सिस्टर साइन हिल डे और सिस्टर कारमेल
सिस्टर डे, बहुत समय भारत में रहीं हैं। हिन्दी अच्छी समझती हैं पर बोल नहीं पाती हैं। उन्होंने बताया कि भारत में लोग उन्हें फ्लाइंग नन कहते थे क्योंकि वे पहले मोपेड, फिर स्कूटर और बाद में मोटरसाइकिल चलाती थीं।
उनका एक किस्सा तो मुझे फिल्मों की तरह लगा।
उन्होंने बताया कि बहुत साल पहले, एक भारतीय प्रतिनिधि-मंडल (Delegation) वियाना आया था। उसके साथ आया एक भारतीय डाक्टर कुछ महीने वहां रहा। उसके बाद वह लंदन गया, फिर वापस भारत चला गया। वियाना में उसका प्रेम एक आस्ट्रियन लड़की से हो गया। उससे एक लड़की हुई पर मां जो कि आस्ट्रिया में ही रह गयी थी, उसने उस लड़की को अनाथालय में छोड़ दिया। लड़की देखने में एकदम भारतीय लगती है।
सिस्टर डे भारत में उसके पिता को जानती थीं पर वे, उससे, इस बात को नहीं कह पायीं। उसका पुत्र अपनी पत्नी के साथ सिस्टर डे से अक्सर मिलने आया करता था। उन्होंने उसे एक दिन अकेले आने को कहा और उसे उसकी सौतेली बहन के बारे में बताया। वह लड़की, भारत में अपने सौतेले भाई से भी मिली पर उसके भाई ने उसे मानने से इन्कार कर दिया।
कॉन्वेंट के पूजाघर (Chapel) में मां मरियम की मूर्ती
सिस्टर डे ने बताया कि भाई का लड़का अर्थात आस्ट्रिया में रह रही लड़की का भतीजा, इन बातों को ज्यादा ठीक से समझता है। वह अपनी सौतेली बुआ को स्वीकार कर सकता है और शायद निकट भविष्य में ऐसा संभव हो सके। यदि ऐसा होता है तो उस महिला को वह पहचान मिल सकेगी जो उसके पिता या सौतेले भाई ने नहीं दी।
मुझे लगता था कि यदि मैं वह पिता या भाई होता तो उसे जरूर स्वीकार कर लेता। गलतियां स्वीकारने में कोई छोटा नहीं होता - बड़ों की यही खासियत होती है। शायद उसके पिता को अपनी प्रतिष्ठा या भाई को अपने पिता के नाम पर समाज में धक्का लगने का डर रहा हो या हो सकता है कि भाई विश्वास ही नहीं करता हो।
मैं दिल से चाहता हूं कि भतीजा अपनी सौतेली बुआ को स्वीकार कर ले। मैं भगवान को नहीं मानता - अज्ञेयवादी हूं पर हे प्रभू, यदि तुम हो, तो ऐसा होने देना।
सिस्टर डे के पास बहुत से किस्से थे। मैंने उनसे कहा,
'सिस्टर डे, आप इन किस्सों को किताब के रूप में लिख कर क्यों नहीं प्रकाशित करवातीं।'वे इस बात का कोई जवाब देने से टाल गयीं। उन्होने मुझे फिर वियान कॉन्वेंट में रहने के लिये सपरिवार बुलाया है। यदि मैं फिर गया तो उनसे चिट्ठा लिखवाना जरूर शुरू करवा दूंगा :-)
एक दिन शाम को, सिस्टर डे मुझे बाहर का नज़ारा दिखाने के लिये ले गयीं। यह इस श्रंखला कि अगली कड़ी में।
वियाना यात्रा
मैं पहुंच रहा हूं।। फिल्म - सॉउन्ड ऑफ म्यूज़िक सत्य कथा पर आधारित है।। टमटम पर, राजसी ठाट-बाट के साथ, वियाना।। सिगमंड फ्रायड संग्रहालय।। मन, प्रभू के चरणों में।। क्या भाई को सौतेली बहन स्वीकर कर लेनी चाहिये।।हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.)- अंतरजाल की माया नगरी की नवीनतम कड़ी: ग्रॉकस्टर केस ►
- पुस्तक समीक्षा: माइक्रोब हंटरस् - जीवाणुवों के शिकारी (Microbe Hunters by Paul de Kruif) ►
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
सिस्टर साइन हिल डे से मेरी मुलाकात वियाना में कॉन्वेंट में हुई। इस पोस्ट पर उन्हीं के बारे में चर्चा है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें। sister sin hiil de se meri mulaakaat vienna ke convent mein hue. is post per unhee ke baare mein charchaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen. I met Sister Sain Hill de in Vienna. This post is about her. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. |
सांकेतिक शब्द
Sisters, Nuns, ConventAustria, Austria, Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travelogue, Vienna, Vienna, Wien, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, ऑस्ट्रिया, वियाना,
सिस्टर डे से ब्लोग भी बनवाइयेगा और उन्हे चोखेर बाली पर भी ले कर आइयेगा :-)
ReplyDeleteभाई को बहन का साथ एकदम स्वीकार लेना चाहिये। भाई -बहन की तरह रहना चाहिये।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया यात्रा विवरण. पढ़ने में अत्यंत रोचक
ReplyDeleteदीपक भारत दीप
सिस्टर डे के बारे में पढ़ना अच्छा लगा।
ReplyDeleteउन्मुक्त जी,यह पहली कहानी नही,युरोप मे हमारे आसपास बहुत सी ऎसी ही कहानिया घुमती हे,कसुर किसका ? जो दुसरे समाज मे शादी करते हे उन का कसुर हे, यहां युरोप का समाज हम से बहुत ही अलग हे,बुरा नही हे, ओर हमारा समाज सिक्के के दुसरी तरफ़ हे,कई लोग शादिया तो कर लेते हे, दुसरे समाज मे(जिसे वो उस वक्त प्यार बोलते हे )अन्धे हो कर फ़िर थोडे समय मे तकरार फ़िर झगडा, फ़िर तलाक, लेकिन इन सब का दर्द बच्चे को मिलता हे ,वो बच्चा सारी उम्र अपने मा वाप की गलती की सजा पाता हे, मे भी कई बच्चो को जनता हु लेकिन हम कुछ नही कर सकते.
ReplyDeleteआपने सिस्टर डे के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई है उन्मुक्तजी!...धन्यवाद्!
ReplyDelete