tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post9067977239696475948..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: डकैती, चोरी या जोश या केवल नादानीउन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-52202921179758852332009-03-23T01:47:00.000+05:302009-03-23T01:47:00.000+05:30आप के लेख से मेरी हिन्दी चिट्ठा जगत की जानकारी बढ़ी...आप के लेख से मेरी हिन्दी चिट्ठा जगत की जानकारी बढ़ी । आपके लेख के लिए धन्यवाद ।प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-39388871005416704342007-02-17T00:34:00.000+05:302007-02-17T00:34:00.000+05:30बहुत पुराना चिट्ठा है पर आज ही पढ़ा । मेरे खयाल से ...बहुत पुराना चिट्ठा है पर आज ही पढ़ा । मेरे खयाल से किसी से बिना पूछे उनकी रचना नहीं उठानी चाहिए । आज चाहे यहाँ पैसा कमाना असम्भव हो, पर कल सम्भव है । जो भी हो, गलत गलत ही रहेगा और सही सही ही । वैसे अब मैं भी इस कैफे में जाकर देखती हूँ । आप के लेख से मेरी हिन्दी चिट्ठा जगत की जानकारी बढ़ी । अभी यहाँ नई हूँ । आपके लेख के लिए धन्यवाद ।<BR/>घुघूती बासूती <BR/>ghughutibasuti.blogspot.comghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-66587354132985564002007-02-11T11:44:00.000+05:302007-02-11T11:44:00.000+05:30लेख अच्छा है हिन्दी ब्लॉग जगत का उद्भव और विकास ऐस...लेख अच्छा है हिन्दी ब्लॉग जगत का उद्भव और विकास ऐसे ही विवेचनात्मक लेख द्वारा सम्भव हो सकेगाNeelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-17660473799797406072007-02-05T06:16:00.000+05:302007-02-05T06:16:00.000+05:30राजीव जी अब चिट्ठा लिखने लगे हैं। उनके चिट्ठे का न...राजीव जी अब चिट्ठा लिखने लगे हैं। उनके चिट्ठे का नाम <a href="http://antarim.blogspot.com/"> अंतरिम</a> है।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-88671038707399698862007-02-05T00:00:00.000+05:302007-02-05T00:00:00.000+05:30पहली बात तो आपको सूचना दे दें कि राजीव टंडनजी ने भ...पहली बात तो आपको सूचना दे दें कि राजीव टंडनजी ने भी अपना ब्लाग शुरू कियाहै(http://antarim.blogspot.com/)। यह उन्होंने हमारे उकसाने पर शुरू किया। अब समय उनको कितनी छूट देता है नियमितता बनाये रखने की यह आने वाला समय बतायेगा! आपके विचारों से सहमत हूं मैं साथ ही यह भी लिखना चाहूंगा कि मैथिलीजी ने चूंकि लोगों से पूछा नहीं था इसलिये लोगों की ऐसी प्रतिक्रियायें हुईं। अगर वे दूसरे साथियों से भी पूछ लेते जैसे आपसे और रविरतलामीजी से पूछा तो शायद लोग खुद प्रचार करते कि देखो हमारा लेख यहां छपा है। दूसरी बात विश्वास की भी है। कोई अनजान व्यक्ति आपके लिखे का व्यवसायिक उपयोग कर रहा है या आगे करेगा यह बातें व्यक्ति सहज रूप में ही सोचता है। इसीलिये जो प्रतिक्रियायें हुईं वे सहज प्रतिक्रियायें थीं। बहरहाल इसी बहाने तमाम बहस हुई और तमाम बातें /नजरिये सामने आये। आशा है कि मैथिलीजी जल्द ही ब्लागजगत से जुड़ेंगे।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-84596750138329321262007-02-04T23:23:00.000+05:302007-02-04T23:23:00.000+05:30मिश्रा जी मैंने शब्दकोश को देखा। उसमें स्रोत ही लि...मिश्रा जी मैंने शब्दकोश को देखा। उसमें स्रोत ही लिखा है। आपकी बात ठीक है। मैंने इसे ठीक कर दिया है। धन्यवाद।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-46540577566652003622007-02-04T13:10:00.000+05:302007-02-04T13:10:00.000+05:30सारे फसाद की जड़ मैथलीजी से हमारा अपरिचीत होना है.
...सारे फसाद की जड़ मैथलीजी से हमारा अपरिचीत होना है.<br />अनजान आदमी द्वारा किये गये ऐसे काम पर हल्ला मचेगा ही.<br />आदर्शवादी विचार तथा व्यवहारीक विचार दोनो अपनी-अपनी जगह है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-91372454248114891052007-02-04T07:11:00.000+05:302007-02-04T07:11:00.000+05:30"...मैथली जी आपको पुनः धन्यवाद, आपने सम्मान दिया औ..."...मैथली जी आपको पुनः धन्यवाद, आपने सम्मान दिया और मेरी कई चिट्ठियों को पुनः चिट्ठेजगत के सामने पेश किया। ..."<br /><br /><br />मुझे भी यही कहना है. अभिव्यक्ति पर मैं सालों से लिख रहा हूँ. बिना किसी पारिश्रमिक लिए. परंतु वहाँ प्रकाशित होने पर (या पुनः प्रकाशित होने पर) एक खुशी, एक गर्व सा महसूस होता है, और इसके जरिए अंतरजाल पर हिन्दी पढ़ने वाले दर्जनों नए मित्र, और सैकड़ों नए पाठक भी बने हैं. फ़ुरसतिया जी तो अपने धुआंधार चिट्ठा लेखन के लिए अभिव्यक्ति पर छपे मेरे एक लेख को ही कल्प्रिट (जिम्मेदार) मानते हैं :)<br /><br />और, वैसे भी कैफ़ेहिन्दी (या अभिव्यक्ति) जैसे किसी भी आयोजन पर आपके ब्लॉग की पूरी सामग्री किसी भी सूरत में नहीं डाली जा सकेगी. आप दस-बीस प्रविष्टियाँ लिखेंगे तो शायद एकाध ही उस लायक हो सकेगी. तो भले ही आप घोर व्यावसायिक हों, आपका ज्यादा नुकसान नहीं होने वाला, ऊपर से आपके चिट्ठे पर प्रकाशन के दो-चार दिन बाद ही वह पुनःप्रकाशित होगा. इससे आपके चिट्ठे के ट्रैफ़िक के उधर मुड़ जाने का कोई खतरा नहीं.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-79028384229774097722007-02-04T06:41:00.000+05:302007-02-04T06:41:00.000+05:30ये भी सही है(Moderation), Approval की आवश्यकता नही...ये भी सही है(Moderation), Approval की आवश्यकता नही है बस अन्तर्जाल पर गलत वर्तनी का कोष न बढे इसलिये। वैसे अन्तर्जाल पर स्रोत (४७५००) के लिये 'स्त्रोत'(१७५००) भी लिखा मिल जायेगा।<br /><br /><a href="http://www.google.com/search?hl=en&q=%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0&btnG=Google+Search">सोत्र (१७)के लिये यहाँ देखें।</a>RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-32065962878366391502007-02-04T06:32:00.000+05:302007-02-04T06:32:00.000+05:30बहुत अच्छा लेख, धन्यवाद।
कृपया सोत्र को स्रोत से ...बहुत अच्छा लेख, धन्यवाद।<br /><br />कृपया सोत्र को स्रोत से बदल दें।(आपका ई-मेल पता नही मिला)RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-25007380997730901892007-02-04T03:13:00.000+05:302007-02-04T03:13:00.000+05:30घोर विचार मंथन की आवश्यकता है. सही कह रहे हैं जब स...घोर विचार मंथन की आवश्यकता है. सही कह रहे हैं जब संख्या बढ़ेगी तब क्या होगा..थोड़ा भविष्य की परिकल्पना कर विचार करना होगा अभी से.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-55446805350006057472007-02-04T00:28:00.000+05:302007-02-04T00:28:00.000+05:30आपने अपने विचारों को अच्छी तरह सामने रखा। हिन्दी क...आपने अपने विचारों को अच्छी तरह सामने रखा। हिन्दी के प्रसार संबंधी आपके विचार भी उत्तम हैं। लेकिन जैसा कि पहले अनेक बार कहा गया है और मैं उससे सहमत हूँ कि हिन्दी में व्यावसायिक चिट्ठाकार हो ही नहीं सकते। थोड़ी ही सही लेकिन कुछ कमाई तो कुछ चिट्ठाकार करते ही होंगे। इस बारे में रविरतलामी जी भी लिख चुके हैं। इसलिए उन चिट्ठाकारों को अपनी मेहनत से लिखा बिना अनुमति छापा जाना अखरेगा ही।<br /><br />हाँ इस बात में कोई शक नहीं कि हिन्दी का प्रसार हो लेकिन उसके लिए यह तो नहीं कि हर जायज-नाजायज तरीका अपनाया जाए।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-57527070745572073222007-02-03T22:26:00.000+05:302007-02-03T22:26:00.000+05:30आपकी साफ़गोई से मुझे ताकत मिली है । मुझे थोड़ा संशय ...आपकी साफ़गोई से मुझे ताकत मिली है । मुझे थोड़ा संशय जरूर है।वह इस बात का,कि प्रतिबद्धताविहीन स्थान पर बिना सहमति लेख लिए जाने पर थोड़ा अखरेगा ।यह मैं सामान्यरूप से कह रहा हूँ।Anonymousnoreply@blogger.com