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Tuesday, January 07, 2020

बोरबाकी, ज़ीरो और डॉ बनवारी लाल शर्मा

यह चिट्ठी, आंद्रे वेल, उनके द्वारा बनाये बोरबाकी ग्रुप, इसके बारे में अमीर डी इक्जेल की लिखी पुस्तक 'द आर्टिस्ट एंड द मैथमेटिशियन: द स्टोरी ऑफ निकोला बोरबाकी, जीनियस मैथमेटिशियन हू नेवर एक्जिस्टेड' और इलाहाबाद के जाने माने गणित के प्रोफेसर बनवारी लाल शर्मा के बारे में  है।

१९३८ में बोरबाकी ग्रुप का लिया चित्र - महिला सिमोन वेल हैं और आंद्रे वेल बायें से तीसरे

आंद्रे वेल को नंबर सिद्धांत और बीजगणितीय ज्यामिति में अपने काम के लिए फ्रेंच गणितज्ञ के रूप में जाना जाता है। उनकी बहन सिमोन वेल प्रसिद्ध दार्शनिक थीं। रॉबर्ट ओपेनहाइमर की तरह, वेल ने संस्कृत सीखी थी। वे हिन्दू दर्शन और गीता से प्रभावित थे। एक बार उन्होंने, अपनी दार्शनिक बहन को एक पत्र में, गीता को उद्धृत करते हुऐ, गणित में समरूपता का महत्व के बारे में लिखा। उन्होंने कहा कि जैसे विष्णु के दस अलग-अलग अवतार हैं, एक सरल गणितीय समीकरण विभिन्न अमूर्त संरचनाओं में प्रकट हो सकता है। उनके प्रभाव के कारण, कई फ्रेंच गणितज्ञों को हिंदू आध्यात्मिक शब्दों का प्रयोग करना पसंद था। अकसर गणित के समीकरण, सिद्धांत नयी तरह से सामने आते हैं। अलेक्जेंडर ग्रोथेंडिक, जिसने आधुनिक गणित को आमूल परिवर्तन किया, वह इसे नये अवतार कहना पसंद करता था।

वेल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में दो साल १९३०-३२ में भी पढ़ाया था। लेकिन, दुर्भाग्यवश एएमयू ने, उसके महत्व को महसूस नहीं किया और उन्हें हटाने की कोशिश की लेकिन, अंततः वह स्वयं एएमयू छोड़ कर पहले फ्रांस और बाद में अमेरिका चले गए।

एएमयू से वापस जाने के बाद, वेल और अन्य फ्रेंच गणितज्ञों ने शुद्ध गणित के क्षेत्र में, एक ग्रुप बनाने की आवश्यकता महसूस की, जो संयुक्त रूप से गणित में पढ़ाने के लिये पाठ्यपुस्तकों को लिखे। पेरिस में एक सम्मेलन के दौरान, वेल ने १० दिसंबर १९३४ को एक बैठक आयोजित की जिसमें बोरबाकी ग्रुप की स्थापना की। इस ग्रुप ने निकोला बोरबाकी के नाम से किताबें लिखी गईं। वेल इस ग्रुप के संस्थापक सदस्य और इसके शुरुआती नेता थे।
इस ग्रुप के बारे में, यहां पर,  एक दिलचस्प लेख है।

इन पुस्तकों ने गणित को नयी दिशा दी। नीकोला बोरबाकी नाम का कोई भी व्यक्ति नहीं था। कुछ फ्रांसीसी गणितज्ञों ने मिल कर यह कार्य किया। पुस्तकों में लेखक का नाम देना जरूरी होता है। चार्ल्स डेनिस बोरबाकी फ्रांसीसी सेना के एक प्रसिद्ध अधिकारी थे। फ्रांसीसी गणितज्ञों ने, बस उसी के नाम पर एक काल्पनिक नाम नीकोला बोरबाकी चुन लिया और लगे लिखने गणित पर पुस्तकें।  न ही उसमे किसी ने अपने नाम के बारे मे सोचा, न ही किसी ने कॉपीराईट के बारे मे - गणित को आगे बढ़ाना ही उनका ध्येय था।
यह इतनी अच्छी थीं कि उन्होंने गणित को नयी दिशा ही दे दी। बोरबाकी के बारे मे एक अच्छा लेख साईंटिफिक अमेरिकन के मई १९५७ के अंक मे छपा है। इस लेख को पौल हेलमौस ने लिखा है जो कि स्वयं एक जाने माने गणितज्ञ हैं।


अमीर डी इक्जेल ने एक पुस्तक 'द आर्टिस्ट एंड द मैथमेटिशियन: द स्टोरी ऑफ निकोला बोरबाकी, जीनियस मैथमेटिशियन हू नेवर एक्जिस्टेड' नाम से, इस ग्रुप के बारे में लिखी है। यह ग्रुप के विभिन्न सदस्यों के बारे में चर्चा करती है। पुस्तक यह भी बताती है कि यह ग्रुप क्यों प्रभावशाली नहीं रहा। पुस्तक का कहना है कि वे गणित में आ रहे परिवर्तनों का अनुमान नहीं लगा सके और उन्होंने अलेक्जेंडर ग्रोथेंडिक की बात नहीं मानी और उन्हें ग्रुप से बाहर कर दिया था।

बोरबाकी समूह पर लेख और अमीर एक्जेल द्वारा लिखित पुस्तक दोनों पढ़ने योग्य हैं।


हेनरी कार्टन बीजगणितीय टोपोलॉजिस्ट क्षेत्र के थे।
उनके पिता एली कार्टन विभेदक ज्यामिति के क्षेत्र के प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। वे भी बोरबाकी समूह के संस्थाक सदस्य थे।

डॉ बनवारी लाल शर्मा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में, गणित के जाने माने प्रोफेसर थे। वह अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध थे और शायद आधुनिक समय में सबसे प्रसिद्ध गणित के शिक्षकों में से एक। उन्होंने हेनरी कार्टन के मार्गदर्शन में यूनिवर्सिटि डी पेरिस सूद से अपना डीएससी किया था।

डॉ शर्मा ने इलाहाबाद में बोरबाकी ग्रुप की तर्ज पर एक ग्रुप बनाया था। इसे 'जीरो' कहा जाता था। इस समूह ने आधुनिक बीजगणित (Modern Algebra) और वेक्टर बीजगणित (Vector Algebra) पर दो पुस्तकें भी लिखी। यह इन विषयों पर सबसे अच्छी पुस्तकें थीं। पहली वाली पुस्तक मेरे पास कुछ वर्षों के लिए थी। लेकिन, अब मालुम नहीं कहां चली गयी। दुर्भाग्य से, पुस्तक साक्लोस्टाइल थी और अब उपलब्ध नहीं है। लेकिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में यह पुस्तकें उपलब्द्ध हैं। क्या अच्छा हो कि विश्वविद्यालय इसे अपडेट कर छाप दे।


एमेरजेन्सी के दौरान, डॉ शर्मा मीसा के अन्दर जेल में भी रहे। उसी के दौरान उन्होंने टोपोलोजी के उपर हिन्दी में एक पुस्तक भी लिखी। वे विकासशील देशों में अंतर्राष्ट्रीय गणितज्ञ परिषद (International Council of Mathematicians in developing countries) के १९८६ से १९९२ तक अध्यक्ष भी थे।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में, फरवरी १९८८ में बीजगणितीय और विभेदक टोपोलॉजी पर एक सम्मेलन हुआ था। यह तस्वीर उसमें में भाग लेने वालों की है। डॉ बनवारी लाल शर्मा दायें से दूसरे स्थान और डॉ प्रमिला श्रीवास्तव बायें ओर कुर्सी पर बैठीं है।  डॉ रामजी लाल आखिरी पंक्ति में बायें से दूसरे स्थान पर खड़े हैं।

इलाहाबाद विश्विद्यालय में, पढ़ाते समय से ही, डॉ शर्मा ने आज़ादी बचाओ सम्मेलन शुरू किया। वे इसके राष्ट्रीय संयोजक थे। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में सही अर्थों में, स्वराज  लाना, देश में बनी वस्तओं का वस्तुओं का प्रयोग करना था। १९९० के दशक में, गैट के विरुद्ध, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दाखिल की थी। 

डॉ बनवारी लाल शर्मा एक सम्मेलन में बोलते हुऐ




 About this post in English and Hindi-Roman
This post in Hindi (Devnagri) is about book mathematician Andre Weil, Bourbaki group, Dr. Banwari Lal Sharma and the book 'The Artist and the Mathematician: The Story of Nicolas Bourbaki, the Genius Mathematician Who Never Existed', writtten by Amir D Eczel. You can translate it in any other language – see the right hand widget for converting it in the other script.

Hindi (Devnagri) kee yeh chhitthi, Andre Weil, Bourbaki group, Dr. Banwari Lal Sharma aur Amir D Eczel kee likhee pustak 'The Artist and the Mathematician: The Story of Nicolas Bourbaki, the Genius Mathematician Who Never Existed' ke baare mein hai. ise aap kisee aur bhasha mein anuvaad kar sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

सांकेतिक शब्द  
। André Weil,  Bourbaki group, The Artist and the Mathematician: The Story of Nicolas Bourbaki, the Genius Mathematician Who Never Existed, Amir D Eczel, Banwari Lal Sharma, Allahabad University,
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5 comments:

  1. अच्छी जानकारी दी आपने। कृपया अपनी चिट्ठी लिखते रहे आपकी चिट्ठी का गहरा प्रभाव है हम पर। यह टिप्पणी हम अपने लैपटॉप से लिनक्स का प्रयोग करते हुए कर रहे है।

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    1. यह जानकर प्रसन्नता हुुई कि आप लिन्क्स का प्रयोग करते हैं। मैं लिनक्स मिन्ट का प्रयोग करता हूं। आप कौन सा करते हैं

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  2. मैं डा.राजीव कुमार श्रीवास्तव (डी.फिल, गणित) इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनवारी लाल शर्मा जी का सबसे प्रिय छात्र रहा।और हर आन्दोलनों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया।आज आपने पुरानी यादें ताजा कर दी। सम्पर्क नं,9873156832

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  3. महोदय मैं डा प्रोफेसर बनवारी लाल शर्मा और राजीव दीक्षित जी के बारे में और जानना चाहता हूं। मैं राजीव दीक्षित जी के बारे में खोजते खोजते यहां तक पहुंचा । इनके लेख हमे कैसे मिल सकते है ।

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    1. डा़. बनवारी लाल शर्मा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गणित के अध्यापक थे। उनके बाारे में, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गणित विभाग से जानकारी मिल सकती है। ऊपके की टिप्पणी पढ़ने से लगता है कि यह उनके किसी विद्यार्थी ने की है। उसमें उनका फोन नंबर लिखा है। आप उनसे समपर्क कर लीजिये।
      मुझे नहीं मालुम कि राजीव दिक्षित कौन है, क्या करते हैं और उनका बनवारी लाल शर्मा से क्या संबन्ध है।

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