इस चिट्ठी में, लोगों की कोविड महामारी पर आ रही प्रतिक्रियायों और पोस्टों पर कुछ विचार।
यह मुश्किल का समय है, निराशा और अवसाद का दौर है। हम मुश्किल में हैं या हमारे प्रिय मुश्किलों का सामना कर रहे हैं या हम उन्हें खो चुके हैं। खोया गया परिवार का सदस्य या मित्र, कभी वापस नहीं आ सकता - इस नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती।
अगर सरकार, पहली लहर को नियंत्रित करने के बाद, उसके जश्न में न डूब गयी होती, सतर्क रहती - तब स्थिति को रोका जा सकता था। लेकिन, गलती तो हो गयी। पर, क्या यह समय, उन बातों को करने का है? गलतियां, न उठाये गये कदम – वापस नहीं हो सकते। हमारे पास भूत में जाने का कोई तरीका नहीं है :-(
यदि सरकार गलतियों को पुनः कर रही है तब उनकी चर्चा अवश्य करें। यदि उन गलतियों को वापस लिया जा सकता हो तब भी, उन पर चर्चा करें। अन्यथा कुछ समय के लिये उन्हें छोड़ दें। वे केवल नकारात्मकता और निराशा ही फैलाती हैं।
यह समय है रचनात्मक होने का; यह समय है सुझाव देने का, कि किस प्रकार से सरकार शीघ्र राहत प्रदान कर सकती है। यह समय है कि किस प्रकार हम, उस सहायता का हिस्सा हो सकते हैं। यह समय है सकारात्मकता का; दूसरों को अपना हाथ बढ़ाने के लिए प्रेरित करने का।
सबसे अच्छी मदद है, स्वयं बीमार न पड़े। लेकिन, कभी-कभी यह अपरिहार्य हो जाता है। मदद करने के और भी तरीके हैं। यह वित्तीय और भावनात्मक भी हो सकते हैं और ऐसा करने के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है। यह अपने कर्मचारियों, घर में काम करने वाले लोगों, दोस्तों, और पड़ोसी के साथ हो सकता है।
एक बार जब हम वापस पटरी पर आ जायें, खुशहाल समय वापस आ जाय, तब हमारे पास सरकार की आलोचना करने और उसकी गलतियां निकालने के लिए, पर्याप्त समय होगा। हम तब उन्हें इंगित कर सकते हैं। हमारे पास वोट की शक्ति है। यदि चाहें, तो सरकार या उसके मुखिया को भी बदल सकते हैं। लेकिन, यह समय नकारात्मकता फैलाने का नहीं है। यह समय है - सकारात्मकता फैलाने का। विश्वास रखें,
हम होंगे कामयाब
हम जीतेंगे, यह जंग
खुशियाली, फिर वापस आयेगी।
जय हिन्द
बिल्कुल सही संदेश -
ReplyDeleteहम होंगे कामयाब
हम जीतेंगे, यह जंग
खुशियाली, फिर वापस आयेगी।
हम होंगे कामयाब
ReplyDeleteहम जीतेंगे, यह जंग
खुशियाली, फिर वापस आयेगी।
जय हिन्द
nice line