पहला भाग: पेटेंट
दूसरा भाग: पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम
तीसरा भाग: पेटेंट पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता
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तीसरा भाग: पेटेंट पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता
प्रकृति में पायी जाने वाली वस्तुओं के गुणों का पेटेंट नहीं कराया जा सकता है पर प्रकृति में प्राप्त वस्तुओं या इसके गुणों का प्रयोग कर यदि कोई नवीन उत्पाद बनाया जाय तो उसको पेटेंट कराया जा सकता है । एक सार्वजनिक प्रक्रिया या उत्पाद, अथवा परंपरागत जानकारी को पेटेंट नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह नवीन आविष्कार नहीं है। इनको दोहरा कर दूसरी प्रक्रिया या प्राप्त उत्पाद को भी पेटेंट नहीं कराया जा सकता है क्योंकि यहां भी यह नवीन आविष्कार नहीं कहे जा सकते हैं।
हमारे देश में रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा तैयार किये गये उत्पाद या खाद्य पदार्थ, या औषधि, पर पेटेंट नहीं दिया जा सकता था। इसका यह अर्थ नहीं होता है कि इस तरह के उत्पाद हमारे देश में होते नहीं थे, या उनका हमारे देश में प्रयोग नहीं किया जाता था। हमारे देश में केवल इनका पेटेंट नहीं होता था हालांकि बाहर के देशों में, इस तरह की कोई भी रोक नहीं थी तथा वहां इस तरह के उत्पाद का पेटेंट होता था। ट्रिप्स के अन्दर इस तरह की कोई रोक नहीं लगायी जा सकती है इसलिये अब इस तरह के पेटेंट अपने देश में भी दिये जाने लगे हैं।
हमने जैविक भिन्नता (Biological Diversity) अधिनियम २००२ बनाया हैं इसको बनाने के निम्न कारण हैं।
- जैविक भिन्नता का संरक्षण करना;
- जैविक भिन्नता के संघटकों का ठीक प्रकार से प्रयोग करना; और
- जैविक साधन की जानकारी के प्रयोग से प्राप्त होने वाले लाभ का उचित एवं न्यायपूर्ण बंटवारा होना।
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