tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post3221346334324760886..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: हरिवंश राय बच्चन - तेजी जी से मिलनउन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-41876954902612680362007-01-11T12:53:00.000+05:302007-01-11T12:53:00.000+05:30आप्के इस सुन्दर प्रयास के लिए मै आप्को धन्यवाद देत...आप्के इस सुन्दर प्रयास के लिए मै आप्को धन्यवाद देति हु,<br />हिन्दि साहित्य मै रुचि होने के कार्ण ये जीव्नि य जीव्नि का कुछ भाग पढ कर हि मुझे सागर मै से कुछ बुन्दो के मिल जाने क अनुभव हुआ और जिसे हिन्दि साहित्य के सागर मै डुब जाने कि इच्छा हो उस्के लिये ये बुन्दे भि मोति के समान है, जिन्हे सागर मै से ढुंढा गया है।<br />पुनः ध्न्यवाद<br /><br />आभारि<br />मुक्ता खेरMuktahttps://www.blogger.com/profile/16570337862502348817noreply@blogger.com