जब हम लोग पैदल जाने लगे तो हमारा टैक्सी चालक, शहनवाज, भी हमारे साथ था। उसका कहना था कि कश्मीरी पाकिस्तान के साथ नहीं जाना चाहते। वे या तो हिन्दुस्तान के साथ या फिर स्वतंत्र रहना चाहते हैं। उसके मुताबिक पाकिस्तान उग्रवाद फैला रहा है पर पैरा मिलिट्री फोर्स भी उग्रवादी की तरह काम कर रही है। यदि किसी के घर उग्रवादी जबरदस्ती घुस जाय। तो उसके घर की महिलाओं की इज्जत लूटते हैं। आग लगा देते हैं।
आड़ू बहुत छोटा सा गांव है जिसमें एक सरकारी मिडिल स्कूल है। दो साल पहले तक यह पांचवी तक था अब ८वीं तक है। इसे जवाहरलाल नेहरू ने शुरू करवाया था। इसमें लगभग १५० बच्चे हैं। हम जब वहां से गुजरे तब सारे बच्चे प्रार्थना कर रहे थे। उसके बाद हर बच्चा आकर कोई गीत सुनाता है या सामान्य ज्ञान का प्रश्न पूछता था। वे अध्यापक को उस्ताद शब्द से संबोधित कर रहे थे। उस्ताद के अनुसार यह उन्हे नेतृत्व करने की शिक्षा देता है। स्कूल में अंग्रेजी, उर्दू तथा कश्मीरी पढ़ाई जाती थी। कुछ बच्चों ने अंग्रेजी में सवाल पूछे और कविता भी सुनायी, कुछ ने उर्दू में भी सुनायी।
मैनें कुछ समय बच्चों के साथ गुजारा। मैंने उनसे पूछा कि उनका सबसे पसंदीदा हीरो कौन है उनका जवाब था,
'मिथुन चक्रवर्ती।'मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि अब तो उसकी कोई फिल्म भी नहीं आती है। उनके उस्ताद जी ने कहा,
'हमारे यहां ज़ी क्लासिक चैनल आता है। इसमें पुरानी पिक्चरें ही आती हैं। इधर कुछ फिल्में मिथुन चक्रवर्ती की आयी हैं। इसलिये उसका नाम ले रहे हैं।'विद्यार्थियों ने बताया कि मिथुन चक्रवर्ती बहुत अच्छी फाइट करता है इसलिए वह उन्हें पसन्द है।
मैने भी विद्यार्थियों से एक सवाल पूछा पर सवाल के पहले भूमिका के रूप में यह किस्सा बयान किया।
मिथुन चक्रवर्ती एक दिन सुबह हवाई जहाज से कलकत्ता जाना था। उनके यहां एक चौकीदार था। चौकीदार ने जाने के लिए मना किया। उसने कहा,
'मैने अभी सपना देखा है कि हवाई जहाज की दुर्घटना हो गयी है और सब यात्री मर गये हैं।'मिथुन चक्रवर्ती उस फ्लाइट से नहीं गये। उस फ्लाइट की दुर्घटना हो गयी और सब यात्री मर गये। मिथुन चक्रवर्ती ने चौकीदार को इनाम दिया पर नौकरी से निकाल दिया । मैने पूछा,
'इनाम तो इसलिए दिया कि जान बच गयी पर चौकीदार को नौकरी से क्यों निकाला।'कुछ संकेत देने के बाद एक बच्चे ने सही जवाब बता दिया।
आप भी इस पहेली का हल सोचे और मैं चलता हूं बाईसरन - यह अगली बार।
कश्मीर यात्रा
जन्नत कहीं है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।। बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है।। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने चौकीदार को क्यों निकाल दिया।।
क्योकि वे चाहते थे कि उसके पूर्वाभास की क्षमता का और उपयोग हो सके।
ReplyDeleteचौकीदार और सपना-जरुर नालायक सो रहा होगा तो चौकीदारी क्या खाक करेगा!! :)
ReplyDeleteसोने वाले चौकीदार को तो कोई भी निकाल देगा।
ReplyDeleteअरे नहीं भैया, वो तो इसलिये निकाल दिया कि...
ReplyDelete...कि.....
....कि...
अई साला...चौकिदार हो के रात को सोता है??? अई..!!
क्यों है ना?? :)
मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि अब तो उसकी कोई फिल्म भी नहीं आती है। उनके उस्ताद जी ने कहा,
ReplyDeleteउन्मुक्तजी,
आपने दिल को इतनी ठेस पँहुचायी है कि बस पूछिये नहीं, जाकर www.imdb.com पर देखिये मिथुनजी की आज भी कितनी फ़िल्में आती हैं । अगर उन्होनें फ़िल्में बनाना बन्द कर दिया तो हमारे जैसे भक्तों को जीने का बहाना कैसे मिलेगा ।
प्रभुजी (मिथुनदा) ने चौकीदार को नौकरी से इसलिये निकाल दिया क्योंकि उसका काम रात को जागकर पहरा देने का था न कि सोकर सपने देखने का ।
नीरज जी
ReplyDeleteमेरे यहां केवल दूर- दर्शन आता है। कई सालों से उसमें मिथुन जी की कोई फिल्म नहीं आयी। मेरे कस्बे में भी उनकी कोई फिल्म नहीं लगी। किसी पत्रिका या अखबार में भी नहीं पढ़ा कि उनकी कोई नयी फिल्म रिलीस हुई है। आजकल तो केवल शारुख खान, रोतिक रोशन, आमिर खान या अमिताभ बच्चन के फिल्मों के रिलीस होने का पता चलता है। इसलिये लिख दिया था।
आपको ठेस पहुंची, इसके लिये क्षमा प्रार्थी हूं।