यह चिट्ठी, साइबर अपराधों पर नयी श्रृंखला की भूमिका है।
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'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने'
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फिल्म 'इंडिपेंडेन्स डे' से |
क्या आपको मालुम है कि आज किसका जन्म दिन है? मेरा तो नहीं है पर है किसी खास व्यक्ति का।
'उन्मुक्त जी, कौन है वह व्यक्ति? क्या चिट्ठकार है? ज्लदी बताइये, उसे बधाई तो दे दें।'
वह चिट्ठाकार तो नहीं है, पर है एक महान व्यक्ति, एक महान तर्क शास्त्री है। मेरे विचार से आज तक हुऐ सारे तर्क शास्त्रियों में महानतम―नाम है उसका, कोर्ट गर्डल (Kurt Gödel)।
चित्र इंस्टिट्यूट ऑफ एडवान्सड स्टडीज़ की वेबसाइट से |
कोर्ट गर्डल का जन्म २८ अप्रैल १९०६ में , बर्नो चेक रिपब्लिक (Czech Republic) में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ायी वियान ऑस्ट्रिया में पूरी की पर बाद में इंस्टिट्यूट ऑफ एडवान्सड स्टडीज़, प्रिंक्सटन चले गये। वहीं उनकी मृत्यु १४ जनवरी १९७८ में हो गयी।
'उन्मुक्त जी आपका शीर्षक तो है "तू डाल डाल, मैं पात पात” हम तो समझे कि यहां कुछ छकने, छकाने की बात होगी। लेकिन आप तो चालू हो गये तर्क शास्त्री कोर्ट गर्डल की बात करने। मालुम नहीं पहला चित्र क्या है, लगता है कि कहीं लड़ाई हो रही है।
हमें तो आप "द ऐबसेन्ट माइंडेड प्रोफेसर" फिल्म की याद दिला रहे हैं। आपको याद है वह फिल्म। आप शीर्षक कुछ देते हैं, लिखने कुछ और लग जाते हैं।'
मुझे 'द ऐबसेन्ट माइंडेड प्रोफेसर' फिल्म की बहुत अच्छी तरह से याद है। यह १९६१ में बनी वॉल्ट डिज़नी की लोकप्रिय फिल्मों में से एक है। इसे मैंने चौथी या पांचवी कक्षा में पढ़ते समय देखा था।
कौन भूल सकता है उस प्रोफेसर को, जिसने भूल से, उड़ते रबर (flying rubber) (flubber) (फ्लबर) का आविष्कार कर लिया था। इसी रोमांच में वह अपनी शादी की तारीख भूल गया। बस, गुस्से में, उसकी मंगेतर ने शादी तोड़ दी और वह किसी अन्य से दोस्ती का दिखावा करने लगी। फिल्म में, फल्बर के साथ प्रोफेसर के रोमांचकारी किस्से और अपने प्यार को वापस पाने की कहानी है। कितनी प्यारी फिल्म थी, आज भी याद है।
यह फिल्म, सैमुएल टेलर की विज्ञान कहानी 'अ सिचुऐशन ऑफ ग्रैविटी' (A Situation of Gravity by Samuel W Taylor) नामक कहानी के ऊपर बनी है। इसके बाद १९६३ में वॉल्ट डिज़नी ने इसकी ऊत्तर कथा फिल्म 'सन ऑफ फल्बर' (Son of Flubber) बनायी। यह श्याम-श्वेत फिल्में थीं। कुछ साल पहले, 'ऐबसेन्ट माइंडेड प्रोफेसर' को नये सिरे से रंगीन फिल्म फल्बर नाम से बनाया गया। मुझे याद है यह सब।
मैं बहुत कुछ हूं, मेरे चिट्ठियां इसकी गवाह हैं पर मैं भुलक्कड़ नहीं हूं। यह शीर्षक है, मेरी नयी श्रंखला का जो मैं साइबर अपराधों और कंप्यूटर हैकर के बारे में लिख रहा हूं। मैंने जानबूझ कर यह शीर्षक दिया है और 'इंडिपेंडेन्स डे' फिल्म का चित्र लगाया है।
'उन्मुक्त जी, अब समझ में आया कि आपने इस श्रंखला का नाम "तू डाल डाल, मैं पात पात" क्यों रखा। चोर-सिपाही के खेल में, अक्सर चोर सिपाही से एक कदम आगे रहते हैं। कंप्यूटर हैकर भी, कंप्यूटर विशेषज्ञयों से आगे रहते हैं। इसलिये आपने इस श्रंखला का यह नाम रखा है। है न सही?'
बिलकुल सही फरमाया आपने।
'क्या खाक सही फरमाया उन्मुक्त जी―पैर कब्र में जा रहे हैं लेकिन मज़ाक करने की आदत नहीं गयी। कोर्ट गर्डल या इस इस चित्र का, इस विषय से क्या समबंध। हमें बेवकूफ न बनाइये।'
मेरे भाई, मेरी बहना, इतनी जल्दी नहीं। न केवल कोर्ट गर्डल, पर फिल्म 'इंडिपेंडेन्स डे' (जिस फिल्म से ऊपर का चित्र चित्र लिया गया है) का सम्बन्ध, इस विषय है। यह कैसे है इसका पता तो आपको इस श्रृंखला के दौरान चलेगा। इंतजार कीजिये इस श्रंखला की अगली कड़ी का, लेकिन उसमें कुछ समय लगेगा। मैंने इस कड़ी को केवल इसलिये प्रकाशित कर दिया क्योंकि आज कोर्ट गर्डल का जन्मदिन था।
अगली बार हम बात करेंगे कि कोर्ट गर्डल क्यों प्रसिद्ध हैं, उनके बारे में कुछ चर्चा, और मुझे यह श्रृंखला लिखने का विचार कैसे आया।
अगली बार हम बात करेंगे कि कोर्ट गर्डल क्यों प्रसिद्ध हैं, उनके बारे में कुछ चर्चा, और मुझे यह श्रृंखला लिखने का विचार कैसे आया।
फिल्म 'द ऐबसेन्ट माइंडेड प्रोफेसर' में प्रोफेसर की, अपनी मगेंतर से पुनः मित्रता हो जाने के बाद के कुछ दृश्य
तू डाल डाल, मैं पात पात
भूमिका।।
सांकेतिक शब्द
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हर बार की तरह रोचक रहेगी यह श्रंखला भी
ReplyDeleteशीर्षक बहुत बढिया लगा
प्रणाम
गर्डन साहब के बारे में जानकर अच्छा लगा। आभार।
ReplyDelete--------
गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
कोर्ट गर्डल के बारे में तो बड़ी उत्सुकता उत्पन्न हो गयी है !
ReplyDeleteGodel is enough to make this series interesting to me :)
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