इस चिट्ठी में नैनीताल में यातायात के नियमों के बारे में चर्चा है।
नैनीताल की झील के चारो तरफ रास्ता है। इसके एक तरफ मुख्य रास्ता है जो कि दो भागों में है: एक ऊपर और एक नीचे। स्वतंत्रता के पहले ऊपर वाले रास्ते पर केवल अंग्रेज और उनके घोड़े एवं नीचे वाले रास्ते पर हिन्दुस्तानी और उनके घोड़े चला करते थे।
आज़ादी मिलने के बाद, नीचे वाली रोड पर पहले केवल घोड़े चला करते थे और ऊपर वाली रोड पर सबके चलने का इन्तज़ाम था। १९९५ में यही स्थिति थी। लेकिन इस बार नीचे के मुझे नीचे वाले रास्ते पर एक भी घोड़ा नहीं दिखायी पड़ा। ऊपर और नीचे वाला रास्ता एक तरफा आने और जाने के लिए हो गया है।
शायद यह इस लिये हुआ क्योंकि उत्तराखण्ड बनने के बाद देहरादून इसकी राजधानी बना दी गयी और नैनीताल में उच्च न्यायालय बना दिया गया। इस कारण नैनीताल में, गाड़ियों और वकीलों का आना जाना ज्यादा हो गया है। इसी कारण से, घोड़ा जो पहले नीचे वाले मार्ग से जाया करते थे अब वहां नहीं चल सकते हैं। यदि आपको टिक्किन टॉप जाना हो तो आप अवश्य घोड़े से जा सकते हैं। जिसके लिये कुछ दूर पर घोड़े मिलते हैं।
प्रतिदिन ६ से लेकर ८ और सीज़न में ६ से लेकर ९ बजे तक ऊपर वाले रास्ते से कार आदि नहीं जा सकती हैं। इस समय उस पर केवल पैदल चला जा सकता है। लेकिन आने के लिए नीचे वाली मार्ग यातायात के लिये खुला रहता है। झील के दूसरी तरफ, पहाड़ी के नीचे वाला रास्ता भी कारों के लिये खुला रहता है।
अगली बार हम लोग स्नोव्यू चलेंगे।
जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।।
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।।
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कुछ कुछ याद है यह व्यवस्था जब मैं करीब १० वर्ष पहले वहां गया था
ReplyDeleteवन वे, धीरे धीरे हर जगह आ रहा है।
ReplyDeleteसुन्दर
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