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Friday, June 15, 2007

बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है

श्रीनगर पहुंचते ही, हम टैक्सी पकड़कर पहलगांव के लिए चल दिये। पहलगांव समुद्र तट से लगभग ७५०० लगभग फीट की ऊँचाई पर है। यहां लिडर और शेषनाग नदियों का संगम है। श्रीनगर से पहलगांव का रास्ता लिडर नदी के साथ चलता है और सुन्दर है।

हमारे टैक्सी चालक का नाम ओमर था। उसने कहा कि बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम दोनो एक जैसे हैं, पता नहीं कब बदल जाय। बहुत ज्लद ही इसका अनुभव हो गया। रास्ते में कहीं पांच मिनट बारिश, तो फिर तेज धूप।

रास्ते में हमने रूक कर कश्मीरी कहवा पिया। यह सुगंधित चाय सा था। इसमें दूध तो नहीं पर दालचीनी और बादाम पड़े थे।

पहलगांव में हम हेवेन (Heevan) होटल में ठहरे। यह होटल लिडर नदी के बगल में है। खिड़की के बाहर सफेद हिम अच्छादित पहाड़ या फिर पेड़ों से भरी हरी पहाड़ियां थीं। देखने में मन भावन दृश्य था।

पहलगांव, पहुंचते शाम हो चली थी। लिडर नदी पर रैफ्टिंग भी होती है। मैंने सोचा क्यों न रैफ्टिंग कर ली जाय। होटेलवालों ने कार से दो किलोमीटर ऊपर नदी के किनारे छुड़वाया फिर नदी पर रैफ्ट के ऊपर, तेज धार के साथ, तीन किलोमीटर का सफर - सर पर हैमलेट और बदन पर जैकट। रैफ्टिंग करने में पूरी तरह भीग गये। बीच में पानी भी बरसने लगा, रही सही कमी भी पूरी हो गयी। रैफ्ट ने होटल के आगे छोड़ा । वहां से दौड़ लगाकर वापस होटल आए तो कुछ गर्मी आई। कमरे में आकर कपड़े बदले फिर गर्म चाय। जान पर जान आयी।

पहले ऐसी जगह, जब हम मां के साथ जाते थे, तो वह हमेशा एक छोटी बोतल में ब्रांण्डी साथ रखती थी। ठंड लगने पर गर्म दूध में एक चम्मच ब्रांडी डालकर पीने के लिए देती थी। हम लोग ब्रांडी नहीं ले गए थे। मुझे मां की याद आयी। अगली बार अवश्य साथ ले जाऊंगा।

यदि आप यह सोचते हैं कि कश्मीर में विस्की से गर्मी पा सकती हैं। तो भूल जाइये। इस्लाम में शराब पीना हराम है। वहां अधिकतर लोग मुसलमान हैं इसलिये कशमीर में शराब बन्द है। हां, चोरी छिपे जरूर पी जाती है।

यहां पर आकर लगा कि हमे छाता भी लाना चाहिए था मालुम नहीं कब पांच मिनट के लिए बरसात।

कश्मीर में एक अनुभव और हुआ। यहां होटल अच्छे हैं। खाना अच्छा है पर तौलिये साफ नहीं होते हैं। उसका कारण यह बताया कि सूखने में मुश्किल होती है। मुझे लगा कि अपने साथ छोटे छोटे तौलिये भी रहने चाहिये ताकि बदन पोंछा जा सके।

बहुत अच्छा हुआ कि हमने पहुंचते ही रैफ्टिंग कर ली। क्योंकि अगले दिन रैफ्टिंग नहीं हो रहीं थी। होटल वाले ने बताया कि किसी ने रैफ्टिंग वाले को पीट दिया था इसलिए उनकी हड़ताल है । एक बार का वे २०० रूपये लेते हैं। एक दिन में कम से कम १००० लोगों ने रैफ्टिंग की। यानि हड़ताल में २ लाख का घाटा। सच है हड़ताल से हड़ताल वालों का ही घाटा होता है।

मैंने राजीव जी की मदद से नया कैमरा तो ले लिया पर अभी ठीक से चित्र नहीं खींच पाता हूं। इसलिये पहलगांव और गुलमर्ग में चित्र में खींचने में कुछ गड़बड़ हो गयी। यही कारण है कि मैं चित्रों नहीं दिखा पा रहा हूं। इसका मुझे दुख है।

अगले दिन हमने आड़ू गये। मैं हमेशा स्कूल, विश्वविद्यालय में बच्चों के साथ समय व्यतीत करना चाहता हूं। उनके साथ रह कर जीवन में नया-पन आता है। वहां एक ही स्कूल है, यह सब अगली बार।

कश्मीर यात्रा
जन्नत कहीं है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।। बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है।।

5 comments:

  1. मुंबई के फैशन और कश्‍मीर के मौसम का ठिकाना नहीं है । अच्‍छा है ये जुमला । आजकल सब इतने यात्रा विवरण दे रहे हैं कि लग रहा है सब काम काज छोड़कर देशाटन पर निकल जाएं । पढ़कर मज़ा आया । पर आजकल के मुंबई के कुछ जुमले सुनिए । मुंबई के बारिश और लड़कियों का कोई भरोसा नहीं है । दूसरा जुमला—मुंबई की लड़कियों और बसों का इंतज़ार मत करो । एक गई तो दूसरी आयेगी । और भी जुमले हैं फिर कभी ।

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  2. कश्मीर चर्चा जारी रखे पढ़कर मजा आगया और याद आया 2001, जब मैं अमरनाथ यात्रा पर गया था उस समय थोड़ा भय थोड़ा आनंद का जो शरबत पिया था।

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  3. चर्चा बहुत आनन्ददायक रही पर चित्रो के बिना विवरण कुछ अधूरा सा रहा.

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  4. बढ़िया पर चित्रों की कमी खली!!
    आभार

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  5. आप ने मेरे प्रथम blog पर प्रोत्‍साहन किया उस के लिये धन्‍यवाद

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