Friday, January 20, 2012

महिलायें जमीन पर लोट रही थीं

इस चिट्ठी में, गोकुल-मथुरा में रमण रेती आश्रम  की चर्चा है। 
रमण रेती पर बालू का अनन्द लेते लोग - यह चित्र मेरा खींचा नही है पर इस वेबसाइट के सौजन्य से

रमण रेती अथार्त ऐसी रेत जिसके स्पर्श से आनन्द हो और रमण रेती आश्रम की रेत कुछ इसी तरह की है। इसी लिये, गोकुल-मथुरा में स्थित इस आश्रम में, कोई भी जूते, चप्पल पहन कर कोई नहीं जा सकता है। यहां नंगे पांव ही चलना पड़ता है। यहां यमुना की रेत है इसमें कोई भी कंकड नहीं है। इसी लिये यहां नंगे पाव चलने में कोई असुविधा नहीं होती और अच्छा लगता है।
 
वहां पर साधू एवं सन्तों के ठहरने के लिये कुटियाएं थी - अधिकतर में एयर कंडिशनर लगे थे। 

प्रसाद के रूप में, खाने को खिचड़ी मिली, जो स्वादिष्ट लगी।

गोकुल में, कालिया पर कन्हैया - चित्र विकिपीडिया से
एक छोटे मैदान में जगह-जगह पर लोग घेरा बनाकर बैठे हुए थे और बहुत सारी महिलाएं जमीन पर लोट रही थी। यह मुझे कुछ अजीब लगा। वहां के पुजारी ने बताया,
'लोगों का विचार है कि भगवान कृष्ण बचपन में यही पर घूमा करते थे और उनके पैर इसी बालू पर पड़े होगें। इसीलिए लोग यहां आकर लोटते हैं ताकि इस पवित्र मिट्टी से वे भी पवित्र हो सकें।'
सच है कि हम वही हवा, वही मिट्ठी,  वही पानी प्रयोग कर रहे हैं जो अरबों साल से है। प्रकृति मां, हमें इनका पुनः प्रयोग करने देती है। 

पृथ्वी, हमारे पास, वंशजों की धरोहर है।  हमें इसका इस प्रकार से उपयोग करना है कि हमारी आने वाली पीढ़ी भी उसी तरह इसका प्रयोग कर सके जैसे हम कर रहें हैं। यदि हम दुरुपयोग करेंगे या फिर दिन दूने, रात चौगने बढ़ते जायेंगे तो हो सकता है कि हमारी आने वाली पीढ़ी इसका उपयोग न कर सके। हमें इसके लिये सावधानी बरतनी है।

रमण रेती  आश्रम में एक भजन
 

मथुरा में एक दिन, पूरे बनारसी जीवन पर भारी - मथुरा यात्रा
रस्किन बॉन्ड।। कन्हैया के मुख में, मक्खन नहीं, ब्रह्माण्ड दिखा।। जहाँपनाह, मूर्ति-स्थल नापाक है - वहां मस्जिद न बनायें।। कृष्ण-जन्मभूमि मन्दिर को महमूद गजनवी ने लूटा।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। बांके बिहारी से कुछ न मांग सका।। देना है तो पशु वध बन्द करवा दें।। माई स्वीट लॉर्ड।। चित्रकला से आध्यात्म।। शायद भगवान कृष्ण यहीं होंगे।। महिलायें जमीन पर लोट रही थीं।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो ऊपर तरफ का विज़िट, 

 
About this post in Hindi-Roman and English 
hindi (devnagri) kee is chitthi mein, gokul-mathura mein, raman reti ashram kee charchaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post in Hindi (Devnagri script) talks about Raman Reti Ashram at Gokul-Mathura. You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
। Raman Reti Ashram,
Mathura, Krishna, Gokul
Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो,  मौज मस्ती,

8 comments:

  1. बड़ा आनन्द आता रमणरेती की रेत पर..

    ReplyDelete
    Replies
    1. Aisee koyee jagah hai ye pata nahee tha!

      Delete
  2. abhi hm allahabad men yamuna kinare hi rahte hain...sach much iski ret badi mulayam si hoti hai!!magar yahan par us ret par khel nhi sakte to ramanreti me bahut maza aata..

    ReplyDelete
  3. जो उस आश्रम में रहते हैं उनकी श्रद्धा यह रेत ही है। मुझे भी एक परिवार मिला था जो अपना शेष जीवन यही काटना चाहता था।

    ReplyDelete
  4. सारगर्भित आलेख ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

    ReplyDelete
  5. कुछ जगहों पर अधिक ही आनंद आता है.

    ReplyDelete
  6. जहां किशन कन्हाई रहे हों वहां रमण रेत न हो भला यह कैसे संभव था ...

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।