Wednesday, June 26, 2019

भौतिकी के बादशाह: एनरिको फर्मी और परमाण युग का जन्म

जीनो सेग्रे (Gino Segrè) और  बेटीना होर्लिन (Bettina Hoerlin) पति-पत्नी  हैं। उन्होंने  'द पोप ऑफ फिजिक्स: एनरिको फर्मी एंड द बर्थ ऑफ एटॉमिक एज' (The Pope of Physics: Enrico Fermi and the Birth of the Atomic Age) लिखी है। यह वैज्ञानिक एनरिको फर्मी की जीवन कथा है।
इस चिट्ठी में, इसी पुस्तक की समीक्षा है। 

इटली ने दो महान वैज्ञानिक संसार को दिये  हैं - गैलिलिओ और एनरिको फर्मी। दोनो में सवा तीन सौ साल का अन्तराल पर बहुत कुछ एक सा।

दोनो ही,  सैद्धांतिक वैज्ञानिक के साथ, व्यावहारिक वैज्ञानिक भी थे। यदि गैलिलिओ का पीसा की झुकी मीनार का प्रयोग प्रसिद्ध है तो फर्मी का शिकागो के स्क्वॉश कोर्ट का। एक प्रयोग ने सिद्ध किया कि किसी वस्तु का निश्चित उंचाई से गिरने का समय, उसके भार पर नहीं निर्भर करता तो दूसरे ने सिद्ध किया कि नाभकीय चेन रिक्शन संभव है। 

एक को, इसलिये लिये इटली में नज़रबन्द कर दिया गया क्योंकि उसका कहना था कि पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाती है तो दूसरे को इसलिये इटली छोड़ना पड़ा क्योंकि उसने यहूदी लड़की से शादी की थी। 'द पोप ऑफ फिजिक्स' फर्मी की जीवन कथा है और पढ़ने योग्य है।

फर्मी का जन्म २९ सितम्बर १९०१ में हुआ था। १९३८ में उन्हें,  न्यूट्रॉन बमबारी से कृत्रिम रेडियोऐक्टिविटी तथा  नये रेडियोऐक्टिव तत्व ढूढ़ने  के लिये भौतिकी का नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया। नोबल पुरुस्कार मिलने के बाद वे वापस इटली नहीं गये। वे वहीं से अमेरिका आ गये और अमेरिका में बस गये।

२ दिसंबर १९४१ में, शिकागो विश्वविद्यालय के स्क्वॉश कोर्ट में प्रयोग द्वारा सिद्ध हुआ कि नाभकीय चेन रिक्शन संभव है। यह प्रयोग फर्मी की देख रेख में हुआ। इसकी सूचना अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा अनुसंधान समिति के अध्यक्ष को यह कह कर दी गय़ी।

'You'll be interested to know that the Italian navigator has just landed in the new world.'
 आपको यह जानने में दिलचस्पी होगी कि इतालवी नाविक अभी नई दुनिया में उतरा है।
अध्यक्ष ने पूछा, 'Were the natives friendly?' (क्या वहां के निवासी अनुकूल थे)

उन्हें जवाब मिला 'Everyone landed safe and happy.' (हर कोई सुरक्षित और खुश पहुंचा)

बाद में, फर्मी लॉस एलमॉस गये और परमाणु बम बनाने में सहयोग किया। फर्मी का सारा जीवन रेडियो एक्टिव विकिरण के बीच बीता। शायद यही कारण था कि उन्हें कैंसर हो गया और उनकी मृत्यु २८ नवंबर १९५४ को हो गयी।

पुस्तक में उनके जीवन की कई रोचक घटनाओं का जिक्र है। वे अपनी शादी में देर से क्यों पहुंचे, परमाणु बम का टेस्ट, जिसे ट्रिनटी के नाम से चिन्हित किया गया,  होते समय जब सारे लोग उसका नज़ारा देखने में वयस्त थे तो वे कौन सा प्रयोग कर रहे थे और अन्त समय में, जब भारत में जन्में, नोबल पुरुस्कार विजेता सुब्रमनयम चन्द्रशेखर उनसे मिलने गये तो वातावरण हलका करने के लिये, फर्मी ने उनसे क्या कहा।


परमाणु बम बनाते समय, इस बात की भी बहस थी कि इसे बनाया जाय या नहीं और जब बन गया तब इसे किस प्रकार से इस्तेमाल किया जाय। पुस्तक में इस पर भी चर्चा है।

यदि आपने परमाणु भौतिकि स्कूल में पढ़ी है या उसमें दिलचस्पी रखते है। तब आप यह पुस्तक अवश्य पढ़ें। यदि आपके मुन्ने, मुन्नी विज्ञान में रुचि रखते हैं तब उन्हें यह पुस्तक भेंट करें।


About this post in Hindi-Roman and English

is post mein, Gino Segrè aur Bettina Hoerlin kee likhee pustak 'The Pope of Physics: Enrico Fermi and the Birth of the Atomic Age' kee sameeksh hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post of Hindi (Devanagari script) is review of the book   'The Pope of Physics: Enrico Fermi and the Birth of the Atomic Age' by Gino Segrè & Bettina Hoerlin.  You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द  
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Gino Segrè

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