कहा जाता है कि मनाली में, महर्षि मनु ने तपस्या की। वहां पर उनका मन्दिर भी है। उन्हीं के नाम पर इसे मनुआलय कहा गया। यह बाद में मनाली हो गया।
यहां बहुत से विदेशी यहां गांवो में बस गये है और यहीं पर शादी कर ली है। यहां पर रहने वाले स्थानीय लोगों ने, विदेशियों की सुविधानुसार उन्हीं से खाना बनाना सीख लिया है। यहां दुनिया का हर तरीके का खाना मिलता है। यह भी हो सकता है कि विदेशियों ने स्थानीय लोगों को अपने खाने के सुविधा के लिए लोगों को उनकी तरह का खाना बनाना सिखाया हो। यहां पर बहुत सारी दुकानें दिखीं जिसमें जर्मनी बेकरी, इंग्लिश बेकरी मिल रही थी। वहां हर किस्म के केक और मांस मिल रहा था।
मनाली दो हिस्सों में बटा हुआ है। पुराना और नया। हम लोग नये मनाली में ठहरे थे। यहाँ पर अच्छे, पर महंगे होटल हैं। हिन्दुस्तानी सैलानी कम दिनों के लिए मनाली जाते हैं वे नये मनाली में ठहरते हैं। पुरानी मनाली में भी ठहरने की सुविधा है। यह भी अच्छी है पर सस्ती है। विदेशी सैलानी अधिक समय के लिए रहने के लिये आते हैं। इसलिये वे पुरानी मनाली में ही ठहरते है। शायद इसलिये पुरानी मनाली में बहुत सारे साइबर कैफे है।
हो सकता है कि गर्मी में इन्हीं किसी भी घर पर रहूं, कुछ पढ़ूं, कुछ लिखूं |
मनाली के साइबर कैफे में हर तरह की सुविधा है। अन्तरजाल भी तेज चलता है स्काईप की भी सुविधा है, विदेशी इसी के द्वारा बात करते हैं।
जब से मेरे पास कंप्यूटर आ गया तब से पुस्तकें पढ़ना कम हो गया। मैं पुस्तकें भी फढ़ना चाहता हूं इसलिये अब जब भी घूमने जाता हूं तब लैपटॉप नहीं ले जाता हूं। इसलिए मुझे साईबर कैफ में जाना पड़ा।
साइबर कैफों के कंप्यूटरों में विंडोज़ है लिनेक्स नहीं। मुझे विंडोज़ में काम करने में मुश्किल होती है और इस पर हिन्दी में बिलकुल ही टाइप नहीं कर पाता। लगता है कि या तो मैं अपना कंप्यूटर ले जाया करूं या फिर विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।
मनाली के एक साइबर कैफे में, हिन्दी को लेकर एक रोचक हादसा हो गया। इसकी चर्चा, इस श्रृंखला की अगली कड़ी में।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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सांकेतिक शब्द
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विन्डोज़ कठिन नहीं है । देश में विन्डोज़ ही अधिक प्रचलित है ।
ReplyDeleteहिन्दी वाले "हादसे" को जानना रोचक रहेगा…
ReplyDeleteआगे की कड़ी का इन्तज़ार है। इसी बहाने हम जैसे लोग इधर-उधर वर्चुअल घूमने का मजा ले लेते हैं… :)
मनाली के बारे में अच्छी जानकारी।
ReplyDeletechuplunkar ji se sehmat
ReplyDeleteजी नहीं, आपको विंडोज सीखने की कतई जरूरत नहीं.
ReplyDeleteविंडोज में हिंदी टाइपिंग के तमाम ऑनलाइन विकल्प हैं. मुझे लगता है कि आप लिनक्स में स्किम के फ़ोनेटिक औजार का प्रयोग करते हैं. तो आपके लिए क्विल पैड से लेकर रमण कौल का हिन्दी टाइपिंग टूल (सभी ऑनलाइन)आपका काम साइबर कैफ़े इत्यादि में आसान बना सकते हैं.
मैं इनस्क्रिप्ट का प्रयोग करता हूँ, और ऐसे ही ऑनलाइन अनुप्रयोगों के जरिए मुझे कहीं कोई समस्या नहीं होती - चाहे वो विंडोज हो, लिनक्स हो या मैक.
अच्छा है. सीखना हमेशा अच्छा होता है. अच्छी चीजों का...
ReplyDeleteहमें तो जब भी बाहर जाते हैं शाकाहारी तलाशने में परेशानी होती है। आप यात्रा विवरणों में यह भी बताएं की वहाँ शाकाहारी के लिए क्या अवसर हैं तो अच्छा लगेगा।
ReplyDeleteआप जिसे असुविधा कह रहे हैं वही सभी के लिए सुगम है :)
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