टॉमी का जन्म अप्रैल १९९९ में हुआ था। वह हमारे पास जून १९९९ में आया। हम उसे दिल्ली के एक डॉग केनल से ले कर आये थे। उसने न केवल हमारे जीवन में खुशियां भरी पर उन बहुत से लोगों के जीवन में भी जो हमारे अपने हैं हमसे करीब हैं और बहुत से अजनबी लोगों के भी। उसके पिल्ले जो कि अब स्वयं बड़े हो गये हैं, उनके जीवन में खुशियां बिखेर रहें हैं।
मैंने अपने जीवन में बहुत से नस्ल के कुत्ते पाले हैं देसी, एलसेशियन, लेब्रॉडर, पॉम, डोबरमैन, बॉक्सर पर टॉमी गोल्डन रिट्रीवर था, उसकी बात ही अलग थी। वह इन सबसे अलग क्लास में था। शायद इसलिये गोल्डन रिट्रीवर न केवल दुनिया में सबसे लोकप्रिय पारिवारिक कुत्ते माने जाते हैं पर रजिस्ट्रेशन के मुताबिक हैं भी। मालुम नहीं, मेरे किस जीवन का दोस्त था जो इतने दिन बाद मिला।
मैं जब भी घर के अन्दर आता, वह हमेशा गेट पर पूंछ हिलाते और भौंकते ही मिलता था। लगता था कि वह दिन भर मेरे इंतजार में ही बैठा रहता था। शुभ्रा को हमेशा मुझसे जलन होती थी उसके आने पर पूंछ तो हिलाता था पर गेट पर पहुंच कर भौंकता नहीं था।
मैं कभी कभी शुभ्रा की कार लेकर भी बाहर जाता था पर वह न केवल कार की आवाज ही समझता था पर यह भी कि उसमें कौन है। यदि मैं उसमें हूं तो उसका बर्ताव वही होता था जो कि मेरी कार के लिये। शायद इसीलिये शुभ्रा को लगता था कि वह मेरे तीन प्रेमों में से एक था और इसीलिये क्रिकेट की नेटवेस्ट की सिरीस् जीतने के बाद वह भी हमारे साथ आइसक्रीम खाने गया था।
टॉमी का पहला काम था प्रतिदिन सुबह गेट से अखबार, पत्रिकायें लाना। वह पत्र, निमत्रंण कार्ड भी लाता था। अक्सर मैं डाकियों से कहता कि पत्र टॉमी को दे दें। वे उसे आश्चर्य से देखते फिर और भी आश्चर्य में डूबते जब वह चिट्ठी मुझे ला कर देता। हां उसे इसके लिये हमेशा एक बिस्किट मिलता।
मुझे याद है कि कुछ साल पहले हमारे कस्बे में लिओनिडस् उल्कापात (leonids meteor shower) सबसे अधिक था। हम रात को ढाई बजे नदी के किनारे इसे देखने गये थे। टॉमी भी हमारे साथ था। उसे साथ रखने में, मुझे विश्वास रहता था कि वह मुझे कुछ भी गड़बड़ी से बचा लेगा।
पिछले कुछ सालों को छोड़ कर, कस्बे में हुऐ सारे डॉग शो में, उसने भाग लिया। वह शो राष्ट्रीय स्तर का, या राज्य स्तर का, या फिर जिले स्तर का, उसे प्रत्येक में कोई न कोई पुरुस्कार मिला।
डॉग शो में, वह बच्चों के बीच वह सबसे लोकप्रिय होता था। बच्चे अक्सर मुझसे पूछते कि क्या वे उसे छू सकते हैं। मेरे जवाब होता कि न केवल वे उसे छू सकते हैं पर चूम भी सकते हैं। शायद ही कोई बच्चा होगा जिसने इसके गले में हाथ डाल कर इसे प्यार न किया हो। वे हमेशा मुझसे कहते,
'अंकल, क्या आप मुझे इसका पप दे सकते हैं।'मेरा जवाब होता जरूर पर पहले तुम्हारी मां को उसके सेवा करने की जिम्मेवारी लेनी होगी। बहुत कम मांएं यह काम अपने हाथ में लेने के तैयार होती।
कुछ लोग, कुत्तों की मेटिंग पसन्द नहीं करते हैं। वे इसके लिये मना करते हैं। मुझे यह ठीक नहीं लगता। मेरे विचार से यह प्राकृतिक है। इसकी अनुमति देनी चाही।
टॉमी के पास, न केवल मेरे कस्बे से, पर दूर दूर की जगहों से लोग मेटिंग के लिये कुत्तियां ले कर आते थे। आप चाहें तो इसके लिये पैसा ले लें या फिर अपनी पसन्द का पिल्ला। हमें पैसे की जरूरत नहीं। ईश्वर ने हमें बहुत दिया। हमने हमेशा पप ही लिया। उसे, उन्हें उपहार में दिया जो हमारे दिल के पास हैं। इसी तरह से टॉमी उनके जीवन में वह खुशियां दे पाया जिसकी उन्हें आशा भी न थी।
टॉमी को गेंद लाना पसन्द था। आप गेंद फेंकते फेंकते थक जायेंगे पर वह गेंद लाते नहीं। कुछ साल पहले मुन्ना अमेरिका से उसके लिये एक गेंद फेंकने वाला लाया। इसमें गेंद को हाथ से छूना नहीं पड़ता गेंद उसमें फंसायी जा सकती है और आसानी से फेंकी जा सकती है। जब से वह आया तब से कुछ राहत आयी।
जिन कुत्तों के पूंछ में बाल होते हैं उनका पिछला भाग बहुत साफ नहीं रह पाता है। उसे खास तरह से साफ करना होता है क्योंकि बाल के कारण कुछ गन्दगी फंसी रह जाती है जिससे बिमारी हो जाती है। हम यह सफाई करते थे पर शायद ठीक प्रकार से नहीं। शायद यही कारण था कि उसके पिछले भाग में एक ट्यूमर हो गया था। हमने उसका ऑपरेशन करवाया था पर यह कुछ मुश्किल करता था। लेकिन वह ठीक था।
टॉमी की हालत बिगड़ रही थी। वह उठ नहीं पाता था, इसलिये गन्दा भी हो गया और बदबू भी करता था। मैंने कल शाम को उसे पाउडर लगाया, ब्रश किया। वह महकने लगा, जंच रहा था, बिलकुल हीरो की तरह।
मैंने उसे, शाम को ही बाहर लॉन में लिटा दिया। रात को अन्दर किया। उस समय वह जीवित था। कुछ देर बाद, मैं उसे दूध पिलाने के लिये गया। उसके मुंह के चारो तरफ खून था। वह वहां चला गया था जहां से कोई वापस नहीं आता।
मैंने उसे पुनः साफ किया। रात में ही, हम ने उसे, घर में सामने की ओर, लॉन के बगल में, चूने और नमक के साथ गाड़ दिया। उसकी आखें फाटक और घर की तरफ - हमारी चौकीदारी करते हुऐ। वह हमेशा इसी तरह से बैठता था - एक नजर मुझ पर दूसरी नजर बाकी सारी जगह पर - कहीं कोई मुझ पर हमला न कर दे। मैं जब घर में होता, वह मेरा पीछा, साये की तरह करता।
कितनी यादें हैं कितने सुनहरे पल हैं, कितनी खुशियां है। मेरे लिये सब लिखना संभव नहीं।
हे ईश्वर, तुम्हें धन्यवाद कि तुमने मुझे ऐसा उपहार दिया।
अलविदा मेरे मित्र, मित्रता दिवस पर तुम्हें सलाम। तुम हमेशा मेरे जहन में, मेरी यादों में रहोगे। मेरे साथ इतने सुनहरे पल बिताने का शुक्रिया।
पुनः हमने टॉमी की याद में, उसकी कब्र के दो तरफ, बेला और काजू का पेड़ लगाया है ताकि आने वाले समय में, उसकी महक और याद, हमेशा रहे।
ऊनमुक्त जी, कुत्ते हमारे परिवार का भी अभिन्न अंग रहे हैं अत: आपके दुख को समझ सकती हूँ। टॉमी से मिलवाने के लिए आभार। मनुष्य के लिए स्व्रर्ग हो या न हो, कुत्तों का स्वर्ग अवश्य ही होता होगा। टॉमी वहाँ खुश रहे।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
इतने मार्मिक और स्मरणीय प्रसंग को हमारे साथ साझा करने के लिए आपका धन्यवाद.
ReplyDeleteआपके प्रिय टॉमी...से जुडी यादों ने तो hamein भी bhaavuk कर दिया
ReplyDeleteमित्रता दिवस पर ऐसे साथी का चला जाना बहुत अखरा होगा। लेकिन यह उस की नियति थी और आप की भी।
ReplyDeleteओह, बेहद दुखद :-(
ReplyDeleteआपने मुझे मेरे 'जॉनी' की याद दिला दी।
आपकी पोस्ट पढ़ते लग रहा था कि आप मेरी 'डेज़ी' की बातें लिख रहे हैं
बहुत मार्मिक प्रसंग है....कुत्तो के प्रति प्रेम होने का मूल कारण उस की वफादारी और उस की बच्चों जैसी चुहलबाजी मन को मोहती रहती है।वह जानवर होते हुए भी घर का सदस्य बन जाता है।ऐसे मे उस की मौत सचमुच आँखें नम कर जाती है।आज फिर अपने कुत्ते की याद हमें भी आ गई।
ReplyDeleteRest in Peace!
ReplyDeleteपापा
ReplyDeleteआशा है कि आप बेहतर महसूस कर रहे होंगे। यह दुखद है क्योंकि मुन्ना ने मुझे कल ही बताया था कि वह अच्छा हो रहा है।
आप उसके साथ गुजारे अच्छे पल याद करिये शायद यही पल दुख भी देते हैं।
परी
पापा,
ReplyDeleteमैंने तुम्हारी भावुक चिट्ठी पढ़ी।
मुझे याद है कि उसे सीढ़ी चढ़ने में डर लगता था। हमें हाथ नीचे रख चार पैर की तरह कर उसे चढ़ कर दिखाना पड़ा था कि कैसे चढ़ा जाय।
वह अक्सर सोने के लिये, बिस्तर पर, मेरे साथ आ जाता था हांलाकि परी को यह बिलकुल अच्छा नहीं लगता था।
दूसरा कोई कुत्ता उस जैसा नहीं होगा।
आशा है कि तुम अब ठीक महसूस कर रहे होगे।
मुन्ना
ओह ! देर से पता चला -मेरी भाव विह्वल ,शोक संतप्त भावनाए पूरे परिवार के साथ हैं ! निसंदेह टामी कुदरत की एक उत्कृष्ट कृति था -मेरी कुतिया तो डाक वाले ,.अखबार वाले ,दूधवाले के लिए कभी भी सहिष्णु नहीं हो पायी है ! आप सभी इस दुःख को सह पायें यही अभिलाषा है !
ReplyDeleteतुम्हारी चिट्ठी मिली। मुझे उसके पहले बेटे की याद आयी जो हमारे पास था। इन दोनो को हम कभी नहीं भूल पायेंगे।
ReplyDeleteपढ़ते पढ़ते मन दुख से भर गया.... आपका दुख समझा जा सकता है... मैं संवेदना व्यक्त करता हूँ..
ReplyDeletemere paas bhi ek pyara animal hai jise hum na to kutta kah sakte hai na hi dog uska pyara naam hai rockey jise hum pyar se rockey rock star kahte hai
ReplyDeleteaapne to rula diya...mujhe mere bachpan me pale ek kuttekee yaad aa gayee..!
ReplyDeletemujhe kabhi bhi kutte pasand nahi rahe! magar mai bhi aape Tomi ke bare me padhkar imotional ho gayin. mujhe uske jane ka bahut dukh hai.. achhi cheeze aur achhe log jald chale jate hain.
ReplyDeleteKoi bhi paltu pashu ghar ke sadasya ke saman ho jata hai.Aise me uska chala jana kaphi pidadayi hota hai.
ReplyDeletetumne to yaar rula he diya hame mujhe bhi mare dosto ke yaad aa gai
ReplyDeleteउन्मुक्त जी श्वान प्रेम पर आपकी यह। मगर एक उत्कृष्ट बल्कि कालजयी पोस्ट है। मुझे डेजी की याद आ गई, रुला गई। आपने कितना सार्थक और सम्पूर्णता लिये जीवन जिया है। संस्मरण समृद्ध!
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