चित्र फोटोबकेट से |
मैंने टिम बरनस् ली के बारे में लिखते समय कहा था कि मैं शीघ्र 'अन्तरजाल की मायानगरी में' नाम की श्रंखला शुरू कर, अंतरजाल के इतिहास, इस पर उठ रहे मुद्दों के बारे में बात करूंगा। आज इसी श्रंखला की कड़ी में चर्चा का विषय है 'इंटरनेट क्या होता है'। इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
- Windows पर कम से कम Audacity एवं Winamp में;
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में; और
- Mac-OX पर कम से कम Audacity में, सुन सकते हैं।
ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। इसकी टिम बरनस् ली की कड़ी सुनने के लिये यहां चटका लगायें।
इंटरनेट का सफर, १९७० के दशक में, विंट सर्फ (Vint Cerf) और बाब काहन् (Bob Kanh) ने शुरू किया गया। उन्होनें एक ऐसे तरीके का आविष्कार किया, जिसके द्वारा कंप्यूटर पर किसी सूचना को छोटे-छोटे पैकेट में तोड़ा जा सकता था और दूसरे कम्प्यूटर में इस प्रकार से भेजा जा सकता था कि वे पैकेट दूसरे कम्प्यूटर पर पहुंच कर पुनः उस सूचना कि प्रतिलिपी बना सकें - अथार्त कंप्यूटरों के बीच संवाद करने का तरीका निकाला। इस तरीके को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल {Transmission Control Protocol (TCP)} कहा गया।
सूचना का इस तरह से आदान प्रदान करना तब भी दुहराया जा सकता है जब किसी भी नेटवर्क में दो से अधिक कंप्यूटर हों। क्योंकि किसी भी नेटवर्क में हर कम्प्यूटर का खास पता होता है। इस पते को इण्टरनेट प्रोटोकॉल पता {Internet Protocol (I.P.) address} कहा जाता है। इण्टरनेट प्रोटोकॉल (I.P.) पता वास्तव में कुछ नम्बर होते हैं जो एक दूसरे से एक बिंदु के द्वारा अलग-अलग किए गए हैं।
सूचना को जब छोटे-छोटे पैकेटों में तोड़ कर दूसरे कम्प्यूटर में भेजा जाता है तो यह पैकेट एक तरह से एक चिट्ठी होती है जिसमें भेजने वाले कम्प्यूटर का पता और पाने वाले कम्प्यूटर का पता लिखा होता है। जब वह पैकेट किसी भी नेटवर्क कम्प्यूटर के पास पहुंचता है तो कम्प्यूटर देखता है कि वह पैकेट उसके लिए भेजा गया है या नहीं। यदि वह पैकेट उसके लिए नहीं भेजा गया है तो वह उसे आगे उस दिशा में बढ़ा देता है जिस दिशा में वह कंप्यूटर है जिसके लिये वह पैकेट भेजा गया है। इस तरह से पैकेट को एक जगह से दूसरी जगह भेजने को इण्टरनेट प्रोटोकॉल {Internet Protocol (I.P.)} कहा जाता है।
अक्सर कार्यालयों के सारे कम्प्यूटर आपस में एक दूसरे से जुड़े रहते हैं और वे एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं। इसको Local Area Network (LAN) लैन कहते हैं। लैन में जुड़ा कोई कंप्यूटर या कोई अकेला कंप्यूटर, दूसरे कंप्यूटरों के साथ टेलीफोन लाइन या सेटेलाइट से जुड़ा रहता है। अर्थात, दुनिया भर के कम्प्यूटर एक दूसरे से जुड़े हैं। इण्टरनेट, दुनिया भर के कम्प्यूटर का ऎसा नेटवर्क है जो एक दूसरे से संवाद कर सकता है।
Internet is network of all computers, or a global network of computers, capable of communicating with each other.
अगली बार हम लोग बात करेंगे वेब के बारे में। क्या यह इंटरनेट से अलग है?
अंतरजाल की मायानगरी में
टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।।
सुना नहीं अभी बस पढ़ लिया है. अच्छी ज्ञानवर्धक श्रृंख्ला शुरु की है, बधाई.
ReplyDeleteएक अच्छी शृंखला शुरू करने के लिये साधुवाद!
ReplyDeleteवाह बहुत अच्छी जानकारी की शृंखला शुरू की है आपने|
ReplyDeleteअभी तो बस इतना कहने आई हूँ की आपको एक पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है | कृपया मेरे ब्लॉग पे आने का कष्ट करें | :-)
आपकी लेखनी से अंतर्जाल कथा का आस्वादन मजेदार होगा
ReplyDeleteपुनरावलोकन का आनंद भी मिलेगा .
bahut achi website hai
ReplyDeletei used this for my school anuched :p
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ReplyDeleteमेरे अज्ञात मित्र तुम्हारा स्वागत है। मुझे अच्छा लगता यदि तुम अपना नाम भी लिखते।
ReplyDeletenice!!!!!!!!!!! :)
ReplyDeletebahut aacha
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