उनसे कुछ मांगने के लिये सोचकर भी गया था। यह कुछ उसी तरह का था जिस कारण से मैंने वियाना के सेंट स्टीफन कैथड्रल में दो दिये जलाये थे या फतेहपुर सीकरी और गोवा में मांगा था। लेकिन यहां मालूम नहीं क्या हुआ, कुछ मांग न सका - बस उनकी मूर्ति को ही देखता रहा। 


कहते हैं बाकें बिहारी अन्तरयामी है। वे मन की बात जानते होगें।

बांके बिहारी मन्दिर में पूजा

अगली बार वहां के पुजारियों से बात करेंगे

इस चिट्ठी के चित्र राधे-राधे वेबसाइट से हैं।


मथुरा में एक दिन, पूरे बनारसी जीवन पर भारी - मथुरा यात्रा
रस्किन बॉन्ड।। कन्हैया के मुख में, मक्खन नहीं, ब्रह्माण्ड दिखा।। जहाँपनाह, मूर्ति-स्थल नापाक है - वहां मस्जिद न बनायें। । कृष्ण-जन्मभूमि मन्दिर को महमूद गजनवी ने लूटा।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। बांके बिहारी से कुछ न मांग सका।। देना है तो पशु वध बन्द करवा दें।। माई स्वीट लॉर्ड।। चित्रकला से आध्यात्म।। शायद भगवान कृष्ण यहीं होंगे।। महिलायें जमीन पर लोट रही थीं।। हमारे यहां भरतपुर से अधिक पक्षी आते हैं।। भारतीय़ अध्यात्मिकता की नयी शुरुवात - गोवर्धन कथा।।
 
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This post in Hindi (Devnagri script) talks temple of Banke Bihar at Vrindavan. You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
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3 comments:

  1. shweta6:46 pm

    Please post a photograph too for Banke Bihari Temple.

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  2. श्वेता जी, मूर्ती एवं पूजा का चित्र तो लगाया है लेकिन मन्दिर का बाहर से कोई अच्छा चित्र नहीं मिला इसलिये नहीं लगाया।

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  3. बांके बिहारी की कृपा आप पर बिन मागे ही है .....

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