tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post5317564287954530404..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: अपने को असहाय जताकर, दूसरे को मिटा डालते हैं हमउन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-6539943679180307432012-01-22T03:40:13.764+05:302012-01-22T03:40:13.764+05:3026-27 साल पहले आशापूर्णा जी का एक उपन्यास पढा था, ...26-27 साल पहले आशापूर्णा जी का एक उपन्यास पढा था, कुछ अंश अभी भी डायरी के पन्ने पर लिखे हुए हैं (कहीं)। जीवन साथी का देहांत, वह भी स्वयं के बुढापे/अशक्तता की स्थिति में, सचमुच एक भयंकर त्रासदी हो सकता है - बल्कि पुरुषों के लिये तो वह अधिक दुखदायी है। इस बात के प्रमाण हैं कि विधुरों का जीवन अपेक्षाकृत छोटा हो जाता है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-18477260982436112462009-04-28T14:34:00.000+05:302009-04-28T14:34:00.000+05:30I would like to read this book1 thanks.I would like to read this book1 thanks.Rachana.http://www.rachanabajaj.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-34154538580662478592009-04-25T17:16:00.000+05:302009-04-25T17:16:00.000+05:30ओह! अपनी पत्नी के बिना जीवन की तो मैं कल्पना भी नह...ओह! अपनी पत्नी के बिना जीवन की तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-55938179087264885102009-04-25T15:10:00.000+05:302009-04-25T15:10:00.000+05:30अब अगर मैं कहूँ कि मैंने आजतक कोई भी हिंदी उपन्यास...अब अगर मैं कहूँ कि मैंने आजतक कोई भी हिंदी उपन्यास नहीं पढ़ा है, इसके बावजूद मुझे आशापूर्णा जी के लिखे उपन्यास पढ़ने की इच्छा जाग गयी है तो थोड़ा अजीब तो लगेगा ही |Cuckoohttp://cuckooscosmos.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-34405320663593326072009-04-25T00:59:00.000+05:302009-04-25T00:59:00.000+05:30आशापूर्णा जी मेरी सर्वप्रिय कथाकार रही हैं। सुवर्ण...आशापूर्णा जी मेरी सर्वप्रिय कथाकार रही हैं। सुवर्णलता, बकुल कथा और प्रथम प्रतिश्रृति पर आपके विचार से मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ। इस किताब के बारे में हमें बताने का शुक्रिया।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-29218177315162169102009-04-24T15:27:00.000+05:302009-04-24T15:27:00.000+05:30आशापूर्णादेवी जी के उपन्यास को पढने की इच्छा हो ...आशापूर्णादेवी जी के उपन्यास को पढने की इच्छा हो रही है। किसी दुकान पर जाकर इसकी खोजखबर लेता हूं।<br /><br />-----------<br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">TSALIIM</A> <br /><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">SBAI</A>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-5858755075978612312009-04-23T18:36:00.000+05:302009-04-23T18:36:00.000+05:30आप ने जिज्ञासा जगा दी, यह उपन्यास शीघ्र ही पढ़ने क...आप ने जिज्ञासा जगा दी, यह उपन्यास शीघ्र ही पढ़ने का प्रयत्न करूंगा। मैं ने बहुत उपन्यास पढ़े हैं लेकिन विगत 10 वर्षों में उपन्यासों के स्थान पर ज्ञान सूचनात्मक साहित्य अच्छा लगने लगा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-49841583275886155202009-04-23T12:27:00.000+05:302009-04-23T12:27:00.000+05:30पुस्तक जरूर पढना चाहूँगा. आभार इस समीक्षा के लिए. ...पुस्तक जरूर पढना चाहूँगा. आभार इस समीक्षा के लिए. इस पोस्ट के बाद आशापूर्णा देवी की पुस्तकें पढने की इच्छा हो चली है...Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.com