Monday, April 16, 2007

हमें आसान लगने वाली बात, अक्सर किसी और को मुश्किल लगती है

मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
इस समय मेरे चिट्ठे पर शायरी सुनायी पड़ती है। इस पर, मेरी पिछली चिट्ठी पर ब्रह्मराक्षस जी ने टिप्पणी कर आपत्ति की कि,
  • इसका बजना गलत है;
  • उन्हें मेरे चिट्ठे पर आ कर कष्ट हुआ;
  • मैं इस कविता पाठ को तुरन्त हटाऊं।

मैं ब्रह्मराक्षस जी को नहीं जानता, पर इनकी कड़वी टिप्पणी अच्छी लगी। मुझे लगा कि,
  • मेरे चिट्ठे पर केवल अन्तरजाल पर अभ्यस्त लोग ही नहीं आते हैं पर कुछ नये लोग भी आते हैं;
  • ब्रह्मराक्षस जी, अपनी तथा अपने जैसे अन्य लोगों की व्यथा बता रहें हैं; और
  • मुझे इसका तुरन्त निराकरण करना चाहिये।

मैंने उन्हें धन्यवाद दिया , माफी मांगी, और समस्या का हल वहीं यह टिप्पणी कर बताया,
'ब्रह्मराक्षस जी, मैंने न तो आपकी बात का बुरा माना, न ही मुँह फुलाया। मैं तो आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मेरे चिट्ठे की कमी को बताया।
यह कविता या शायरी, न तो मेरी है न ही वह आवाज मेरी है। यह तो एक विज़ट है जो मैंने कुछ दिन तक, अपने आने वाली सिरीस 'हमने जानी है जमाने में रमती खुशबू' के लिये लोड कर रखी है। उस सिरीस के समाप्त होते ही यह हट जायगी। इस विज़ट में इस आवाज़ को बन्द करने का बटन है और इस बटन पर चटका लगा कर आसानी से बन्द किया जा सकता है। मैं यही समझता था कि अन्तरजाल पर जाने वाला इस बात को समझता होगा या फिर आसानी से समझ लेगा और यदि इसे नहीं सुनना चाहता है तो वह स्वयं बन्द कर लेगा। आपकी टिप्पणी से लगता है कि मेरी समझ गलत थी और कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो यह न समझ पायें। अब मैंने यह स्पष्ट तरीके से लिख दिया है। अब आपको यह तकलीफ न होगी। आपको कष्ट हुआ इसके लिये माफी चाहता हूं।
आप न केवल मेरे चिट्ठे पर आये, पर मेरे चिट्ठे पर कमी बतायी और टिप्पणी भी की, इसलिये धन्यवाद। कृपया आगे भी इसी प्रकार आकर कमियां बताते रहियेगा।'

यदि किसी और पाठकगण को इस तरह का कष्ट हुआ तो मुझे माफ करें। इसे बन्द करने का तरीका बहुत आसान है। आप उसी विज़ट में बन्द करने वाले बटन के चिन्ह पर चटका लगायें, आवाज तुरन्त बन्द हो जायगी।

अक्सर जिस बात को आप बिलकुल आसान समझते हैं वह किसी दूसरे के लिये बहुत मुश्किल की हो सकती है। मुझे यह बात ओपेन सोर्स के लिये तो सच लगती थी पर लगता है कि शायद यह बहुत सारी अन्य बातों के लिये भी सच है। हो सकता है कि यह बात मेरे पॉडकास्ट के लिये भी सच हो। चलिये लगे हाथ, इसके बारे में भी कुछ बिन्दुवों को स्पष्ट कर लेते हैं।

गीत, संगीत, या पॉडकास्ट में क्या अन्तर है?
गाना, या संगीत, या पॉडकास्ट एक तरह की ऑडियो फाइल है। इनमें केवल अन्तर फॉरमैट का होता है। इस समय तरकश पर और राम चन्द्र मिश्र जी भी पॉडकास्ट करते हैं। इनका पॉडकास्ट mp3 फॉरमैट में रहता है जबकि मेरा पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में रहता है।

फॉरमैट के अन्तर से क्या फर्क पड़ता है?
mp3 सबसे लोकप्रिय फॉरमैट है। यह सब प्रोग्राम में बज सकता है पर ogg सब प्रोग्रामों में नहीं बज सकता है। यदि आप मेरे पॉडकास्ट को ऐसे प्रोग्राम में बजायेंगे जो इसे समर्थन नहीं देता है तो वह नहीं बजेगा। इसलिये आप उसे ऐसे प्रोग्राम में बजायें जिसमें यह बज सकता हो।

मेरे पॉडकस्ट (ogg फॉरमैट) को किस प्रोग्राम में सुना जा सकता है?
मेरे पॉडकस्ट या फिर ogg फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity एवं Winamp में;
  • Linux पर लगभग सभी प्रोग्रामो में; और
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity में,
सुन सकते हैं।

विंडोज़ में डिफॉल्ट (default) ऑडियो फाइल बजाने के लिये विंडोज़ मिडिया प्लेयर का प्रोग्राम है। यह ogg फॉरमैट की फाइलों को नहीं बजा सकता है। आप मेरे पॉडकास्ट को डाउनलोड कर लें फिर इसे, जिस प्रोग्राम में यह फॉरमैट बज सकता हो, उस पर बजायें।

विंडोज़ मिडिया प्लेयर को डिफॉल्ट प्रोग्राम से कैसे हटाया जा सकता है?
इसके लिये आप अकसर पूछे जाने वाले सवाल: पॉडकास्ट, या गाने, ऑडियो फाइल के बारे में पर देखें। यहां इस सवाल के अतिरिक्त पॉडकास्ट से सम्बन्धित अन्य सवालों का उत्तर है। आप हिन्दी और कंप्यूटर या चिट्ठा और कंप्यूटर या हिन्दी लेखन और चिट्ठेकारी- सहायता के बारे में सवाल या सूचना भी पढ़ सकते हैं।

मैं क्यों अपना पॉडकास्ट, ogg फॉरमैट में रखता हूं?
mp3 फॉरमैट मलिकाना है। जब कि ogg फॉरमैट मुक्त फॉरमैट है और इस पर किसी का कोई मलिकाना अधिकार नहीं है। मैं इसी लिये अपना पॉडकास्ट इसी फॉरमैट में रखता हूं। इसके बारे मे विस्तृत जानकारी यहां देखें। मैंने इसे अपनी चिट्ठी 'पापा, क्या आप उलझन में हैं' पर विस्तार से बताया है।

क्या मैं आगे भी अपना पॉडकास्ट ogg फॉरमैट पर रखूंगा?
मैं अपने पॉडकास्ट को अपने चिट्ठों पर विज़िट के रूप में रखना चाहता हूं ताकि आप इसे वहीं पर सुन सकें। मैं इसके लिये कुछ प्रयोग कर रहा हूं। अभी तक तो लगता है कि यह तभी हो सकता है जबकि पॉडकास्ट mp3 फॉरमैट पर हो। इसलिये हो सकता है कि मुझे मजबूरन अपने पॉडकास्ट mp3 फॉरमैट पर तब तक रखने पड़ें जब तक ogg फॉरमैट में इस तरह की सुविधा नहीं हो जाती।

4 comments:

  1. क्या मुझे आपका यह लेख पसंद आया?

    -हाँ, बहुत अच्छा लिखा है.

    क्या मुझे आपसे कुछ कहना है?

    -हाँ, गीत,संगीत,या पॉडकास्ट का अंतर बताते अच्छे लेख के लिये बधाई.

    :) :)

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  2. आपकी बात से सहमत हूँ, विशेषकर कमप्यूटर व गणित के मामले में । मुझे गणित सरल लगता था और कमप्यूटर का ग्यान इतना सीमित है कि मुझे सामने वाले बटन तो क्या यह आपका पॉडकास्ट भी नहीं दिखता था । हैडफोन लगा रखे हैं जिन्हें कान पर तभी लगाती हूँ जब किसीसे बात करनी होती है। सो आप न बताते तो हम सामने बहती गंगा से अनभिग्य ही रह जाते । आज इस संगीत का आनन्द ले रही हूँ । धन्यवाद ।
    घुघूती बासूती

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  3. Anonymous3:32 am

    उन्मुक्त जी; आपकी आवाज एवं कविता के माधुर्य में खो गया हूं. बहुत अच्छा लगा.

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  4. मैथली भाई
    खो मत जाओ, निकल आओ. उन्मुक्त जी ने खुलासा कर दिया है कि उनकी आवाज नहीं है. :)

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आपके विचारों का स्वागत है।