यह चिट्ठी जेम्स रान्डी को श्रद्धांजलि है।
जेम्स रान्डी का यह चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से
जेम्स रान्डी का जन्म, ७ अगस्त, १९२८ में, टोरंटो, कनाडा में हुआ था। उसने अपने कैरियर की शुरुवात, 'द अमेजिंग रान्डी' नाम से, एक जादूगर की हैसियत से की। लेकिन, बाद में, अपना जीवन अपसामान्य, मनोगत, और अलौकिक दावों का भंडाफोड़ करने के लिए समर्पित कर दिया। आधुनिक समय में, लोगों में वैज्ञानिक स्वभाव को आगे बढ़ाने के लिए, जितना काम उसने किया, शायद उतना किसी और ने नहीं।
१९८० दशक की शुरुआत में, मैंने मार्टिन गार्नर की पुस्तक 'साइंस गुड, बैड, एंड बोगस' पढ़ी। यह पुस्तक गार्डनर के उन लेखों का संकलन है, जिसमें वह इस तरह के फर्जी दावों का परदाफ़ाश करते हैं। यह एक बेहतरीन पुस्तक है। एक बार शुरू करने के बाद,पुस्तक को छोड़ना मुश्किल है।
यह पुस्तक तीन लोगों को, जिसमें एक रान्डी हैं, को यह कह कर समर्पित है कि 'बेईमान और बहकाने वाले लोगों के विरुद्ध, लड़ने वाले मेरे मित्रों, जादूगरों और साथी सिपाहियों को समर्पित'। यह पुस्तक, ‘कमेटी ऑफ स्केप्टिकल इंक्वायरी’ (Committee for Skeptical Inquiry) द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'स्केप्टिकल इंक्वायरर' (Skeptical Inquirer) की सदस्यता लेने की भी सिफारिश करती है। यह वह कमेटी है जिसे रान्डी ने, मार्टिन गार्नर और अन्य समान विचारधाराओं वाले व्यक्तियों के साथ मिल कर बनाया था। इसे पढ़ने के बाद ही, मुझे जेम्स रान्डी के बारे में पता चला।
एक बार, एक पैरा-साइकोलॉजिस्ट ने रान्डी को यह कह कर चुनौती दी कि यदि हिम्मत है तो जो कहते हो उस पर शर्त लगाओ (put your money where your mouth is)। इस चुनौती पर, रान्डी ने, पहले उस व्यक्ति को 1,000 डॉलर का पुरुस्कार देने का वायद किया जो असाधारण, अलौकिक, या मनोगत शक्ति या घटना का प्रमाण दे सके और उसे दोनों पक्षों द्वारा सहमत शर्तों के तहत, प्रदर्शित कर सके। बाद में यह राशि बढ़ाकर 10,000, फिर 100,000, और अंत में 1,000,000 डॉलर कर दी गय़ी। पुरस्कार के लिए हज़ार से अधिक दावेदार थे लेकिन कोई भी इसे जीत न सका। जब सालों, कोई इस पुरुस्कार को जीत न सका तब २०१५ में इसे समाप्त कर दिया गया, ताकि इस पैसे का बेहतर उपयोग हो सके।
ऐसे कई प्रसिद्ध किस्से हैं जिसमें रांडी ने धोखा दे रहे लोगों की सत्यता बतायी। इनमें से सबसे प्रसिद्ध किस्सा, १९८० के दशक में, पीटर पॉपॉफ़ का है। वह धर्मोपदेशक था और लोगों को देख कर, उनके बारे में बताने तथा उसके बाद उपदेशों के माध्यम से उन्हें ठीक करने का दावा करता था। रान्डी ने पाया कि पॉपॉफ़ एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमीटर का उपयोग कर रहा था और पर्दे के पीछे से उसकी पत्नी, उसे, उस व्यक्ति के बारे में बताती थी।
उसी समय इज़राइल का निवासी उरी गेलर भी प्रसिद्ध हो गया था। वह दिमागी शक्ति के द्वारा, स्टील के चमच्च को मोड़ सकने का दावा करता था। रान्डी के द्वारा उसे चुनौती देने पर वह मंच पर, उसके साथ अपना करतब दिखाने की हिम्मत नहीं जुटा सका और उसका धोका उजागर हो गया।
इसी महीने, २० अक्टूबर, २०२० को रान्डी की मृत्यु हो गयी। दुनिया भर के लोग, उसे अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। उरी गेलर, ने एक ट्वीट किया। जिसे बाद में फेसबुक पर विस्तार से लिखा।
"दुखद है कि रान्डी, अपनी आत्मा में घृणा के लिये, मर गया। आप सभी को प्यार।”
रान्डी की मौत पर, इस तरह का अशोभनीय उल्लास, तो उरी गेलर जैसे लोग ही कर सकते हैं। उन्हें मालुम है कि रान्डी अनूठा था। शायद फिर कभी, इस तरह का व्यक्ति पैदा न हो।
२०१४ में, रान्डी के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री ‘एन ऑनेस्ट लायर’ भी बनी है। लोग उसे अक्सर परदाफ़ाश करने वाला व्यक्ति कहा कहते थे। लेकिन यह उसे पसन्द नहीं था। वह खुद को जांच-पड़ताल करनेवाला या 'अन्वेषक' कहलाना पसंद करता था। उसे सही श्रद्धांजलि तो यही होगी कि हम अन्वेषक बने, न कि अंधविश्वासी; हम वॅज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाये, न कि चालों के द्वारा दूसरो को धोखा देना वाला।
James Randi, Committee for Skeptical Inquiry, One Million Dollar Paranormal Challenge,
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रैंडी के बारे में बहुत अच्छा लिखा आपने। मैंने भी एक लेख वैज्ञानिक दृष्टिकोण पत्रिका, जयपुर में प्रकाशनार्थ भेजी है।
ReplyDeleteक्या इसे आप फेसबुक पर भी प्रकाशित कर मुझे टैग कर सकते हैं या सूचित कर सकते हैं? और मुझे अपनी वाल पर साझा करने की अनुमति दे सकते हैं?
मेरे लेखन पर किसी तरह का कॉपीराइट नहीं है। सभी को इसे इसी तरह या फिर संपादित कर प्रकाशित करने का अधिकार है।
Deleteयदि कॉपीराइट होता तब भी किसी को भी नाम लिखते हुऐ प्रकाशित करने का अधिकार है।
I liked the last sentence in this video => 'No matter how smart or well educated you are , you can be deceived'.
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