सैमुएल लाइबोविट्ज़, २०वीं शताब्दी के दूसरे चतुर्थांश में अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध वकील थे। 'बुलबुल मारने पर दोष लगता है' श्रृंखला की इस चिट्ठी में, चर्चा है कि उन्हें पहला मुकदमा कैसे मिला और उसमें क्या हुआ।
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सैमुएल की पृष्ठभूमि ऐसी नहीं थी कि उन्हें मुकदमे मिल सकें। एक बार कॉर्नेल विश्वविद्यालय में, जब कानून के डीन ने, उनसे, इस बारे में बात की तब सैमुएल का कहना था
'मैं पहले प्रसिद्व वकील बनूंगा। तब, बड़ी-बड़ी कम्पनियां मेरे पास मुकदमा कराने आयेंगी और मैं पैसे कमा सकूंगा।'
सैमुएल लाइबोविट्ज़ का यह चित्र लाइफ पत्रिका के सौजन्य से।
लेकिन जब सैमुएल वकील बन गये तब सबसे मुश्किल, उन्हें अपना पहला मुकदमा मिलने में हुई।
न्यायालय में जब आरोपी वकील नहीं कर पाते है तब न्यायालय उनके लिए वकील नियुक्त करता है। सैमुएल को भी अपना पहला मुकदमा इसी तरह मिला।
इस मुकदमें के आरोपी के ऊपर आरोप था कि उसने शराबखाने का ताला खोलकर, पैसे और शराब की चोरी की। उसी दिन सुबह, उसे शराब के नशे में धुत्त, पकड़ लिया गया। उसकी जेब में वह चाभी भी मिली जिससे उसने ताले को खोला था। पुलिस के सामने उसने अपना गुनाह कबूल करा लिया। अमेरिका में पुलिस के सामने दिया बयान न्यायालय में देखा जा सकता है हालांकि भारत में नहीं।
सैमुएल ने अपने मित्रों, सहयोगियों से इस संबन्ध में सलाह ली। उनका कहना था कि,
- आरोपी को अपना दोष मान लेना चाहिए। क्योंकि सारे सबूत आरोपी के खिलाफ हैं।
- दोष मान लेने पर सजा कम हो जायगी।
कई रात, बिस्तर में लेटे-लेटे, सोचते-सोचते, उसे एक युक्ति समझ में आयी। यदि वह चल गयी तो जीत उसकी, नहीं तो आरोपी को सजा तो होनी ही थी। मुकदमा शुरू होने पर, अभियोजन के अधिवक्ता एवं न्यायाधीश को आश्चर्य हुआ, जब आरोपी ने आरोप स्वीकार नहीं किया।
अभियोजन का पक्ष समाप्त हो जाने के बाद, आरोपी ने गवाही दी कि उसने, पुलिस अत्याचार के कारण, आरोप स्वीकार कर लिया था।
अभियोजन का कथन था कि आरोपी ने चाभी से ताला खोलकर चोरी की है। सैमुएल ने न्यायालय के समक्ष बहस की,
'क्या सरकारी वकील ने यह स्वयं देखा है कि आरोपी के जेब से मिली चाभी से शराबघर का ताला खुल सकता था या नहीं। यदि नहीं तो, न्यायालय एवं जूरी चल कर देखें कि क्या इस चाभी से उस ताले को खोला जा सकता है। यदि ताला नहीं खुलता है तो उसके मुवक्किल पर चोरी का आरोप नहीं बनता है।'
यह सच था कि सरकारी वकील स्वयं इस बात की जांच नहीं की थी कि उस चाभी से ताला खोला जा सकता था अथवा नहीं। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता को लगा कि यदि,
- इस समय न्यायधीश, जूरी के सदस्य जा कर देखते हैं तो न्यायालय और जूरी का समय बरबाद होगा। इस तरह के अनगिनत मुकदमे लम्बित थे, उनका भी फैसला होना था।
- ताला न खुला, तो सरकारी वकील की भद्द उड़ जायेगी।
इस मुकदमे के बारे में अगले दिन अखबार में कुछ नहीं निकाला पर जेल में अन्य कैदियों, अधिवक्ताओं के बीच, यह बातचीत चलने लगी कि यह वकील कुछ ख़ास है। यहीं से, सैमुएल का सितारा, चमकना शुरू हो गया।
सैमुएल ने अपना पहला मुकदमा, रात में ही, बिस्तर पर सोचते सोचते जीत लिया था। उसने यह आदत, जीवन भर डाली। वह मुकदमा के शुरू होने से पहले ही सारे पक्षों के बारे में सोच लेता था। यही एक अच्छे वकील की निशानी है। वकील का वास्तविक जीवन, अर्ल स्टैनली गार्डनर के कल्पित वकील, पैरी मेसन की तरह नहीं, जो मुकदमें के दौरान ही सोचा करता था। हर सफल वकील मुकदमा शुरू होने के पहले ही, उसके सारे पहलुओं के बारे में सोच लेते हैं।
इस मुकदमें से, सैमुएल ने एक दूसरी बात यह सीखी, कि जूरी, पुलिस-अत्याचार के बारे में आसानी से विश्वास कर लेते हैं। इस बात ने भी, उसे अन्य मुकदमों सफलता दिलवायी।
क्या चश्मदीद गवाह, न चाहते हुऐ भी, आरोपी की गलत शिनाख्त कर देते हैं। इस बारे में, सैमुएल के क्या विचार हैं, यह अगली बार।
बुलबुल मारने पर दोष लगता है
भूमिका।। वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी - कोर्टरूम।। सफल वकील, मुकदमा शुरू होने के पहले, सारे पहलू सोच लेते हैं।। । Samuel Leibowitz, biography, कानून, Law, Good advocate ponders over all aspects of a case beforehand,
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बहुत रोचक और ज्ञान वर्धक पुस्तक है। वकीलों के लिए तो यह एक तरह से मार्गदर्शिका है। कोई बीस बरस पहले पढ़ने को मिली थी तब से मेरे पास है। इसे अनेक बार पढ़ा है और अपने काम के लिए प्रेरणा मिली है। वकील को मुकदमा करने के पहले ही सब कुछ सोच रखना चाहिए। हाँ कभी कुछ भी न हो तो श्रम पूरा करना चाहिए। श्रम करने से राहें निकलती हैं।
ReplyDeleteवकीलों के लिए बड़े काम की टिप्स !
ReplyDeleteउन्मुक्त जी बहुत दिलचस्प और ज्ञानवर्धक पोस्ट। इसे पढ़ते हुए सोच ही रहा था कि पंडितजी के बहुत काम की होगी। पर देखा तो महाराज बीस साल से ज्ञान-घोटा लगा रहे हैं:)
ReplyDeleteरोचक, दिलचस्प और फिल्मी कहानियों की तरह मजेदार है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह पोस्ट
प्रणाम स्वीकार करें
रोचक वृतांत.
ReplyDeleteमैंने इसको पहले पढ़ा और फिर इसको सुना भी. बड़ा ही रोचक लगा. एकदम कहानी जैसा. मजा आ गया. मेरा भी मन करता है कि मैं भी इसी तरह से रिकॉर्ड करूँ. मजा आ गया -- सत सत प्रणाम
ReplyDeleteनीरज जी, पॉडकास्ट करना बहुत आसान है। आप भी क्यों नहीं शुरू करते। पॉडकास्ट करने के बारे में बहुत से सवालों का जवाब यहां दिया हुआ है।
ReplyDeleteमैं अपने पॉडकास्ट ई-स्निपस् पर रखता हूं क्योंकि यह आपको ogg मानक में फाइल रखने की अनुमति देता है। ऐसे फाइल रखने के लिये Internet Archieve ज्यादा अच्छी जगह है।
रोचक और ज्ञानवर्धक !
ReplyDeleteExcellent! I would love to be lateral thinker like Samuel. I need not be an advocate to use that thinking process!
ReplyDeleteMe loyar ban rha hu and me internet se best loyar tips sarch kar raha tha and ye story samne ai so read so maja agya mere andar ek junun sa hai loyar banna so abhi geruzbet kar rha hu es year secend year me but ek best loyar banne ke liye kya kya hona. चाहिए ये sab ki teyari kar raha so es post se kafi kuch sikhne ko mila so thanks for men
ReplyDeleteइस जीवन की वास्तविक कहानी से समझ आया कि सयंम तर्क एवं उस पक्ष में किया गया विचार सफल गतिविधियों को उत्पन्न करता है तथा प्रयोग में लाया गया कार्य पूर्ण होने पर आत्मविस्वास की सि
ReplyDeleteद्धि होती है
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत अच्छा और बहुत ही प्रेरणादायी कहानी की तरह लगा धन्यवाद!
ReplyDeleteVakeelo ke ujjwal bhavishy ke liye bahut hi prernadaayi kahani hai👍
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा प्रेरणा दायक कहानी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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