इस चिट्ठी से, सफाई कर्मियों को मेरा आभार, मेरा सलाम।
पिछली रात, मोहल्ले में पानी बरसा। सुबह से बूंदा-बांदी हो रही है। तभी आवाज सुनायी पड़ी,
'कूड़ा अलग करने की जिम्मेवारी आपकी है।'कुछ अजीब सा लगा।
पूरे देश में, लॉकडाउन है, बाहर निकलना मना है, पानी बरस रहा है - फिर भी, कूड़ा लेने वाली वैन, बिना नागा किये, कूड़ा उठाने के लिये आ गयी।
वैन में दो लोग थे - एक चालक और दूसरा कूड़ा उठाने वाला। मैंने कहा,
'शहर में लॉकडाउन है, पानी बरस रहा है क्या तुम्हे छुट्टी नहीं मिली।'उसने जवाब दिया,
'ठेकेदार की तरफ से, हमें छुट्टी है। लेकिन, लॉलडाउन के कारण, लोग स्वयं कूड़ा नहीं ले जा सकते। यदि कूड़ा नहीं उठा तो न केवल सब तरफ बदबू आयगी पर बिमारी भी फैलेगी। इसलिये हम लोग आ रहे हैं।'मैंने उसे सलाम किया, धन्यवाद दिया। लगा कि, मास्क के अन्दर से, वह धीर धीरे मुस्करा रहा है। उसने हाथ हिला कर मेरा सलाम स्वीकार किया, चालक ने भी वैन की खिड़की से हाथ बाहर निकाल कर अभिवादन स्वीकार किया और अगले घर की तरफ कूड़ा उठाने चल दिया।
एक वे लोग हैं जो छुुट्टी के बावजूद भी, कूड़ा उठाने इसलिये आ रहें कि बदबू न फैले और हम बिमार न पड़ें और हमसे से कई बिना किसी काम बाहर जा रहें हैं लॉकडाउन को तोड़ रहें कि देखें कि बाहर क्या हाल है।
सलाम, आभार कूड़ा उठाने वाले मित्र शायद तुम और अस्पताल में काम करने वालों लोगों के कारण ही इकबाल ने लिखा होगा,
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।।
...
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।।
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।।
सांकेतिक शब्द
। culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, Etiquette,
। जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो, तहज़ीब,
#CoronaVirusIndia #HindiBlogging #SafaeeKarmee
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Essential services are still open . Municipal corporation and health care employees are still working . kudos to them. Risky for them though.
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