इस चिट्ठी में बीबीसी के द्वारा बनायी गयी फिल्म 'आइन्स्टाइन एण्ड एडिंगटन' की समीक्षा है।
'उन्मुक्त जी, यदि यह चिट्ठी आइन्सटाइन के बारे में फिल्म की समीक्षा है तब इस शीर्षक का क्या मतलब है।'
अरे भाई, जल्दी भी क्या है, पहले समीक्षा तो पढ़े।
मुक्त विचारों का संगम, कभी खुशी कभी ग़म
इस चिट्ठी में बीबीसी के द्वारा बनायी गयी फिल्म 'आइन्स्टाइन एण्ड एडिंगटन' की समीक्षा है।
'उन्मुक्त जी, यदि यह चिट्ठी आइन्सटाइन के बारे में फिल्म की समीक्षा है तब इस शीर्षक का क्या मतलब है।'
अरे भाई, जल्दी भी क्या है, पहले समीक्षा तो पढ़े।
इस चिट्ठी में, हमारे परिवार और जवाहर लाल नेहरू के बीच दो रोचक किस्सों की चर्चा है।
मोतीलाल और जवाहर लाल नेहरू - इलाहाबाद में, इनके बारे में, दो प्रसंग चर्चित हैं।
पहला, कि इनके कपड़े पेरिस धुलने जाते थे। यह सही नहीं है, केवल रूपक है। यह इसलिये कहा जाता है कि मोतीलाल नेहरू सफल वकील थे और एन्होंने बहुत धन अर्जित किया।
दूसरा, वकालत करना हो तो इलाहाबाद में करो - यदि सफल हो गये तो मोतीलाल नेहरू यदि असफल रहे तो जवाहर लाल नेहरू। दोनो में से कोई भी घाटे का सौदा नहीं।
इस चिट्ठी में, 'लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी' प्रार्थना पर उठे विवाद पर चर्चा है।
यहां इस प्रार्थना को सुनें। यह कितनी मधुर और मन को शान्त करने वाली है। यह प्रार्थना सिद्धार्थ नगर उत्तर प्रदेश के स्कूल में गायी जा रही है।
इस चिट्ठी में, जयन्त विष्णु नार्लीकर के हिन्दी एवं मातृ भाषा के बारे में विचारों की चर्चा है।
इस विषय को, फिल्म 'हिन्दी मीडियम', बेहतरीन तरीके से उठाती है। नीचे इस फिल्म का टेलर है
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर
इस चिट्ठी में रज्जू भैया के जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं की चर्चा है।
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२१ सितंबर १९९५ में गणेश जी की मूर्तियों के दूध पीने की घटना के बाद, कुछ पेपरों में छपी घटना का जिक्र |
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।। सन्ट्रेल इंडिया लॉन टेनिस चैम्पियनशिप और टॉप स्पिन।। आपातकाल के 'निकोलस बेकर'।। भगवान इतने कठोर कि दूध पीने लगें।।
इस चिट्ठी में, जयन्त विष्णु नार्लीकर के जयोतिष के बारे में विचारों की चर्चा है।
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२००७ में रामनाथ गोयनका पुरस्कार के दौरान, जाते समय, जब जवाब सुनने के रोकने पर, वहीं फर्श पर जवाब सुनते और उसका जवाब देते हुऐ अब्दुल कलाम। |
इस चिट्ठी में, रज्जू भैया के फिल्म और गानों में रुचि के साथ आपातकाल के दौरान नाम और भेष बदलने की चर्चा है।
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आपातकाल के समय, रज्जू भैया अपने बदले रूप और छद्म नाम गौरव के रूप में |
रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना
भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।। सन्ट्रेल इंडिया लॉन टेनिस चैम्पियनशिप और टॉप स्पिन।। आपातकाल के 'निकोलस बेकर'।।
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रिचर्ड फाइनमेन - बॉंगो बजाते हुऐ |
चार नगरोंं की मेरी दुनिया - जयंत विष्णु नार्लीकर