इस चिट्ठी में, रोम में, कॉलोसिअम यात्रा का वर्णन है।
कॉलोसिअम का निर्माण ७२ ईसवीं में शुरू हुआ और ८० ईसवीं में समाप्त हुआ। इसमें ६०,००० से ८०,००० हज़ार तक लोग आ सकते थे। इसमें सार्वजनिक उत्सव, पेशेवार लड़ाकों की स्पर्धा, जानवरों का शिकार, सार्वजनिक फांसियां दी जाती थीं।
इसाई, रोम राज्य के भगवानों को नहीं मानते थे। उन्हें, कॉलोसिअम के अन्दर, निहत्थे शेरों के बीच छोड़ दिया जाता था। यह क्रूूरता की हद थी। ये एशियाटिक शेर हुआ करते थे। वे उस समय यूरोप तक फैले थे पर अब केवल गीर जंगलों में ही पाये जाते हैं।
कहा जाता कि इस तरह की विलासिता से ही, रोम साम्राज्य का पतन शुरू हुआ।
चित्रकार जों लिओ जिओम का चित्र 'शहीद ईसाइयों की आखरी प्रार्थना' |
'तुम पाकिस्तानी हो, तो गले में तिरंगा क्यों डाले हो। पाकिस्तान का झन्डा क्यों नहीं डालते।'उसने कहा,
'पाकिस्तान से बहुत कम, लगभग नहीं के बराबर लोग घूमने आते हैं, लेकिन भारतवर्ष से लगभग रोज दो या तीन ग्रुप घूमने आते हैं इसलिये तिरंगा गले में डाल रखा है।'वह कुछ असहज लग रहा था। मैंने कहा,
'इससे क्या होता है कि तुम पाकिस्तानी हो। हमारा खून एक है, हमारी सभ्यता एक है, हम सब एक हैं - बस कुछ लोग अपने फायदे के लिये हमें लड़वा रहे हैं।'इस पर वह सहज हो गया। हमारे पास पौन घन्टे का समय था वह सारे समय हमारे साथ रहा। उसने हमें कॉलोसिअम घुमाया, उसके इतिहास के बारे में बताया। मैंने भी कॉलोसिअम के बारे में उसे एक कहानी सुनायी।
एक रोमन राजा के पास बुद्धिमान गुलाम था। वह अपनी बुद्धिमता के कारण सबका चहेता था। राजा उससे जलता था इसलिये उसे मरवाना चाहता था लेकिन बिना कारण सजा नहीं दे पा रहा था। राजा को युक्ति सूझी। उसने कॉलोसिअम में सभा बुलवाई और गुलाम से कहा,
'तुम कोई वक्तव्य दो। लेकिन ध्यान रहे यदि वह सच होगा तो तुम्हें निहत्थे, शेर से लड़ना होगा यदि वह झूट होगा तब तुम्हें निहत्थे, पेशेवर लड़ाके से लड़ना होगा। यदि तुम जीत गये तब तुम्हें आज़ाद कर दिया जायगा।'गुलाम को तो लड़ना आता ही नहीं था और वह भी निहत्थे - उसे तो दोनो ही दशा में मारे जाना था।
लेकिन गुलाम बुद्धिमान था। उसने एक ऐसा वक्तवय दिया कि राजा भ्रमित हो गया। उसकी समझ में नहीं आया कि गुलाम को शेर से लड़वाया जाय, कि पेशेवर लड़ाके से। अन्ततः राजा को गुलाम छोड़ना पड़ा। गुलाम ने क्या व्क्तव्य दिया होगा।
यूवक मुस्कराया और कहा कह नहीं सकता पर अब मैं यह कहानी सबको सुनाउंगा , शायद कोई जवाब बता दे। आपको क्या लगता है कि गुलाम ने क्या कहा होगा।
उस यूवक को, मैंने पैसे देने चाहे तो लेने से मना कर दिया और बोला,
'आप नेक इन्सान हैं, आपसे पैसे नहीं लूंगा।'धन्यवाद मेरे पाकिस्तानी मित्र, फिर मिलेंगे। क्या अच्छा हो, हम सब इस भावना को समझ सकें। यदि समझ सके, तब हम दोनो देश आगे बढ़ सकेंगे।
इस चिट्ठी के दोनो चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से हैं
सांकेतिक शब्द
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ReplyDeleteये वाली चिठ्ठी पढ़ना तो बहुत जरूरी हो गया है
ReplyDeleteआप झूठ बोल रहे हैं, ऐसा ही कुछ कहा होगा.
ReplyDeleteराजा ने गुलाम से कहा कि तुम्हारा वक्तव्य "आप झूठ बोल रहे हैं" झूट है। यह कह कर राजा ने उसे पेशेवार लड़ाके से लड़वा दिया :-(
Deleteअगली कड़ी का इंतजार है - जिसमें उत्तर होगा :)
ReplyDeleteहिन्दी में कोई भी यात्रा लेख लिखे, वो पढने मे अच्छा ही लगता है। अब मैं सिर्फ़ यात्रा लेख ही पढता हूँ।
ReplyDeleteमेरे पिताजो ने आपके पिताजी को कर्ज़ दिया था !!!!
ReplyDeleteउसने ये कहा होगा !
राजा ने कहा कि यह झूट है। तुम्हारे पिता ने कभी मेरे पिता को कर्ज़ नहीं दिया था। यह कह कर राजा ने उसे पेशेवार लड़ाके से लड़वा दिया :-(
Deleteअंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
ReplyDelete#हिन्दी_ब्लॉगिंग
लो यह तो ऐन्टी क्लाइमैक्स है। हिन्दी ब्लाग दिवस पर अभिनन्दन।
ReplyDeleteशोषण का इतिहास हर जगह का है।
ReplyDeleteआज मुझे निहत्थे पेशेवर लडाके से लडना होगा
ReplyDeletegood answer.
Delete" Your second wife is more beautiful than your first wife who is the queen of kingdom " Slave said in the court while queen was sitting next to king.
ReplyDeleteThose days Roman queen too had rights equal to Roman king . :-)
प्रेरक प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
कविता जी, आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद पर मेरा जन्मदिन आज नहीं है।
ReplyDeleteयह लेख ज्ञान के साथ प्रेरणा भी देता है, अति उत्तम.
ReplyDeleteगुलाम ने एक अत्यंत बुद्धिमानी भरा वक्तव्य दिया होगा। उसने कहा होगा, "मैं निहत्थे शेर से लड़ूँगा।"
ReplyDeleteयह वक्तव्य राजा के सामने एक दुविधा उत्पन्न कर देता है। अगर राजा इसे सच मानता है, तो गुलाम को निहत्थे शेर से लड़ने भेजा जाएगा। लेकिन इस वक्तव्य के सच होने का मतलब यह होगा कि गुलाम को वास्तव में निहत्थे शेर से लड़ना चाहिए, जो उसने कहा था। वहीं, अगर राजा इसे झूठ मानता है, तो गुलाम को पेशेवर लड़ाके से लड़ने भेजा जाएगा। लेकिन यदि यह वक्तव्य झूठा है, तो गुलाम को निहत्थे पेशेवर लड़ाके से लड़ना होगा, जो कि अपने आप में विरोधाभासी है।
इस प्रकार, राजा इस स्थिति से निकलने का कोई तरीका नहीं पा सका और उसे गुलाम को छोड़ना पड़ा।
सही जवाब समझने के लिये, यहां देखें।
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