Sunday, July 20, 2014

पर्यावरण, न्यायालय और सिद्धान्त

इस चिट्ठी में, पर्यावरण न्यायालयों के द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों की चर्चा है।



इस प्रकार उच्चतम न्यायालय ने उपरोक्त मुकदमों में, निम्न सिद्धान्त स्थापित किए हैं:

  1. विकास टिकाऊ होना चाहिए;
  2. एहतियाति सिद्धान्त अपनाना चाहिए;
  3. नुकसान की भरपाई, प्रदूषक के द्वारा होना चाहिए;
  4. राज्य, प्राकृतिक संसाधनों को, जनता के लिए लाती है। इसका उपयोग जनहित के लिये होना चाहिये;
  5. वन, वृक्ष, जैव विविधता की रक्षा करना चाहिए;
  6. जोखिम भरे उद्यमों में, पूर्ण दायित्व का नियम लागू होता है।
अगली बार इस बारे में संसद के द्वारा बनाये अधिनियमों की चर्चा करेंगें।

उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें। 

हरित पथ ही राजपथ है     
भूमिका।। विश्व पर्यावरण दिवस ५ जून को क्यों मनाया जाता है।। टिकाऊ विकास और जनहित याचिकाएं क्या होती हैं।। एहतियाती सिद्घांत की मुख्य बातें क्या होती हैं - वेल्लौर केस।। नुकसान की भरपाई, प्रदूषक पर - एन्वायरो एक्शन केस।। राज्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षणकर्ता है।। वन, वृक्ष, और जैव विविधता का संरक्षण - आवश्यक।। जोखिम गतिविधि - पीड़ित मुआवजा का अधिकारी।। पर्यावरण, न्यायालय और सिद्धान्त।।


About this post in Hindi-Roman and English
This post, in Hindi (Devanagari script) talks about the principles established by the courts. You can read it in Roman script or any other Indian regional script as well – see the right hand widget for converting it in the other script. 

hindi (devnaagree) kee is chitthi mein  nayalayon ke dvara sthapit sidhanton kee charchaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

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