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Sunday, April 23, 2006

उर्मिला की कहानी - मुकदमे की दास्तान

मैंने मुन्ने की मां को गुस्सा क्यों आया की पोस्ट पर बताया था कि उर्मिला और ईकबाल मेरे विश्वविद्यालय के सहपाठी हैं तथा मुन्ने की मां उर्मिला की फोटो को लेकर गुस्सा हो गयी थी और उसके पते के बारे में पूछने लग गयी| अब पढ़िये कि ईकबाल जो कि अब वकील है उसने उर्मिला के बारे में क्या बताया|

उर्मिला पढ़ने में तेज, स्वभाव में अच्छी वा जीवन्त लड़की थी| पढ़ाई के बाद उसकी शादी एक आर्मी औफिसर से हो गयी| शादी के समय, वह बौर्डर पर तैनात था| शादी के बाद कुछ दिन रुक कर वापस चला गया| एक दो बार वह और कुछ दिनो के लिये आया और फिर वापस चला गया| वह उससे कहता था कि उसकी तैनाती ऐसी जगह होने वाली है जहां वह अपने परिवार को रख सकता है तब वह उसे अपने साथ ले जायगा| जब उर्मिला का पती रहता था तो वह ससुराल में रहती पर बाकी समय ससुराल और मायके के दोनो जगह रहती| उर्मिला की नन्द तथा नन्दोई भी उसी शहर में रहते थे जहां उसका मायका था इसलिये वह जब मायके में आती तो वह उनके घर भी जाती थी|

एक दिन उर्मिला बज़ार गयी तो रात तक वापस नही आयी| उसके पिता परेशान हो गये उसके ससुराल वालों से पूछा, नन्दोई से पूछा, सहेलियों से पूछा - पर कोई पता नहीं चला| पिता ने हारकर पुलिस में रिपोर्ट भी की| वह अगले दिन पोस्ट औफिस के पास लगभग बेहोशी कि हालत में पड़ी मिली| उसके साथ जरूर कुछ गलत कार्य हुआ था| उसका पति भी आया वह कुछ दिन उसके पास रहने के लिये गयी और वह उर्मिला को मायके छोड़ कर वापस ड्यूटी पर चला गया| उर्मिला फिर कभी भी अपने ससुराल वापस नहीं जा पायी|

कुछ महीनो के बाद उर्मिला पास उसके पती की तरफ से शादी के सम्बन्ध विच्छेद की नोटिस आयी| उसमे लिखा था कि,
  • उर्मिल अपने पुरुष मित्र (पर कोई नाम नहीं) के साथ बच्चा गिरवाने गयी थी;
  • उसके पुरुष मित्र ने उसे धोका दिया तथा उसके साथ गैंग-रेप हुआ है;
  • ऐसी पत्नी के साथ, न तो बाहर किसी पार्टी में (जो कि आर्मी औफिसर के जीवन में अकसर होती हैं) जाया जा सकता है, न ही समाज में रहा जा सकता है;
इसलिये दोनो के बीच सम्बन्ध विच्छेद कर दिया जाय|

उर्मिला का कहना था कि,
  • वह बाज़ार गयी थी वंहा उसके नन्दोई मिल गये;
  • नन्दोई के यह कहने पर कि उर्मिला पति का फोन उससे बात करने के लिये आया था तथा फिर अयेगा और वे उससे बात करना चाहते हैं वह उनके साथ घर चली गयी क्योंकि उसके घर का फोन कुछ दिन से खराब चल रहा था ;
  • नन्दोई के यहां चाय पीने के बाद उसकी तबियत खराब हो गयी| जब उठी तो उसने अपने आप को रेलवे लाईन के पास पाया;
  • उसे कुछ याद नहीं कि उसके साथ क्या हुआ|
वह अपने पति से प्रेम करती है सम्बन्ध विच्छेद न किया जाय|

अगली बार देखेंगे कि अदालत इस मुकदमे में क्या फैसला सुनाती है|


उर्मिला की कहानी
मुन्ने की मां को गुस्सा क्यों आया।। मुकदमे की दास्तान।। अदालत का फैसला।। घटना की सच्चाई

3 comments:

  1. अरे!! ये क्या हुआ?

    हम तो इसे एक साफ़ सुथरी, घर परिवार के साथ बैठ कर देख सकने वाली नार्मल टी. वी. सिरीयल समझ रहे थे.

    ये तो (U) टर्न मार कर (A) सर्टिफ़िकेट मिल गया इसे.

    बकौल दादामुनि:

    क्या उर्मिला अपनी लाज खो चुकी है?
    क्या उर्मिला अपने पति के घर जा पायेगी?
    क्या नन्दोई इस मामले की जड है?
    क्या उर्मिला को इंसाफ़ मिलेगा?

    देखेंगे "हम लोग".

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  2. विजय जी
    आपकी याददाश्त तारीफे काबिल है| 'हम लोग' सीरियल कितने पहले आया था आपको अभी भी याद है| खैर बकैल अशोक कुमार उर्फ दादा मुनी,
    जीवन के हैं रूप अनेक,
    जिनीके हैं अपने सच और नेक|
    हम उन्हे दें सर्टीफिकेट यू या ऐ,
    हम देखें या न देखें,
    हम चाहें या न चाहें,
    पड़ेंगे हम सब को झेलने|

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  3. उन्मुक्त जी,

    कुछ बातें होती हैं जो चाहते ना चाहते हुये भी हमारे मन पर अपनी छाप छोड देती है.

    आप तो "हम लोग" की बात कर रहे हैं, हमें तो वो टाईटल म्युझिक भी याद है जब दूरदर्शन नया नया आया था तब उसका सुबह या शाम का प्रसारण शुरु होने के पहले जो बजा करता था. और दूरदर्शन का लोगो धीरे धीरे घुमता हुआ सामने आ जाता था. :)

    और हाँ किसी कोर्स की किताब के बारे में कुछ ना पुछा जाय, उस मामले तो हमें ये भी याद नही रहता कि हमने कौन कौन से विषय पढे थे.

    वैसे इससे ये अंदाजा ना लगाया जाय कि हमने ढेरों सावन देखे हैं. :)

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