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Saturday, December 02, 2006

गोलकुण्डा का किला और अंधेरी रात

हैदराबाद
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यह पोस्ट: गोलकुण्डा का किला और अंधेरी रात

हैदराबाद में एक देखने का स्थल है - गोलकुण्डा का किला। इसमें शाम को आवाज और रोशनी का कार्यक्रम होता जिसमें वे इसके इतिहास के बारे में बताते हैं। यह बहुत अच्छा है, कभी वहां जायें तो इसे अवश्य देखें। मैंने इसे कई बार देखा है।

एक बार मैं इसके अंग्रेजी के प्रोग्राम को देखने के लिए गया था। इसमें अंग्रेजी में आवाज अमिताभ बच्चन की है पर थोड़ी देर बाद आवाज और रोशनी दोनो गायब हो गयीं। जाहिर है कि बिजली चली गयी थी। कुछ देर तक जब बिजली नहीं आयी तो पता चला कि पावर कट है और जेनरेटर की डीज़ल खत्म हो गया है। बाजार से डीज़ल मंगवाया गया है पर आने में समय लगेगा।

जहां तक मुझे याद पड़ता है उस रात अमावस्या थी - कम से कम चांद तो नहीं निकला था। आकाश में तारे सुन्दरता बिखेर रहे थे। मैंने पूंछा कि जब तक बिजली नहीं आती है तब तक क्या वे लोग तारों के बारे में बात करना पसन्द करेंगे। वहां पर बैठे लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि क‍या करें, बोर हो रहे थे - उन्होंने हामी भर दी। मैं अपने मित्रों के बीच ज्यादा बोलने के लिये बदनाम हूं। आदत से लाचार - हो गया शुरु।

मुझे लगा कि सबसे पहला काम लोगों में उत्सुकता बढ़ाना है इसलिये सबसे पहले तारों के वर्गीकरण के बारे में बताना शुरु किया जैसा कि मैंने यहां बताया। जब मैने वर्गीकरण को याद करने वाला वाक्य
'Be A Fine Girl Kiss Me' और उसके बाद इसमें जोड़े नये तीन वर्ग को याद करने के लिये वाक्य 'Right Now Sweetheart' बताया तो मुझे लगा कि कुछ लोग हल्के हल्के मुस्कुरा रहें हैं और उन्हें मजा आने लगा है।

इसके बाद आकाश में तारा समूहों के बारे मैं बताना शुरु किया। तब शुरु हुआ राशियों का सफर और वे क्यों महत्वपूर्ण हैं। इन सब के बारे में मैंने कुछ यहां और यहां लिखा है। इतने में जनरेटर चलने की आवाज शुरु हो गयी और बिजली आ गयी। इस प्रोग्राम में अधिकतर लोग विदेशी थे। मैंने देखा कि कुछ एक दूसरे को चूम रहे थे, कुछ हाथ पकड़ कर प्यार का इज़हार कर रहे थे। एक विदेशी महिला ने मुस्कराते हुऐ कहा,
‘Thank you for taking us on star trek’
इतने में प्रोग्राम शुरु हो गया। अमिताभ बच्चन की आवाज आनी शुरु हो गयी और हम सब उसके जादू में खो गये।

4 comments:

  1. गोलकुंडा का किला तो देखा है पर समयाभाव के कारण रात्रि का कार्यक्रम नहीं देख पाया ! आपने तो साथ ही साथ तारों की कहानी सुना डाली ।

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  2. अरे उन्मुक्त जी, अब तो हैदराबाद आ कर आप से मिलना ही पड़ेगा! मुझे तारे और राशियों की बातों में बहुत दिलचस्पी है और यही इंतजार है कि कोई इस विषय को अच्छा जाने वाला मिल जाये. इस बारे में पढ़ा तो बहुत है, प्लेनेटेरियम में जा कर भी देखा है पर साथ में बैठ कर कोई बताये तो प्रश्न पूछने का मजा आ जाये!

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  3. तारों की रोचक कहानी भी अंग्रेजी मे ही हुई होगी?अन्यथा Star trek वाली टिप्पणी कैसे आती.उस किले के स्थापत्य में ध्वनि-शास्त्र कॆ अनुपम प्रयोगों की चर्चा,अगली प्रविष्टी में कीजिए.

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  4. Anonymous4:38 pm

    हैदराबाद में ८-९ महीने हो गये पर अभी तक देख नही पाये...जल्द कोशिश करते हैं

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