आज श्रावण मास की पूर्णिमा है और रक्षा-बन्धन भी। इस चिट्ठी में, कुछ यादें जीजी की, कुछ बीते हुऐ रक्षाबन्धनों की।
जीजी, दादा को राखी बांधते हुऐ |
तुम्हारे बिना - दूर चले गये लोगों की याद में, यह नयी श्रंखला है। इसमें पहले प्रकाशित कुछ प्रसांगिक चिट्ठियों के भी लिंक दिये है।
तुम्हारे बिना