tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post601908100614586206..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: ओपेन सोर्स की पाती - बिटिया के नामउन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-68208648825635728922007-11-11T03:53:00.000+05:302007-11-11T03:53:00.000+05:30आपका प्रोत्साहन रंग ला रहा है, मैं फायरफाक्स और ओ...आपका प्रोत्साहन रंग ला रहा है, मैं फायरफाक्स और ओपन आफिस तो प्रयोग करता ही था, आज मैने थंडरबर्ड भी इन्सटाल कर लिया, अगली बारी लिनक्स डेस्कटाप की है। <BR/><BR/>अच्छी जानकारियां बांटने के लिये धन्यवाद।नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-13868366600781996892007-11-11T02:51:00.000+05:302007-11-11T02:51:00.000+05:30उन्मुक्त जी , धन्यवाद इस चिट्ठी को साझा करने के लि...उन्मुक्त जी , धन्यवाद इस चिट्ठी को साझा करने के लिए। पहली बार ही टिप्पणी लिख रहा हूं। समय की कमी। आप अलबत्ता हमारे यहां आते रहे हैं। क्या करूं, अक्सर तकनीकी समस्याओं से जूझता रहता हूं। आपको ताज्जुब होगा कि मैं अपना ब्लाग तक नहीं देख पाता। ब्लागस्पाट की कोई साईट नहीं खुलती ।सबको बता चुका हूं। पीसी फार्मेट कराया तो शब्दों के सफर का बेशकीमती डेटाबेस ही उड़ गया । <BR/>बहरहाल , काफी चिंतनशील हैं आप। अच्छा लगता है पढ़ना। अब ये जो मेरा सफर रास्ते में ही मुझे दगा दे गया है तो उसका लाभ ब्लागों का सफर करने में ले रहा हूं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-23581677333443528752007-11-09T12:30:00.000+05:302007-11-09T12:30:00.000+05:30मज़ा आ गया उन्मुक्त जी आप का ब्लॉग पढ़ कर|मैं एक शोध...मज़ा आ गया उन्मुक्त जी आप का ब्लॉग पढ़ कर|<BR/>मैं एक शोध का छात्र हूँ| आपके ब्लॉग से बहुत सारी जानकारी हासिल की|<BR/>बहुत बढ़िया<BR/>चिंटूचिन्टूhttps://www.blogger.com/profile/17022582703801358421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-34862250120554965472007-10-10T10:00:00.000+05:302007-10-10T10:00:00.000+05:30बहुत ही रोचक और जानकारी पूर्ण लेख। धन्यवाद इसे हम ...बहुत ही रोचक और जानकारी पूर्ण लेख। धन्यवाद इसे हम सब से बांटने के लिए। ravinder grover faridabad indiaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-60498933916886085602007-10-08T12:40:00.000+05:302007-10-08T12:40:00.000+05:30आपका ब्लोग बहुत ही अच्छा लगा| मैं फिर से आऊंगा और ...आपका ब्लोग बहुत ही अच्छा लगा| मैं फिर से आऊंगा और कुछ कहानियाँ या कविताएं पड़ लूँगा अगर आपने लिखी हो तो| मेरी हिंदी इतनी दुरुस्त नहीं लेकिन मुंशी प्रेमचंद का निर्मला उपन्द्यास मैंने स्कूल में पड़ा था, आज भी मेरे comp में मैंने ये उपन्यास रखा हुआ है और इसको बार बार पड़ता हूँ| हिंदी भाषा के लिए प्रेम जाग जाता है, लिखने का बड़ा मन करता है हिंदी में लेकिन क्या करूं, स्कूल में ज़्यादा ध्यान नहीं दिया था मैंने हिंदी को -- काश कि दिया होता| क्या आपको हिंदी कि online dictionary के बारे में कुछ जानकारी है? अगर हो तो मुझे ज़रूर बताए [arora.kush@gmail.com]| आपका आभारी रहूँगा| कुश, बेंगलूर से|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-77977538767353862512007-10-08T01:40:00.000+05:302007-10-08T01:40:00.000+05:30आज बहुत दिनों बाद चिट्ठे पढ़े, आपकी ये प्रविष्टि भी...आज बहुत दिनों बाद चिट्ठे पढ़े, आपकी ये प्रविष्टि भी बहुत पसन्द आयी।RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-40817639870502480292007-10-07T11:07:00.000+05:302007-10-07T11:07:00.000+05:30बहुत ही रोचक और जानकारी पूर्ण लेख। धन्यवाद इसे हम ...बहुत ही रोचक और जानकारी पूर्ण लेख। धन्यवाद इसे हम सब से बांटने के लिए।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-25006388726760924252007-10-06T20:37:00.000+05:302007-10-06T20:37:00.000+05:30वाह उन्मुक्त जी ...एक बार फिर बेहतरीन प्रस्तुती .....वाह उन्मुक्त जी ...एक बार फिर बेहतरीन प्रस्तुती .....दिनेश जी सही कहा .."आप लोगों की बातों में आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम है."....बहुत ही बढिया लिखा आपने ....आज कल आप हमारे चिट्ठे पर दर्शन नही दे रहे है ..कौनो नाराजगी है क्या ??Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-18725532601368884472007-10-06T01:08:00.000+05:302007-10-06T01:08:00.000+05:30बहुत सुन्दर। पत्राचार की विषय वस्तु तो आपके प्रिय ...बहुत सुन्दर। पत्राचार की विषय वस्तु तो आपके प्रिय क्षेत्र से संबद्ध है ही परंतु प्रस्तुतिकरण ने उसे और भी रुचिकर बना दिया है।Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-58524146033275340432007-10-05T22:40:00.000+05:302007-10-05T22:40:00.000+05:30आपिन आफिस तो मैं भी प्रयोग करता हू लेकिन विन्डोज म...आपिन आफिस तो मैं भी प्रयोग करता हू लेकिन विन्डोज में.<BR/>आपका ब्लाग एक अरसे पढ़ता रहा हूं। एकदम दिल से लिखते हैं आप।नूर की बात, रौशनी की बातhttps://www.blogger.com/profile/08499647927803657984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-49863035165818549602007-10-05T20:46:00.000+05:302007-10-05T20:46:00.000+05:30सर, आप मेरी साइट पर टहल चुके हैं. मैं तो खैर आपका ...सर, आप मेरी साइट पर टहल चुके हैं. मैं तो खैर आपका भक्त हूं ही, सिर्फ आपका ही नहीं पूरे परिवार का. मैंने मुन्ने की मां जी को एक पत्र भी भेजा था, मगर पता नहीं उन्होंने उसे देखा भी या नहीं क्योंकि साइट की पोस्टिंग उसके आगे खिसकी ही नहीं. सच बताऊं तो इन ब्लाग्स मे लिखे की बदौलत आप लोगों को जितना समझ सका हूं, उतना ही आप लोगों के प्रति मन में आदर भाव बढ़ता है. आप लोगों की बातों में आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम है. अगर लिखने को बैठ जाऊं तो यह कभी खत्म नहीं होगा. फिलहाल इतना ही. अपने बारे में थोड़ा सा बता दूं मेरे दो ब्लाग हैं इंडियन बाइस्कोप और खिड़कियां. मैं इन दिनों बैंगलोर में एक हिन्दी पोर्टल में एडीटर हूं. कृपया इस टिप्पणी को पढ़कर चुप्पी न साध जाइएगा, जवाब भी भेजिएगा. <BR/>मुझे इस पते पर भी मेल कर सकते हैं.<BR/>dinesh.s@greynium.com<BR/>दिनेश श्रीनेतAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-36630719795415152352007-10-05T18:25:00.000+05:302007-10-05T18:25:00.000+05:30उन्मुक्त जी,आपने इस पत्र को हम सबके साथ बाँटा, बहु...उन्मुक्त जी,<BR/><BR/>आपने इस पत्र को हम सबके साथ बाँटा, बहुत आभार. कनाडा में हम भी हैं. बिटिया को कभी कोई आवश्यकता हो तो बस एक ईमेल की दूरी ही माने अपने घर से.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-31957789764812822252007-10-05T11:46:00.000+05:302007-10-05T11:46:00.000+05:30शुक्रिया, इस महत्वपूर्ण पत्र-व्यवहार को हमारे साथ ...शुक्रिया, इस महत्वपूर्ण पत्र-व्यवहार को हमारे साथ साझा करने के लिए। यह तो नेहरु-इंदिरा के बीच के पत्र-व्यवहार की तरह शिक्षाप्रद है। विषयवस्तु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बच्चों को हिन्दी, हिन्दी कंप्यूटिंग के औजार और ओपन सोर्स प्रोग्रामों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करने का यह अंदाज वाकई निराला है। <BR/><BR/>आपके और रवि जी के लेखों को पढ़ते हुए कितनी बार लिनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को अपनाने की तरफ मन हुआ है, लेकिन अभी तक यथास्थिति चल रही है, बिल्लू के उत्पादों के साथ। शायद अगली बार लैपटाप लेते समय सबकुछ लिनेक्स पर शुरू हो सकेगा। <BR/><BR/>लेकिन दोस्तोवेस्की की वह चर्चित किताब आज ही लाइब्रेरी में से खोज कर निकालता हूं। बहुत दिनों से सोचा हुआ था इसे पढ़ने के लिए।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-81823140493502055242007-10-05T11:30:00.000+05:302007-10-05T11:30:00.000+05:30एक अत्यंत शानदार, उदाहरणीय व अनुकरणीय पत्र.अंग्रेज...एक अत्यंत शानदार, उदाहरणीय व अनुकरणीय पत्र.<BR/><BR/>अंग्रेज़ी पत्र को आपने कहीं पर इंटरनेट में प्रकाशित नहीं किया हो तो कृपया प्रकाशित करें या फिर मुझे टेकट्रबल में प्रकाशनार्थ भेजें.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-767774184385222182007-10-05T08:23:00.000+05:302007-10-05T08:23:00.000+05:30व्यक्तिगत जानकारी के साथ महत्वपूर्ण जानकारी आपकी ल...व्यक्तिगत जानकारी के साथ महत्वपूर्ण जानकारी आपकी लेखन कला को रोचक बनाता है। हिन्दी के लिये औरों की तरह आपका दर्द अच्छा लगा।Atul Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/13418818413795828946noreply@blogger.com