tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post1999670857326408180..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: बाप रे बाप, हिन्दुवों के इतने भगवान - उलझन नहीं होती?उन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-81729170881256301652009-08-23T14:06:59.365+05:302009-08-23T14:06:59.365+05:30हिन्दू जीवन शैली ही है। जिस में सभी उन धर्मों के ल...हिन्दू जीवन शैली ही है। जिस में सभी उन धर्मों के लिए स्थान है जो दूसरे धर्मों को भी आदर दे सकते हैं। आप ने संक्षेप में बहुत अच्छी समझ दी है, जिस की भारत में अधिक आवश्यकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-46094877870633940422009-08-22T18:06:23.835+05:302009-08-22T18:06:23.835+05:30हिंदू-धर्म सनातन-धर्म है। सनातन अर्थात निरंतर/ गत...हिंदू-धर्म सनातन-धर्म है। सनातन अर्थात निरंतर/ गतिशील। गति परिवर्तन करती है इसलिए सनातन/हिंदू-धर्म कठोर और जकड़ा हुआ नहें है।प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-7274358228852558912009-08-22T18:06:20.712+05:302009-08-22T18:06:20.712+05:30मेरे अज्ञात मित्र,
आपकी टिप्पणी का सन्दर्भ कुछ कम...मेरे अज्ञात मित्र, <br />आपकी टिप्पणी का सन्दर्भ कुछ कम समझ में आया। यह सलीम भाई कौन हैं? <br /><br />यह चिट्ठी मैंने अंग्रेजी में ईमेल मित्र को उसके हिन्दू धर्म के बारे में पूछे जाने पर लिखी थी। बाद में लगा शायद अन्य लोग भी पसन्द करें इस लिये यहां पोस्ट बना के लिख दी। तब तक न्यूज़वीक का लेख भी पढ़ लिया था। यह भी कुछ हिन्दू धर्म से संबन्धित था इसलिये यहां उसका लिंक डाल दिया।<br /><br />जहां तक मेरी बात है, जैसा मैंने लिखा है अज्ञेयवादी हूं। भगवान ईश्वर मेरे परे है। मैं किसी पूजा-घर नहीं जाता और न ही मेरे घर में पूजा होती है। उसके बिना भी, अपना जीवन आनन्द से बिता रहा हूं। <br /><br />यदि धर्म के बारे में मेरे विचार जानना चाहते हैं तो आप मेरी चिट्टी <a href="http://unmukt-hindi.blogspot.com/2006/04/blog-post_09.html" rel="nofollow">मेरे जीवन में धर्म का महत्व</a> में पढ़ सकते हैं। यह मेरी सबसे प्रिय चिट्ठियों में से है। इसे अनुगूंज के लिये मैंने लिखा था। <br /><br />मेरा ईमेल का पता <a href="mailto:unmukt.s@gmail.com" rel="nofollow">यह</a> है। मुझे आपसे ईमेल पर भी बात कर प्रसन्नता होगी।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-54939098974767600582009-08-22T17:29:25.788+05:302009-08-22T17:29:25.788+05:30सलीम भाई , जरा सोचिये आपके मरने के बाद आपको पता चल...सलीम भाई , जरा सोचिये आपके मरने के बाद आपको पता चलता है .... की इश्वर जैसी कोई चीजे कभी थी ही नहीं, और धर्म नाम की चीज का कोई अस्तित्व था | मरने जीने का चक्र चलता रहता है अनंत काल तक और विभिन्न ग्रहों पे और इसको इश्वर/ अल्लाह नाम का कोई तत्त्व/ ज्ञान संचालित नहीं करता | और आपको पता चलता है की जो भी प्रचार किसी भी धर्म का आपने किया वो बेकार था जिन भी चीजों की लिए आप लादे वो उसी दुनिया का विचार था और वो वही तक सिमित था ............. तो जो ये इसलाम / हिन्दू के विचार आप कॉपी करते है और जबरजस्ती लिखते है उन का कोई महत्व नहीं होगा, क्यों सही है न ? ................... ना आपकी kuran न मेरी geeta मुझे इश्वर/ अल्लाह दिखा/ महसूस करा सकती है ना ही ऐसा कुछ है | सिर्फ एक concept के पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे है | जाईये जिंदगी का आनंद उठाईये वही इश्वर है ........ और किसी को दुःख न पहुचना ही धर्म है ........................Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-72168216831223064722009-08-22T13:04:09.379+05:302009-08-22T13:04:09.379+05:30लीसा को आपने बहुत अच्छी तरह से समझाया। अरविंद जी क...लीसा को आपने बहुत अच्छी तरह से समझाया। अरविंद जी की बात भी सही है। हिन्दुत्व या हिन्दू धर्म बहुत व्यापकता लिये है। इसे धर्म के तौर पर समझनेवालों को यह समझाना ज्यादा आसान है कि इसका दायरा उससे भी ज्यादा बड़ा है :)<br /><br />एक सम्पूर्ण जीवनशैली है यह। <br />अच्छा लगा। न्यूजवीक की कड़ी भी देखता हूं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-62637348550915450892009-08-22T08:52:11.980+05:302009-08-22T08:52:11.980+05:30न्यूजवीक का आर्टिकल पसंद आया. बाकी पोस्ट तो पसंद आ...न्यूजवीक का आर्टिकल पसंद आया. बाकी पोस्ट तो पसंद आई ही.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-88474949717567900252009-08-22T08:22:10.702+05:302009-08-22T08:22:10.702+05:30बहुत सुन्दर और सरल ढंग से सही व्याख्या की है आपने ...बहुत सुन्दर और सरल ढंग से सही व्याख्या की है आपने बहुत बहुत बधाई और आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-39133178065435635482009-08-22T07:38:34.849+05:302009-08-22T07:38:34.849+05:30लीसा को आपने सहज सरल तरीके से हिन्दू धर्म के बारे ...लीसा को आपने सहज सरल तरीके से हिन्दू धर्म के बारे में में बताया ! मगर हिन्दू धर्म (यदि यह धर्म है या नहीं है तब भी ) को व्याख्यायित करना सहज नहीं है -<br />यहाँ कोई भी परिभाषा /व्याख्या अंतिम नहीं है ! इदिमित्थम कही सकई न कोई ....मतलब यही अंतिम सत्य है इसे कोई कह नाहे सकता ! <br />हिन्दू को किसी फ्रेम में बंद नहीं किया जा सकता -यहाँ विचारों और आचरण की जो स्वच्छन्दता है वह देव दुर्लभ है ! मांस खाएं ,शराब पीयें , जुआ खेलें ,धूम्रपान करें या यह सब न करें आप तब बनही हिन्दू बने रह सकते हैं ! याहन तक की ईश्वर को न मने तब भी -या ईश्वर को साकार माने या निराकार -आप हिन्दू हो सकते हैं ! चिंतन की यह स्वतंत्रता क्या कोई और धर्म देता है ! <br />मैं तो अक्सर यही सोचता हूँ की मैं कितना धन्य हूँ हिन्दू होकर अगर मुसलमान होता तो जबरिया अल्लाह मियाँ को मानना पड़ता -नहीं तो काफिर हो जाता -हा हा हा !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-79352324332386838912009-08-22T06:51:22.855+05:302009-08-22T06:51:22.855+05:30आपकी बातों से पूर्ण सहमत .. हिन्दू धर्म हिन्दुस्...आपकी बातों से पूर्ण सहमत .. हिन्दू धर्म हिन्दुस्तान में रहने की एक जीवनशैली है .. और इसका इस ढंग से विकास किया गया है कि .. किसी भी क्षेत्र को नुकसान न हो .. इसमें मूर्ति पूजा किए जाने का कारण मूर्ति कला को विकसित करना भी हो सकता है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com