tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post7328818094098471530..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: लबड़धोंधो ही रहोगेउन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-7931859090477725162016-11-22T10:33:28.909+05:302016-11-22T10:33:28.909+05:30पुरानी बात है शायद 1995 की... लेकिन मैं बीस साल का...पुरानी बात है शायद 1995 की... लेकिन मैं बीस साल का था.<br /><br />पिताजी के स्कूटर पर पीछे बैठकर डेंटिस्ट के यहां गया. उसने लंबी कुर्सी पर बिठाकर ट्रीटमेंट करना शुरु कर दिया. <br /><br />अचानक से उसने मुझसे पूछा, आपने ये कैसी चप्पलें पहनी हैं.<br /><br />मैंने लेटे-लेटे ही अपने पैरों की तरफ देखा. मैंने एक पैर में हवाई चप्पल और एक पैर में चमड़े की चप्पल पहनी हुई थी.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-11922922579847112212016-11-22T08:55:55.870+05:302016-11-22T08:55:55.870+05:30अब जब आपने ये बता दिया की जीवन की शाम में शर्म छोड़...अब जब आपने ये बता दिया की जीवन की शाम में शर्म छोड़ देनी चाहिए :-) तो मुझे मेरी बेवकूफी याद आ गई। .. दोनों बच्चों के साथ सुबह ६ बजे स्कूल की बस पकड़नी होती थी ठण्ड के दिन थे दोनों को तैयार करना ,खुद तैयार होना घर में बिजली ,गैस नाल सब देखकर ताला बंद करना। ...और सुबह ५ बजे बिजली कटौती। .. ..उफ़! बहुत भागम-भाग अपना कुछ देखने का वक्त ही नहीं मिलता था। ... सलवार ही उल्टी पहन ली। ....गनीमत थी की काली थी। ..पता तो स्कूल पहुंचकर ही चला। .... :-) जब स्कूल वाली दीदी ने बताया। .... लबड़धोंधो कहते हैं अभी पता चला Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-26873564948172556832016-11-19T07:23:31.886+05:302016-11-19T07:23:31.886+05:30हा हा,साला मैं तो प्रोफेसर बन गया......
अरविंद हा हा,साला मैं तो प्रोफेसर बन गया...... <br />अरविंद Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-50731891398350139822016-11-18T13:20:24.450+05:302016-11-18T13:20:24.450+05:30मेरे साथ भी ऐसा हो चुका है. चप्पल दो अलग अलग पहन ल...मेरे साथ भी ऐसा हो चुका है. चप्पल दो अलग अलग पहन लिया था. पर वो वक्त रात का था, और एक कार्यक्रम में गया था जो घर के पास ही था, जिसमें लोगों का ध्यान पहुंचता इससे पहले ही मेरा ध्यान चला गया क्योंकि चलने में परेशानी आ रही थी, और मैं बदल आया था :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-73794626723905749592016-11-17T21:12:30.057+05:302016-11-17T21:12:30.057+05:30:-) :-) shwetanoreply@blogger.com