tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post645380152089822161..comments2024-02-22T19:15:31.889+05:30Comments on उन्मुक्त: नाई, महिला हैउन्मुक्तhttp://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-53826902777672247792010-07-07T23:08:38.289+05:302010-07-07T23:08:38.289+05:30अच्छा लेख है . इसी से मिलता जुलता प्रकार का १ मत ...अच्छा लेख है . इसी से मिलता जुलता प्रकार का १ मत Physics के टोपिक Thermodynamics में भी मिलता है जिसके अनुसार " Perfectly black body doesn't exist " .ie: There is no such body in universe that can absorb heat totally . ब्रह्मांड में कोई ऐसी वस्तु विधमान नहीं है जो ताप को पोर अवशोषित करले .Shwetanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-82686646356698257832010-07-06T02:24:35.394+05:302010-07-06T02:24:35.394+05:30वैज्ञानिक सिद्धांत निरूपण संबंधी यह चर्चा बड़ी
प्रा...वैज्ञानिक सिद्धांत निरूपण संबंधी यह चर्चा बड़ी<br />प्रासांगिक और रोचक लगी। आपको <br />जानकारी देता हूँ। "नाई" शब्द <br />"न्यायी" का अपभ्रंश रूप है। नैयायिकों <br />का एक काम था; "बाल की खाल <br />निकालना" न कि "खाल के बाल <br />निकालना।"<br />सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-64929664090054187692010-07-05T09:15:29.633+05:302010-07-05T09:15:29.633+05:30हम जहाँ भी देखते हैं सर्वत्र अस्तव्यस्तता पाते हैं...हम जहाँ भी देखते हैं सर्वत्र अस्तव्यस्तता पाते हैं। लेकिन जब खोजने निकलते हैं तो हर चीज अपने ठिकाने पर पाते हैं, उस की तमाम वजहें पाते हैं। समूचा विश्व नियमों से बंधा और व्यवस्थित है। बस नियम ही इतने हैं कि उन का कोई छोर नहीं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-79942729999896734712010-07-05T07:06:16.435+05:302010-07-05T07:06:16.435+05:30वाह! बड़ा अच्छा लगा आपकी यह पोस्ट पढ़कर। लवली की बात...वाह! बड़ा अच्छा लगा आपकी यह पोस्ट पढ़कर। लवली की बात को मैं फ़िर से दोहराऊंगा। आपके लेखों का संकलन छपना चाहिये। आप सोचिये ,रास्ते निकलेंगे।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-39512737115878702962010-07-04T19:38:14.699+05:302010-07-04T19:38:14.699+05:30आपका ब्लॉग मुझे बेहद पसंद आया उन्मुक्त जी ,वैसे भी...आपका ब्लॉग मुझे बेहद पसंद आया उन्मुक्त जी ,वैसे भी वैज्ञानिकता के परिप्रेक्ष्य के लेख मेरी पहली पसंद होते हैं किन्तु आप तो वास्तविकता को उजागर कर रहे हैं अन्यथा लोग साइंस के नाम पर उल-जलूल चीजें परोस देते हैं ,गर्दल को मैं जल्दी ही पढूंगी और आपकी पत्नी का ब्लॉग भीalka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-78048808272041451142010-07-04T00:43:45.765+05:302010-07-04T00:43:45.765+05:30उत्तर सही है पर सटीक नहीं...अरविन्द जी की बात सही ...उत्तर सही है पर सटीक नहीं...अरविन्द जी की बात सही है. पर सापेक्षता नहीं संभाविता होना चाहिए. यदि हर बात का उत्तर एकदम सही या गलत दिया जा सकता तो संभाविता या प्रोबेबिलिटी का इतना बोलबाला नहीं होता.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-35336692684997172102010-07-03T21:44:38.707+05:302010-07-03T21:44:38.707+05:30रोचक पोस्ट है धन्यवाद।रोचक पोस्ट है धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-86181968307081117752010-07-03T16:55:56.822+05:302010-07-03T16:55:56.822+05:30सही उत्तर है । यह तो दिमाग में धँसा ही नहीं ।सही उत्तर है । यह तो दिमाग में धँसा ही नहीं ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-74716101449925312372010-07-03T15:59:01.201+05:302010-07-03T15:59:01.201+05:30सही विचार.सही विचार.E-Guru _Rajeev_Nandan_Dwivedihttps://www.blogger.com/profile/08622138211911028281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-54275293107917382422010-07-03T09:22:29.903+05:302010-07-03T09:22:29.903+05:30लवली जी, काश मेरी इतनी जान पहचान होती कि अपने लेख ...लवली जी, काश मेरी इतनी जान पहचान होती कि अपने लेख हिन्दी प्रिंट में छपवा सकता। यही कारण है कि मैंने चिट्ठा लिखना शुरू किया। इसमें कोई भी जान पहचान की जरूरत नहीं है।<br /><br />लेकिन मेरे सारे लेखों में कोई भी कॉपीराईट नहीं है। हर को कुछ भी छापने का अधिकार है। क्या मालुम कोई हिन्दी प्रिन्ट वाला आपकी तरह सोचता हो और वह छाप दे :-)उन्मुक्तhttp://esnips.com/web/unmuktMusicFiles/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-59672294669836207052010-07-03T08:11:09.222+05:302010-07-03T08:11:09.222+05:30अगर यह सब हिंदी प्रिंट में आ पाता...कितना अच्छा हो...अगर यह सब हिंदी प्रिंट में आ पाता...कितना अच्छा होता..साधारण भारतीय की पहुँच नेट तक कहाँ है ..L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-45322748255103705762010-07-03T07:59:42.169+05:302010-07-03T07:59:42.169+05:30फिर एक रोचक दृष्टांत -दरअसल अंतिम सत्य का तो पता ...फिर एक रोचक दृष्टांत -दरअसल अंतिम सत्य का तो पता लग ही नहीं सकता शायद !सापेक्षता ने सबको दबोच रखा है!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23104312.post-80343227472841619642010-07-02T22:23:13.890+05:302010-07-02T22:23:13.890+05:30बहुत खूब.बहुत खूब.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com