tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post6138778331296897338..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: School Reunuionउन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-81608414732511898442007-02-26T16:56:00.000+05:302007-02-26T16:56:00.000+05:30उन्मुक्त जी,जीवन की हर दौड़ महत्वपूर्ण होती है। हमा...उन्मुक्त जी,<BR/><BR/>जीवन की हर दौड़ महत्वपूर्ण होती है। हमारी प्रायरिटीज़ बदलती रहती हैं और यह स्वाभाविक है।<BR/><BR/>माफ कीजियेगा किन्तु आपको टैग किया है। कृपया मेरे ब्लाग की आख़िरी प्रविष्टि पर जाइए:<BR/><BR/>kavyakala.blogspot.comLaxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-15843689702455147472007-02-26T13:36:00.000+05:302007-02-26T13:36:00.000+05:30उन्मुक्तजी आप पहली दो जगहों में नहीं रहे लेकिन इस ...उन्मुक्तजी आप पहली दो जगहों में नहीं रहे लेकिन इस बार २५ साल बाद वाली सूची में आप जो रहे उसके बारे में कुछ जानकारी दें!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-64819270616023539442007-02-26T11:46:00.000+05:302007-02-26T11:46:00.000+05:30वाह क्या बढिया बात कही ।वाह क्या बढिया बात कही ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-62123943852443229422007-02-26T05:37:00.000+05:302007-02-26T05:37:00.000+05:30रचना जी मिश्र जी मैंने आईआईटी में दीक्षांत समारोह ...रचना जी मिश्र जी मैंने आईआईटी में दीक्षांत समारोह में रहने की बात तो लिखी थी पर इस उद्धरण का जिक्र नहीं किया था। सच तो यह है कि इस बहाने कुछ और लिखने के लिये शुरू यह चिट्ठी शुरु की थी पर लगता है कि हिम्मत नहीं पड़ी। शायद बहुत विवादास्पद हो जाती - बस इसी लिये यहीं इस रूप में छोड़ दिया।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-34217576108551103702007-02-26T04:06:00.000+05:302007-02-26T04:06:00.000+05:30मैने इसे कहीं और भी पढा़ है, शायद आपने ही पुनः प्र...मैने इसे कहीं और भी पढा़ है, शायद आपने ही पुनः प्रकाशित किया।<BR/><BR/>धन्यवाद।RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-8475957524495698192007-02-26T01:03:00.000+05:302007-02-26T01:03:00.000+05:30उन्मुक्त जी - आपकी छोटी सी बात भी चिंतन प्रक्रिया ...उन्मुक्त जी - आपकी छोटी सी बात भी चिंतन प्रक्रिया में chain reaction की प्रक्रिया प्रारम्भ कर देती है। <BR/><BR/>अपना नाम पहले 2 कॉलमों में कभी तो नहीं भी आया, आखिर में आया भी परंतु तब इसका लोभ नहीं रहा था कुछ उपयोगिता नहीं लगी थी, कुछ क्षोभ अवश्य था और यह लगने लगा था विद्यार्थी जीवन में ही, कि इस दौड़ का महत्व तो है पर एक सीमा तक ही। <BR/><BR/>अब रही आगे की दौड़, तो यह सही है कि वह अधिक महत्वपूर्ण है। यदि लक्ष्य ही सही मालूम हो तो दौड़ना क्या, उस दिशा की तरफ चलना ही पर्याप्त है। यह सोच कहाँ तक ठीक है, यह मैं नहीं जानता - या कि सिर्फ यह उस chain reaction का परिणाम है!Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-83669801775439519052007-02-26T00:24:00.000+05:302007-02-26T00:24:00.000+05:30उन्मुक्त जी, मुझे लग रहा है कि ये पोस्ट मै पहले भी...उन्मुक्त जी, मुझे लग रहा है कि ये पोस्ट मै पहले भी पढ चुकी हूँ (क्या मै सही हूँ?) शायद टिप्पणी भी की हो, फिर से कहना चाहती हूँ कि ये मेरी सबसे पसँदीदा पोस्ट मे से एक है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-14632682913572215502007-02-26T00:22:00.000+05:302007-02-26T00:22:00.000+05:30उन्मुक्त जी, मुझे लग रहा है कि ये पोस्ट मै पहले भी...उन्मुक्त जी, मुझे लग रहा है कि ये पोस्ट मै पहले भी पढ चुकी हूँ (क्या मै सही हूँ?) शायद टिप्पणी भी की हो, फिर से कहना चाहती हूँ कि ये मेरी सबसे पसँदीदा पोस्ट मे से एक है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-2155865143495890322007-02-25T21:49:00.000+05:302007-02-25T21:49:00.000+05:30बहुत सही सीख है. वैसे भी ज़िन्दगी 100 मीटर की दौड़ न...बहुत सही सीख है. वैसे भी ज़िन्दगी 100 मीटर की दौड़ नहीं, ये रिले रेस है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-83666148615995364432007-02-25T20:59:00.000+05:302007-02-25T20:59:00.000+05:30अच्छा लगा आपका ये अनुभव और वो दो पंकतियां भी सत्य ...अच्छा लगा आपका ये अनुभव और वो दो पंकतियां भी सत्य हैं..सही है जीवन की दौङ में आगे रहना ज्यादा जरूरी है..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-4234335450863822572007-02-25T20:58:00.000+05:302007-02-25T20:58:00.000+05:30अक्सर लोग जीवन में लक्षय को छोड़, बेकार की बातों म...<B>अक्सर लोग जीवन में लक्षय को छोड़, बेकार की बातों में पड़ जाते हैं। </B><BR/><BR/>-बहुत गहरी बात कही है आपने उन्मुक्त जी. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-75293828938229341632007-02-25T20:20:00.000+05:302007-02-25T20:20:00.000+05:30जीवन के हर दौर की जरुरतें अलग-अलग होती हैं, स्कूल ...जीवन के हर दौर की जरुरतें अलग-अलग होती हैं, स्कूल के दौरान पहले २ कालम में होना एक अच्छे जीवन की आधारशिला बन सकता है लेकिन आपने सही कहा<BR/>"स्कूल की दौड़ पर आगे रहना महत्वपूर्ण नहीं जितना की जीवन की दौड़ में" ।<BR/>बहुत अच्छा लगा।नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.com