एक क्लिक क्या है
यदि आप अमेज़ोन डॉट कॉम की वेबसाईट पर जा कर कुछ खरीदें तो अन्त आपसे पूछा जाता है कि क्या आप सारा समान लेना चाहते हैं। यह सूचना आप एक बार क्लिक कर बता सकते हैं। यह एक क्लिक पेटेंट है। यह कुछ इस तरह की बात है कि दूकान में आप कुछ समान खरीद कर जब काउंटर पर ले जायें तो दुकान मालिक पूछे कि क्या आप सारा समान खरिदना चाहते हैं तो आप उसे एक बार हां कह कर बताते हैं। अमेज़ोन डॉट कॉम ने इसके उल्लंघन पर बार्नस् एण्ड नोबलस् पर मुकदमा भी ठोका था। जो बाद में समझौते के द्वारा तय हुआ।एक क्लिक और पेटेंट
मैंने कुछ समय पहले अपने उन्मुक्त चिट्ठे पर कई कड़ियों में पेटेंट के बारे में एक लम्बी श्रंखला कई कड़ियों में लिखी थी। इन कड़ियों को तीन भागों में बांट कर अपने लेख चिट्ठे पर 'पेटेंट', 'पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम', और 'पेटेंट और पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता', के नाम से प्रकाशित की है। उन्मुक्त चिट्ठे की चिट्ठी 'अमेरिका में पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम - व्यापार के तरीके के साथ' और लेख चिट्ठे की 'पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम', की चिट्ठी में इस पेटेंट का जिक्र किया है।पेटेंट श्रंखला की सारी कड़िया, बकबक पर अलग अलग कड़ियों में पॉडकास्ट भी की हैं। इसकी पहली कड़ी यहां है और अन्तिम यहां हैं। जिस कड़ी में अमेज़ोन डॉट कॉम के एक क्लिक पेटेंट का जिक्र है वह यहां है यदि आप पढ़ने के बजाय सुनना चाहें तो सुन भी सकते हैं। यह ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
- Windows पर कम से कम Audacity एवं Winamp में;
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में; और
- Mac-OX पर कम से कम Audacity में,
पीटर कालवेले ने क्या किया
बहुत से लोगों को एक क्लिक पेटेंट गलत लगता है। इस पेटेंट के कारण, न केवल अमेज़ोन डॉट कॉम, पर यू.एस. पेटेंट एन्ड ट्रेड आफिस (यू.एस.पी.टी.ओ.) की बहुत आलोचना की गयी है। लोगों के मुताबिक इस पर पेटेंट नहीं दिया जा सकता था। पीटर कालवेले भी ऐसे लोगों में एक हैं।पीटर कालवेले, ऑकलैंड न्यूज़ीलैंड में रहते हैं और IGDMLGD नाम से एक चिट्ठा लिखते हैं। उन्होने यू.एस.पी.टी.ओ. के समक्ष इस पेटेंट पर पुनः सुनवायी के लिये ६ फरवरी २००६ को आवेदन पत्र दिया। पेटेंट की पुनः सुनवायी पर बहुत खर्चा लगता है। इसके लिये उनके चिट्ठा पढ़ने वालों ने उनकी मदद की।
अमेज़ोन डॉट कॉम के पास एक क्लिक पेटेंट से संबन्धित २६ पेटेंट थे। यू.एस.पी.टी.ओ. ने पीटर कालवेले की पुनः सुनवायी आवेदन पत्र पर पेटेंट नम्बर ६-१० को छोड़ कर बाकी २१ पेटेंटों को खारिज कर दिया है। इस केस से संबन्धित सारी कार्यवाही पढ़ने के लिये यू.एस.पी.टी.ओ. की सूचना वेबसाईट पर जा कर कंट्रोल नम्बर (Control Number) के बटन पर 90/007,946 लिख कर चटका लगायें। फैसले को पढ़ने के लिये Image File Wrapper पर जा कर Reexam - Non-Final Action पर चटका लगायें।
अमेज़न डॉट कॉम ने इस सुनवायी में अपना कोई पक्ष नहीं रखा था। यह शायद इसलिये कि उन पर इस पेटेंट के लिये बहुत आलोचना हो चुकी है।
यदि आप पीटर कालवेले के शब्दों में यह सब पढ़ना चाहें तो आप यहां पढ़ सकते हैं। उन्होने उन सब को धन्यवाद दिया है जिन लोगों ने इस लड़ाई में उनकी मदद की। इस जीत के बाद, बहुत से लोग उनके पास पैसा भेज रहें हैं। उनका कहना है कि उन्हें पैसे की जरूरत नहीं है इसलिये वे पैसों को नहीं ले सकते हैं पर यदि उन्हे कोई काम देना चाहे तो उसका स्वागत है।
मैंने पेटेंट रद्द किये जाने का कारण विस्तार से नहीं लिखा। यह किस कारण है और पेटेंट रद्द किये जाने के कारणों को संक्षेप में जानने के लिये, कुहू जी की टिप्पणी के जवाब पर मेरी टिप्पणी देखें।
पीटर कालवेले के चिट्ठे का नाम IGDMLGD है। इसका क्या मतलब है मेरे समझ में नहीं आया। क्या कोई बतायेगा?
कुहू जी ने टिप्पणी कर सवाल पूछा कि एक क्लिक पेटेंट को रद्द करने के क्या कारण हैं। मैंने इसका जवाब टिप्पणी के द्वारा तो दे दिया पर लगा कि उसे यहां चिट्ठी में भी जोड़ना चाहिये। इसलिये यहां लिख रहा हूं।
एक क्लिक पेटेंट को रद्द करने के कई कारण है। इसको जानने के लिये आप यू.एस.पी.टी.ओ. की सूचना वेबसाईट पर जा कर उनका फैसला देख सकते हैं जैसा कि मैंने चिट्ठी में बताया है। इन कारणों को, मैंने विस्तार से नहीं लिखा। मुझे लगता था कि लोगों को इतनी रुचि नहीं होगी। लेकिन कुहू जी की टिप्पणी से मेरी गलतफहमी दूर हुई। आगे से ध्यान रखूंगा। यह कुहू जी वहीं हैं जिनके बारे में मैंने अपनी चिट्ठी 'अंतरजाल पर हिन्दी कैसे बढ़े' में लिखा था।
पेटेंट रद्द करने का मुख्य कारण है कि इसमें कुछ नया नहीं है। यह उस समय की उपलब्ध तकनीक द्वारा आसानी से सोचा और क्रियावान्तित किया जा सकता था। यदि prior art है या obvious है तो पेटेंट नहीं हो सकता है। पेटेंट कब हो सकता है कब नहीं, इसके लिये मेरे लेख चिट्ठे पर चिट्ठियों को पढ़ सकतीं हैं जिसका जिक्र मैंने चिट्ठी में किया है।
उन्मुक्त जी,
ReplyDelete"बहुत से लोगों को एक क्लिक पेटेंट गलत लगता है।" पर क्यों, यह नहीं पता चल सका | पीटर कालवेले के शब्द भी पढे, वहाँ भी ज़िक्र नहीं है |
कुहू जी
ReplyDeleteइसके कई कारण है। इसको जानने के लिये आप यू.एस.पी.टी.ओ. की सूचना वेबसाईट पर जा कर उनका फैसला देख सकती हैं जैसा कि मैंने चिट्ठी में बताया है।
मैंने कारण विस्तार से नहीं लिखा। मुझे लगता था कि लोगों को इतनी रुचि नहीं होगी। आपकी टिप्पणी से मेरी गलतफहमी दूर हुई। आगे से ध्यान रखूंगा।
इसका मुख्य कारण है कि इसमें कुछ नया नहीं है। यह उस समय की उपलब्ध तकनीक द्वारा आसनी से सोचा और क्रियावान्तित किया जा सकता था। यदि prior art है या obvious है तो पेटेंट नहीं हो सकता है। पेटेंट कब हो सकता है कब नहीं, इसके लिये मेरे लेख चिट्ठे पर चिट्ठियों को पढ़ सकतीं हैं जिसका जिक्र मैंने चिट्ठी में किया है।
काश! कि भारत में भी "एक क्लिक" करने से ही अपने उत्पादों/सेवाओं/आविष्कारों पर पेटेण्ट(बौद्धिक सम्पदा अधिकार) मिल जाता।
ReplyDeleteजरूर कोई विद्वतापूर्ण बात कह रहे हैं आप.लेकिन मुझ नादान को किस्सा समझ में नहीं आया.
ReplyDeleteहम भी संजय तिवारी जी पीछे छिपे हैं.
ReplyDeleteविद्वतापूर्ण विषय है और समान पाठक की मांग करता है .
ReplyDeleteQuite interesting to read this!
ReplyDeleteThanks for sharing.
durga