Monday, October 20, 2014

हम एक दूसरे के लिये प्रेरणादायक हैं

हम सब एक दूसरे को प्रेरित करते हैं। इस चिट्ठी में, इसी दर्शन को, बताने का प्रयत्न किया गया है।
 



कुछ समय पहले, दिल्ली से सुबह हवाई जहाज पर यात्रा करने मौका मिला। बगल में, खिड़की के तरफ वाली सीट पर एक प्यारी सी, लगभग २३-२४ साल की युवती बैठी थी। उसका सूटकेस मेरी सीट के सामने रखा था। वह अपने मोबाइल से बात कर रही थी। वह अपने छोटे भाई से कह रही थी कि अभी तक उठा क्यों नहीं, वह इतनी देर तक क्यों सो रहा है। मुझे अपनी बहन की याद आयी।

युवती बातें करने में इतनी मशगूल थी कि उसने मेरी तरफ नहीं देखा नहीं। उसकी बात समाप्त हो जाने के बाद, जब उसने मेरी तरफ देखा तब मैंने पूछा,

'बिटिया रानी मुझे बैठने में तकलीफ होगी। यदि तुम्हें आपत्ति न हो तब क्या मैं तुम्हारा सूटकेस ऊपर रख सकता हूं।'
उसने हांमी भर दी। मैंने उसका सूटकेस ऊपर कर दिया और अपनी सीट पर पुस्तक पढ़ने लगा। थोड़ी देर बात उस युवती ने सामने की मेज खोल कर उस पर सोने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा,
'अंकल क्या मेरे सोने से खिड़की की रोशनी रुक रही है? आपको पढ़ने में कोई तकलीफ तो नहीं है।'
मुझे पढ़ने में कोई तकलीफ नहीं थी। मैंने ऊपर की लाइट जला ली थी। उसने भी यह देख लिया था। लेकिन, लगता था कि वह एक वरिष्ट नागरिक से, अपना सूटकेस ऊपर रखवाने के बाद कुछ शर्मिन्दा थी और बात कर, अपने तरीके से, धन्यवाद देना चहती थी।

हवाई यात्रा लम्बी थी रास्ते भर वह मुझसे बतियाती रही। मुझे तो लगा कि मैं अपनी बहूरानी परी से बात कर रहा  हूं।
बात चीत के दौरान पता चला कि उसने पढ़ाई  पूरी कर ली है और दुबई में काम करती है, छुट्टियों में, घर जा रही थी। बातचीत के दौरान मैंने  उसे बताया कि मैंने अपनी आंखें और अपने सारे अंग दान कर रखे हैं।
 

कुछ दिनो बाद उसका ईमेल आया।
'अंकल आप के साथ यात्रा करना सुखद रहा। मैं हमेशा समाज के लिये काम करना चाहती थी, अपने अंग दान करना चाहती थी पर कर नहीं पायी। आपसे मिल कर मुझे प्रेणना मिली और मैंने भी अपनी आखें दान कर दी हैं। मैं आगे भी समाज-हित में काम करूंगी।'
इस ईमेल के साथ उसने अपने उस कार्ड का चित्र भी भेजा जिसमें लिखा है कि उसने अपनी आखें दान कर दी हैं। ऊपर का चित्र, उसी का भेजा हुआ है। बस उसमें उसकी व्यक्तिगत सूचना निकाल दी गय़ी है। 

मेरा उसे जवाब था,
'बिटिया रानी मुझे भी तुम्हारे यात्रा कर अच्छा लगा। हम सब एक दूसरे को प्रेरित करते हैं। मुझे प्रसन्नता है कि तुमने भी अपनी आखें दान कर दी हैं। काम वह करना चाहिये जो समाज के हित में हो। मुझे विश्वास है कि न केवल तुम आगे भी ऐसा कार्य करोगी पर दूसरों को भी अच्छे कार्य के लिये प्रेरित करोगी।
मैं तुम्हारे विश्विद्यालय में एक भाषण देने गया था। वहां पर अन्य विद्यार्थियों से बात कर अच्छा लगा। वे सब तुम्हें जानते थे और तुम्हारी तरह बनना चाहते है। लगता है कि तुम सबके लिये एक अनुकरणीय (रोल-मॉडेल) हो।
बिटिया रानी तुम जहां भी रहो खुश रहो, समाज-हित में काम करो। मुझेे तुमसे ई-मेल पर बात कर अच्छा लगेगा। लिखना कि तुमने कितने और लोगों को आखें दान करने के लिये प्रेरित किया।

  उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।

About this post in Hindi-Roman and English
We inspire each other. This post, in Hindi (Devanagari script) talks about the same. You can read it in Roman script or any other Indian regional script as well – see the right hand widget for converting it in the other script. 

hum ek doosre ko prerit krte hain. hindi (devnaagree) kee is chitthi mein, isee kee charchaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


सांकेतिक शब्द

culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो,

1 comment:

  1. shweta8:27 pm

    Inspiring and impressive post . Also congratulations to you for getting two of your books published.

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