यह चिट्ठी मेरी वियाना यात्रा की अंतिम कड़ी है। इसमें वापसी यात्रा का जिक्र है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।
वियाना से मेरी उड़ान दिन के ११ बजे थी। मेरे साथ एक और सिस्टर भी उस दिन जा रहीं थी। उन्होंने नाश्ते पर एक छोटा सा भाषण दिया। मैं भी खड़ा हो गया और कहा कि मैं भी कुछ कहना चाहता हूं। सबने इसका स्वागत किया।
मैंने कहा,
'गुटन मारगेन (शुभ प्रभात)
वियाना में अनगिनत पर्यटक आते हैं सबके अनुभव अपने ही अलग अलग होते होंगे पर मेंरा अनुभव अपने में अद्वितीय है। मैंने वियाना को रात में, दिन में सिस्टरों के साथ देखा। इस तरह का अनुभव शायद किसी और पर्यटक को हुआ होगा।
आप सबका भारत में स्वागत है। भारत में आप मेरे साथ रहें तो मुझे अच्छा लगेगा।
डांके शॉन (आप सबको बहुत धन्यवाद)
ऑउफ वीडरसेह्न (गुड बाई फिर मिलेंगे)'
वियाना से दिल्ली की यात्रा में, मेरे बगल में एक माड़वाड़ी यूवक बैठे थे। वे फर्राटे से जर्मन बोल रहे थे। मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने पूछा कि क्या वे जर्मनी में रहते हैं। उन्होने बताया कि नहीं। वे नेपाल में रहते हैं और वहां रह कर कालीन का व्यापर करते हैं और उन्हें जर्मनी में बेचते हैं। इसलिये उन्होने जर्मन भाषा सीखी है। वे साल में लगभग दो बार जर्मनी जाते हैं। उन्होने रास्ते में हवाई जहाज पर कुछ इत्र खरीदा। मैंने पूछा,
'क्या पत्नी के लिये खरीद रहे हैं?'वे बोले नहीं यह उपहार देने के लये खरीद रहा हूं। मैंने पूछा,
'क्या हवाई जहाज में खरीदने से कोई फायदा है?'उन्होने बताया कि इसके दाम और ड्यूटी फ्री शॉप के दाम में कोई अन्तर नहीं है पर हवाई जहाज में खरीदने से पॉइंट मिल जाते हैं जिससे बाद में टिकट में सस्ते में मिल जाता है।
बात करते करते, हम दिल्ली के हवाई अड्डे पर पहुंच गये। धूल धक्कड़ भीड़ शोर शराबा - इसी सब के लिये तो मैं तरस रहा था। अपना देश तो सबसे प्यारा है।
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
वियाना यात्रा
मैं पहुंच रहा हूं।। फिल्म - सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक सत्य कथा पर आधारित है।। टमटम पर, राजसी ठाट-बाट के साथ, वियाना।। सिगमंड फ्रायड संग्रहालय।। मन, प्रभू के चरणों में।। क्या भाई को सौतेली बहन स्वीकर कर लेनी चाहिये।। वियाना रात में।। एक प्यारी सी लड़की - लीसा।। वियाना में घूमने की जगहें।। कॉन्वेंट में पूजा और सिस्टर लूसी।। वापसी की यात्रा- फैंटास्टिक वॉयेजः अदभुत यात्रा ►
- अंतरजाल की माया नगरी की अन्तिम कड़ी: वेबसाइटों पर कॉपीराइट का उल्लंघन ►
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
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- Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
is post per vienna se vaapsee kee charchaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen. This post is last one of my Vienna trip. It is about return trip. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. |
"....धूल धक्कड़ भीड़ शोर शराबा - इसी सब के लिये तो मैं तरस रहा था। ...
ReplyDeleteअगर ये प्रचुर मात्रा में चाहिए, तो फिर, रतलाम आइए :)
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा
हम बुलबुले है इस वतन के
हिन्दुस्ता हमारा हम हिन्दुस्तानी
राष्ट्र प्रेम का जज्बा निष्ठा ही राष्ट्र धर्म है बहुत बढ़िया धन्यवाद
जननी जन्मभूमिस्च स्वर्गादपि गरीयसी ......ठीक फरमाया आपने उन्मुक्त जी ,आप सकुशल विएना से लौटे ..अच्छा लगा ..
ReplyDeleteबेहतरीन संस्मरण-
ReplyDeleteसारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
-बिल्कुल सही है.
स्वागत है आपका...
ReplyDeleteसच है, अपने भारत की कोई तुलना नहीं. साफ-सुथरी यूरोप की वादियों में कुछ दिन रहने के बाद... अपने देश की कमी महसूस होने लगती है :-)
आपके साथ वियाना की यात्रा काफ़ी अच्छी रही।
ReplyDeleteअब अगली कौन सी जगह घुमाने ले जा रहे है। :)