इस चिट्ठी में शुक्र का पारगमन (Transit of Venus) (ट्रांज़िट ऑफ वीनस्) की चर्चा है।
२००४ में शुक्र का पारगमन |
इसे आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये, नीचे प्लेयर में सुनने वाले चिन्ह ► पर चटका लगायें।
यदि एक आकाशीय पिण्ड, दूसरे आकाशीय पिण्ड के सामने से गुजरते समय, पृथ्वी की सीध में हो तब तीन तरह की घटनायें हो सकती हैं।
- ग्रहण - यदि दोनो पिण्डों का आभासी आकार, पृथ्वी से लगभग बराबर दिखता हो, तब पृथ्वी के पास वाला पिण्ड दूर वाले पिण्ड को ढ़क लेगा। इस स्थित को ग्रहण कहते हैं। पृथ्वी से, सूरज और चन्द्रमा एक ही आकार के दिखायी पड़ते हैं। इसलिये सूर्य ग्रहण लगता है। पृथ्वी की छाया चन्द्रमा को ढ़क लेती है इसलिये चन्द्र ग्रहण लगता है;
- ऑकल्टेशन (Occultation) - जब आभासी तौर पर कोई बड़ा पिण्ड, किसी छोटे पिण्ड को ढ़क ले। जैसे चन्द्रमा के पीछे किसी तारे या या ग्रह का छिपना;
- पारगमन - जब कोई छोटा पिण्ड किसी बड़े पिण्ड के सामने से गुजरे। जैसे ग्रहों का सूरज के सामने गुजरना।
टाईटन शनि ग्रह का चन्द्रमा है। उसका एक तारे के साथ ऑकल्टेशन - चित्र नासा के विडियो से |
पारगमन का एक उदाहरण, शुक्र ग्रह का पारगमन है। यह, इस साल ५-६ जून को है। यह अन्तराष्ट्रीय समय २२:०९:३८ (भारतीय समय ०३:३९:३८) से शुरू होकर ०४:४९:३५ (भारतीय समय ०९:१९:३५) पर समाप्त हो जायगा। अथार्त भारत में यह रात में शुरू हो जायगा और आप जब सुबह उठेंगे, तब सूरज पर शुक्र का कलंक लग चुका होगा।
पृथ्वी और शुक्र सूरज की परिक्रमा ३६५. २५ और २२४.७ दिनो में करते हैं। यदि दोनो सूरज की परिक्रमा एक तल में करें, तब शुक्र का पारगमन १९ माह में होना चाहिये। लेकिन चूंकि दोनो की परिक्रमा एक तल पर नहीं है पर ३.४० कोण बनाते हुऐ हैं इसलिये यह १९ माह में नहीं होता है।
कोण में होने के कारण, शुक्र की कक्षा, पृथ्वी की कक्षा के तल से, साल में दो बार, ७ जून और ८ दिसंबर (यह दो दिन आगे पीछे भी हो सकता है) को काटती हैं। इसलिये इसी समय, शुक्र का पारगमन हो सकता है। लेकिन यह तभी होगा, जब शुक्र उस समय, उसी बिन्दु पर हो।
१९९९ में सूर्य ग्रहण का चित्र |
उक्त तरह की स्थित, २४३ साल में, दो के जोड़े में, दो बार यानि कि कुल चार बार होती है। इनमें १०५.५ और ८ साल, तथा १२१.५ और ८ साल का अन्तर (१०५.५+८+१२१.५+८=२४३) होता है।
पिछला पारगमन ८ साल पहले, ८ जून २००४ को और उसके पहले का पारगमन १२१.५ साल पहले ६ दिसंबर १८८२ को, तथा अगला पारगमन १०५.५ साल बाद १०-११ दिसंबर २११७ को होगा और उसके बाद ८ साल बाद, इसकी पुनरावर्ती होगी।
इस बार शुक्र का काला धब्बा सूरज के ऊपर के हिस्से से गुजरेगा। पिछली बार शुक्र किस रास्ते से और इस बार किस रास्ते से गुजरेगा, इसका चित्र आप यहां चटका लगा कर देख सकते हैं।
शुक्र के पारगमन को आप सीधे न देखें। आपकी आंखें खराब हो सकती हैं। इसे देखने के लिये आप वही सतर्कता बरते जैसा कि सूर्य ग्रहण देखने के समय बरतते हैं।
इसके बारे में कुछ और जाने के लिये या क्या सावधानी बरते के लिये नासा का यह विडियो देखें। इसके साथ, यदि आपके कस्बे में कोई ताराग्रह हो या विज्ञान संग्राहालय तो उससे पूछें। वहां जरूर इसको देखने के लिये खास तरह के चश्में मिल रहे होंगे।
शुक्र के पारगमन को, नासा हवाई से, अन्तरजाल पर, सीधा प्रसारण (Live Webcast) कर रहा है। इसके बारे में यहां पढ़े। जहां देखने के लिये विस्तार से सूचना है।
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इस चिट्ठी का पहला और अन्तिम चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से है।
इसके बारे में हिन्दी में जानकारी यहां भी है।
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सबके पास कुछ न कुछ छिपाने के लिये है।
ReplyDeleteएक सामयिक जानकारी -सूर्य तो अपनी ही कारगुजारियों (धब्बों ) से पहले से ही कलंकित है -अब यह एक और कलंक उसका क्या बिगाड़ पायेगा :)
ReplyDeleteaabhaar aapka - excellent.
ReplyDeleteदेखंगे, पूरी तैयारी है
ReplyDeleteThis event repeats periodically twice after every 121 years and 105 years alternatively with a gap of 8 years .So for the current generation this celestial event will be a life time opportunity ! so don't miss it out . You can use visual solar goggles ( can be obtained in planetarium or science stuff shops ). Or you can even make a small pin hole camera with a projection , or even u can use the transparent disc of folppy to watch sun through it . But do not try to watch at sun with naked eyes. For more information check it out http://www.bas.org.in/Home/node/2115
ReplyDeleteबहुत रोचक और वैग्यानिक जानकारी
ReplyDelete2012 में शुक्र का पारगमन देखने के लिये
ReplyDeletehttps://picasaweb.google.com/110456774736369931329/TransitOfVenusJune62012
पर चटका लगायें।