Monday, August 27, 2007

यौन शिक्षा और सांख्यिकी

कुछ दिन पहले शास्त्री जी ने यौन शिक्षा पर एक लेख 'यौन शिक्षा — पाश्चात्य राज्यों का अनुभव क्या कहता है ?' लिखा। मैंने इस पर टिप्पणी की,
'शास्त्री जी आप गलत नहीं कहते पर फिर भी मैं कहना चाहूंगा कि सांख्यिकी का पहला सिद्धान्त है There are lies, damned lies and statistics. इसका कारण है।
आप सांख्यिकी को जिस तरह से चाहें, प्रयोग कर सकते हैं और वह विश्वसनीय लगता है। सांख्यिकी का प्रयोग सही है या गलत - केवल विशेषज्ञ ही बता सकते हैं। मान लीजिये मैं कहूं कि 'क' टूथपेस्ट अच्छा है क्योंकि इससे मंजन करने वालों में ९०% लोगों के दांत अच्छे रहते हैं। इसका यह अर्थ नहीं कि यह अच्छा टूथपेस्ट है क्योंकि हो सकता है इससे न मंजन करने वालों में से ९५% के दांत अच्छे रहते हों। यदि ऐसा है तो यह खराब टूथपेस्ट हो जायगा।
सोचिये यदि पाश्चात्य देशों में यौन शिक्षा न हुई होती तो क्या हाल होता। यदि तब हाल अच्छे होते तब ही आपकी बात ठीक लगती है अन्यथा नहीं।
अपने देश में जिस तरह के टीवी प्रोग्राम आते हैं जिस तरह की खबरे आती हैं, जिस तरह अंतरजाल पर सब उपलब्ध है - उसे देख कर तो मुझे लगता है कि यौन शिक्षा होनी चाहिये।
इस बारे में मैंने अपने तथा अपने परिवार के व्यक्तिगत अनुभव भी 'यहां सेक्स पर बात करना वर्जित है' और 'यौन शिक्षा' नाम से लिखे हैं। मैं चाहूंगा इनको भी आप देखें फिर राय कायम करें।
ऐसे यौन शिक्षा पर व्यापक बहस जरूरी है।'

यह टिप्पणी किसी कारणवश उस समय प्रकाशित नहीं हो पायी। उसके बाद नीरज जी ने शास्त्री जी असहमत हो कर 'यौन शिक्षा: दो टूक बातें !' नाम की चिट्ठी लिखी। जिस पर उनकी अनुमति से, मैंने यह टिप्पणी कर दी। शास्त्री जी से असहमत हो कर, पंकज जी ने भी एक चिट्ठी 'मेंढक बहरा हो गया' नाम से लिखी। शास्त्री जी इनका जवाब पांच चिट्ठियों यहां, यहां, यहां, यहां, और यहां दिया है। उनके जवाब को एकदम से नहीं नकारा जा सकता।

इस विषय पर इसके पहली लिखी चिट्ठियों की लिंक मेरी दोनो चिट्ठियों में है। यह सब इस विषय पर रोचक और ज्ञानवर्धक बहस है। यह बहस, कम से कम इन चिट्ठियों कि उन टिप्पणियों से बेहतर है जिन टिप्पणियों के द्वारा, यह कहा गया कि लोग इस विषय पर नहीं पढ़ना चाहते चाहे जितना अच्छा
लिखा हो। मेरे विचार से बहस इस तरह से होनी चाहिये न की उस तरह से जैसे अक्सर हो जाती है।

यौन शिक्षा के संदर्भ में, मैं ११-१२वीं कक्षा के विद्यार्थियों को 'फिर मिलेंगे' फिल्म देखने के लिये भी सलाह दूंगा। यदि आपने इसे नहीं देखी हो तो देखें। आप इसे अपने मुन्ने, मुन्नी के साथ देखें या अलग - यह आपके उनके रिश्तों के ऊपर है। मैंने तो यह फिल्म अपने बच्चों के साथ देखी, हांलाकि जब यह फिल्म आयी तब तक वे अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुके थे।

मेरा अब भी, यह मत है,
'यौन शिक्षा - कम से कम प्रारम्भिक स्तर की - होनी चाहियेः शायद घर में सबसे अच्छी हो।'
हांलाकि न तो सब इसे ठीक प्रकार से बताने में सक्षम हैं, न ही इस पर लिखी सब पुस्तकें ठीक हैं।


यह तो बात हूई, यौन शिक्षा पर - अब चलते हैं सांख्यिकी पर।

सांख्यिकी के बारे अक्सर कहा जाता है - पहले झूट, फिर बिलकुल झूट, उसके बाद सांख्यिकी। यही बात मैंने अपनी टिप्पणी पर भी लिखी थी। इसका एक उदाहरण, टिप्पणी पर बताया था। इसको समझाने के लिये, यह भी
कहा जाता है,
'यदि आपका सर रैफ्रीजरेटर में हो और पैर जलते स्टोव पर तो सांख्यिकी के अनुसार, औसतन, आप ठीक ठाक हैं।'

यह कार्टून मैथली जी ने, इसी कहावत को उजागर करने के लिये बनाया है। मैथली जी, कौन? अरे वही कैफे हिन्दी और ब्लॉगवाणी वाले - मेरा धन्यवाद और आभार।

किसी और संदर्भ में, मैथली जी के बारे में, मैंने दो चिट्ठियां - 'डकैती, चोरी या जोश या केवल नादानी' और 'हिन्दी चिट्ठाकारिता, मोक्ष, और कैफे हिन्दी' नाम से लिखी हैं।


मैंने, सांख्यिकी, ४० वर्ष पहले अपने विद्यार्थी जीवन में पढ़ी थी। उसके बाद कभी जरूरत नहीं पड़ी। यह टिप्पणी लिखते समय मैंने अपने विद्यार्थी जीवन को याद किया और याद किया उस समय सांख्यिकी पर पढ़ी कई बेहतरीन पुस्तकों को, जो आज भी सांख्यिकी की लाजवाब पुस्तकें मानी जाती हैं। अगली बार, उन्हीं के बारे में बात करेंगे।

यौन शिक्षा और सांख्यिकी

7 comments:

  1. Unmukt ji, yaun shikshaa par maine aapake unmukt vichaar padhe.Aap bhi samajhate hain ki yah ek vivaadit mudda hai.ise samajhanaa utanaa aasan nahi hai jitana yah satahi taur par dikhata hai.main yaun shiksha ka himaayati hoon.par yah sarakari vyavstha ke bhet chad gayi hai jahaan kharid pharokht ke chakkar me prakaashak yaun kshiksha ke naam par adhkaharaa sayitya chhap rahe hain jo kahin kahin kaamoddipak aur ashlil hai.aapane shaayad nahi dekhaa.
    Aur kya aapako yah nahi lagataa ki dusari jaiviya gtividhiyon ki tarah isame bhi sahajbodh ki badi bhoomika hai?Bachhade ko gaay ke than tak kaun le jaata hai?Pravaasi chidiyon ke bachhon ko pravaas gaman kaun sikhaata hai?Hilasaa machhali ke paune[bachhe]bina mata pita ki madad ke apane mool aavaas tak kaise pahunch jaate hai?
    Haan sex ke nam par jo galatphahmiyan sammaj me hain ve door honi chaahihe, ise kamaaaie[earning] ka dandhaa banane vaalon se kishoron ko aagaah karanaa chaahiye aur yah bhi bataana chaahiye ki 'ati sarvatra varjyet!' yadi ise aap yaun kshiksha maanate hain to theek hai.
    kya aapke chitthe par aisee suvidhaa nahi ho sakati ki ham jo roman me likhe vah devnaagari me tabdil ho jaaye.kya yah tippadi main devnaagari me dekh sakataa hoon?
    saadar
    arvind

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  2. चर्चा को आगे बढाने के लिये धन्यवाद. आपका लेख कुछ पहले आ गया. थोडा सा और इंतजार कर लेते तो मेरे बाकी और लेख देख लेते जिसमें मै भारतीय संदर्भ मे यौन शिक्षा विकसित करने की वकालात करने वाला हूं.

    यह भी याद रखें कि मैं ने सिर्फ अमरीकी अवधारणा का विरोध किया है -- शास्त्री जे सी फिलिप

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

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  3. हमने तो आज तक इस विषय पर केवल टिप्पणीयों से काम चलाया है, आगे भी देते रहेंगे.
    सभी को पढ़ रहे है तथा यौन शिक्षा को अनिवार्य मानते है.

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  4. आपसी विचार-विमर्श से ही सही रास्ता निकलेगा।बहस सही दिशा मे चल रही है..शास्त्री जी व आप के विचार कोई नया रास्ता निकालेगें ऐसी आशा है...

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  5. तीन दिन के अवकाश (विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में) एवं कम्प्यूटर पर वायरस के अटैक के कारण टिप्पणी नहीं कर पाने का क्षमापार्थी हूँ. मगर आपको पढ़ रहा हूँ. अच्छा लग रहा है.

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  6. Anonymous9:54 pm

    very interesting ! esp ur viws about statisticians! I dunno how to use hindi text here. would have loved to use that here ...savi

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  7. मुझे भी लिखना है इस विषय पर जो भी मैंने देखा सुना विदेश में. उन्मुक्त जी, आप ठीक कह रहे हैं. आपका लिखा पोस्ट पढ़ा, आपके विचार जानकर बेइन्तहा खुशी हुई. लिखते रहिए.

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आपके विचारों का स्वागत है।