'मैं भारत तीसरी बार आई हूं। मुझे यह देश बेहद पसन्द है। मुझे पढ़ना अच्छा लगता है और पहली बार, कृष्णामूर्ती को पढ़ने के बाद, मैंने भारत आने का मन बनाया था।'
कैटरीना के एक लड़का (१६साल) और एक लड़की (१४ साल) है। वे तलाकशुदा हैं पर उनकी पती से अब भी मित्रता है। इस समय उनके पती, उनके घर में रह कर बच्चों की देखभाल कर रहे हैं।
Linus Torvalds फिनलैंड से है। वे, १९९१ में, हेलसिंकी पॉलीटेक्निक में पढ़ रहे थे। उस समय, उन्होने Linux का करनल (Kernel) प्रकाशित किया था। जाहिर है हमारी बातों में Linus Torvalds भी थे। कैटरीना ने बताया कि Linus Torvalds का सही उच्चारण लीनुस टोरवाल्डस् है और फिनलैंड में Linux को लीनुक्स की तरह बोलते हैं न कि लिनेक्स। क्या मालुम क्या सही और क्या नहीं।
कैटरीना में मुझसे पूंछा कि क्या मैं लीनुस के परिवार के बारे में जानता हूं। मैंने कहा कि मैंने उसकी आत्मजीवनी 'Just for fun : The story of a accidental revolutionary' पढ़ी है। इस लिये उनके जीवन के बारे में काफी कुछ मालुम है। यह पुस्तक कैटरीना ने नहीं पढ़ी थी। मैंने उसे बताया कि यह पुस्तक बहुत अच्छी है और न केवल पढ़ने योग्य है पर प्रेरणा की स्रोत है। उसने वायदा किया कि वह उसे पढ़ेगी और अगली बार हम उस पर कुछ बात भी करेंगे।
हमने नोकिया टेलीफोन कम्पनी के बारे में भी बात की क्योंकि यह फिनिश कम्पनी है।
कैटरीना के अनुसार फिनलैण्ड की सबसे अच्छी बात वहां की सुरक्षा है, वहां टैक्स ज्यादा है पर चिकित्सा, पढ़ाई सब मुफ्त है। वहां सारे विश्वविद्यालय सरकारी हैं। वे स्वयं, एक बढ़ई के चार बच्चों में से एक थीं। उनके पिता डाक्टरी की पढ़ाई का पैसा नहीं दे सकते थे पर वे डाक्टर इसलिए बन पायीं क्योंकि पढ़ाई के लिए पैसे नहीं देना पड़ा था।
कैटरीना के पीठ पर एक चिन्ह था। मैंने पूछा कि यह ठप्पा है या टैटू। उसने मुस्करा कर कहा,
'यह टैटू है। इसे मैंने अपने आप को चालिसवें जन्मदिन पर उपहार दिया है। अगले साल मैं पच्चास की हो जाउंगी। मैं नहीं समझ पा रही कि मैं अपने आप को क्या उपहार दूं।'कैटरीना को अपने लिये उपहार तय करने में देर नहीं लगी। हम लोग शाम को हाउस बोट पहुंचे तो वहां पर बनारसी साड़ियों का मेला लगा था। चारो तरफ साड़ियों फैली हुई थी। वह बोली,
'मैं पच्चासिवें जन्म दिन के लिये साड़ी खरीद रहीं हूं पर तय नहीं कर पा रही हूं कि कौन सी लूं। क्या आप मेरी मदद करेंगे।'मुझे हरे रंग वाली साड़ी अच्छी लग रही थी। उसने वही ले ली। मुझे कैटरीना साहसी महिला लगीं। वह भारत अकेले आयीं हैं और कशमीर में पैदल ट्रेक कर रही थीं। फिर बोट पर ट्रेकिंग करने जा रहीं थीं। उसने मुझे फोटो दिखाये जिसमें वह घोड़े वालों या गाइड के घर में या फिर टेंट में रूकी। मेरे पूछने पर कि क्या वह यह सब, बिना अपने बच्चों के, अकेले आनन्द से कर पा रहीं हैं। उसने कहा,
'मेरे बच्चे साहसी नहीं हैं, उन्हें इस तरह ट्रेक करने में मजा नहीं आता है। वे जरा सी गन्दगी से घबरा जाते हैं इसीलिए मैं उन्हें साथ नहीं लायी।'मुझे ट्रेकिंग अच्छी लगती है पर शुभा को नहीं। जब बच्चे साथ रहते थे तब हम लोगों ने कई इस तरह के ट्रिप लिये थे पर अब नहीं। अकेले हिम्मत नहीं पड़ती है। कैथरीन से बात हो गयी है अगली बार जब वह भारत आकर ट्रेकिंग पर जायेंगी तब हम ट्रेकिंग पर साथ चलेगे।
लिनुक्स ही सही है - (सही उच्चारण - lih nux है - यह टोरवाल्ड ने खुद अपनी साइट पर कहीं लिखा है.)
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी. पढ कर अच्छा लगा -- शास्त्री जे सी फिलिप
ReplyDeleteहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
नया ट्रेक-साथी मुबारक हो. लिनुक्स के बारे में कभी बतायें.
ReplyDeleteनोकिया भी "फ़िनिश" कम्पनी है..थोडी सी मात्रा की चूक क्या कर सकती है :)
ReplyDeleteBahut achchha laga.
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