Friday, November 30, 2007

लिकिंग, क्या यह गलत है

आज चर्चा का विषय है, लिकिंग, क्या होती है, क्या यह यह गलत है, क्या आप किसी को लिंक करने से मना कर सकते हैं? इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity एवं Winamp में;
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में; और
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity में, सुन सकते हैं।

ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। इसकी पिछली कड़ी 'वेब क्या होता है' सुनने के लिये यहां चटका लगायें।

वेब तकनीक की खासियत है कि इसमें एक वेबसाइट दूसरे से जुड़ी रहती है। इसके द्वारा कोई भी प्रयोगकर्ता एक वेब-पन्ने से दूसरे वेब-पन्ने पर आसानी से जा सकता है। किसी भी वेबसाइट का पहला पन्ना, मुख्य पृष्ठ (Home page) कहलाता है। जब लिकिंग मुख्य पृष्ठ से की जाती है तो उसे केवल लिकिंग (Linking) कहा जाता है। अक्सर किसी भी वेबसाइट पर सूचनायें, मुख्य पृष्ठ के अन्दर, अलग वेब-पन्ने पर होती हैं। जब मुख्य पृष्ठ के अतिरिक्त, उसके किसी दूसरे पृष्ठ से लिंक दी जाती है तो उसे Deep Linking कहा जाता है।

वेब तकनीक का अर्थ है एक दूसरे से जुड़े रहना। इसलिये इसे, वेब (Web) या जाल कहा जाता है। यदि आप कोई सूचना, वेब पर प्रकाशित करते हैं तो इसका अर्थ है कि आपने हर किसी को इस बात का लाइसेंस दे दिया है कि वह आपकी सूचना से जुड़ सकता है। सच बात तो यह है कि यह फायदेमंद भी होता है। वेबसाइटों की आमदनी का मुख्य जरिया विज्ञापन है और विज्ञापन देने वाले इस बात का ध्यान रखते हैं कि उस वेबसाइट पर कितनी बार लोग आते है। जितनी ज्यादा लिंक होंगी, न केवल उस वेबसाइट पर उतने ही ज्यादा लोग आयेंगे पर सर्च इंजिन के लिये वह वेबसाइट उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण होगी। ज्यादा लिंक वाली वेबसाइट, सर्च करते समय ऊपर आयेगी।

लिंक करना, उसी तरह का संदर्भ है जैसे कि आप किसी पुस्तक या लेख को संदर्भित करते हैं। जिस तरह से इस तरह के संदर्भ को मना नहीं किया जा सकता, उसी तरह से किसी को वेब साइट से लिंक करने से भी मना नहीं किया जा सकता है। यदि आप लिंक नहीं देना चाहते हैं तो वेब पर लिखते ही क्यों हैं।

कुछ समय पहले कुछ चिट्ठाकार बन्धुवों ने दूसरे को अपने चिट्ठे की लिंक देने से मना कर दिया था। मेरी राय में यह गलत है - वे ऐसा नहीं कर सकते। यदि वे यही चाहते हों तो अपने चिट्ठे को सार्वजनिक न करें - केवल निमत्रंण के द्वारा ही रखें।

एक बार किसी ने टिम बरनस् ली (वेब के आविष्कारक) से उनके वेब-पन्ने को लिंक करने की अनुमति चाही। टिम का जवाब था,
'मैं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता क्योंकि मुझे यह मना करने का अधिकार नहीं है।'
मैं तो टिम की बात मानता हूं - कोई मेरे चिट्ठे की लिंक देना चाहे तो मुझे भी बिलकुल आपत्ति नहीं है, उसका स्वागत है :-)

लिंक देने से, कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं होता है पर यह बात शायद न केवल इमेज लिकिंग और फ्रेमिंग के लिये सच नहीं है - इसकी चर्चा आगे करेंगे।

अंतरजाल की मायानगरी में
टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।। लिकिंग, क्या यह गलत है।। चित्र जोड़ना - यह ठीक नहीं।। फ्रेमिंग भी ठीक नहीं।।

सांकेतिक चिन्ह
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9 comments:

  1. काम की चीज बताई आपने।

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया..यह तो बहुत काम की जानकारी है.

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  3. लिंक करने से मना करने वाले लोग उस महिला कि तरह हैं जो बाजार में निकल कर कहती है कोई उसे न देखे.

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  4. अच्छी जानकारी ,धन्यवाद !

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  5. मैं आपकी बात से सहमत हूँ | हम किसीको लिंक देने से मना नहीं कर सकते | हाँ, आपके ऊपर कोई जबरदस्ती नहीं कि आप किसी को लिंक करें |
    बसंत जी की बात से भी सहमत हूँ और उसे बुरका पहन कर निकलना चाहिए | :)

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  6. उपयोगी जानकारी. आपके विचार से मैं सहमत हूँ.

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  7. Anonymous11:54 pm

    Sir, I largely agree with your article. However there can be some cases where the situation may be different

    1. Deep Linking is wrong if it circumvents statutory notices, or advertisements, or something similar which causes monetary loss or may be legal issues.

    2. If links happen to be pointing to data that is infringing copyright or otherwise illegal, then also the linking is wrong.

    3. If author of site has clearly specified that ppl should not link to the site without prior permission, then also linking without such permission would be wrong. Why the author is doing this should be left to the authors judgement.
    (This point is hugely debatable and I dont really want to start a debate on this because it wont yield good results and things would be left in grey zone because such things are best dicussed with a specific case in hand. You are quite right in suggesting that an invite-only site would be more advisable in these cases. However I still think that even though it is technically very difficult to enforce, this right to selective linking ought to be there. Others can of course disgree with me and I have no problems with that.)

    Interestingly I completely disagree with Mr. Basant Arya's remark, but agree with the remark made by Ms Cuckoo in support of Mr. Arya's remark!!!
    However since it would go slightly off topic, so I am not commenting further on that.

    But it was quite interesting to read the article! Thanks.

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  8. Anonymous5:18 pm

    //यदि आप लिंक नहीं देना चाहते हैं तो वेब पर लिखते ही क्यों हैं। //
    मै ऐसा करती रही हूँ, क्यों कि आम तौर पर मै किसी ब्लॉगर का उल्लेख सिर्फ उनके व्यक्तित्व के तौर पर करती हूँ, न कि उनके लिखी किसी सामग्री के सन्दर्भ मे.क्या मै आगे भी आपके नाम का उल्लेख कर सकती हूँ या नही?

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  9. रचना जी, आपका और सभी चिट्ठाकार बन्धुवों का मेरा नाम लेने या लिंक देने का स्वागत है। मुझे इसके बारे में न कभी आपत्ति थी न हैः यह हो भी नहीं सकती।
    हां नाम लिखते समय लिंक भी दें तो अच्छा रहेगा। चिट्ठकार बन्धुवों से, इस बात का अनुरोध मैंने अपनी चिट्ठी मित्रता दिवस पर सैर सपाटा - विश्वसनीयता, उत्सुकता, और रोमांच में किया है।

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आपके विचारों का स्वागत है।