विश्व क्रिकेट कप २०११ का सबसे विवादास्पद निर्णय, भारत-पाकिस्तान सेमी फाइनल में, सचिन तेंदूलकर का एलबीडब्लू न दिया जाना था। इस चिट्ठी में, इसी की चर्चा है।
२०११ का भारत-पाकिस्तान का सेमी फाइनल मुकाबला खेल जगत के इतिहास में सबसे अधिक लोगों के द्वारा देखा मैच था। हमने पाकिस्तान के साथ तीन लड़ाई लड़ी है। लेकिन इस मैच में तनाव उन तीनो युद्ध के तनाव से कम नहीं था।
यह मैच हमने २७ रनों से जीत लिया। लोगों का कहना है कि इसमें पाकिस्तान के खिलाड़ियों का योगदान रहा क्योंकि, उन्होंने सचिन के तीन कैच छोड़ दिये थे। इस कारण उन्होंने ८५ रनों की पाली खेली।
वास्तव में, हमें सबसे पहले अम्पायर डिसिशन रिव्यू सिस्टम (यूडीआरएस) में समाहित, विज्ञान की नयी बॉल ट्रैकर तकनीक का शुक्रगुज़ार होना चाहिए। जिसके कारण सचिन इतने रन बना सके। नहीं तो वे तो बहुत पहले ही आउट घोषित कर दिये गये थे।
भारत ने पहले बैटिंग करना शुरू किया। जब भारत के ७५ रन थे और सचिन का व्यक्तिगत स्कोर २३, तब मैदानी अम्पायर ने उन्हें, सईद अजमल की गेंद पर, एलबीडब्लू घोषित कर दिया।
सचिन ने गौतम गम्भीर से बात की और इस निर्णय को तीसरे अम्पायर के पास भेजने के लिए कहा। तीसरे अम्पायर ने, बॉल ट्रैकर तकनीक के साथ, उस समय का टीवी प्रसारण देख कर, मैदानी अम्पायर के निर्णय को बदल दिया। उसके मुताबिक, यदि गेंद सचिन के पैड पर न लगती, तो वह विकेट पर न लग कर बगल से निकल जाती।
यदि विश्व कप में यूडीआरएस लागू न होती या इसमें बॉल ट्रैकर तकनीक समाहित न होती तब सचिन २३ रन पर आउट थे। हम २६० बनाने की जगह, १९८ पर ही ढ़ेर और मैच पाकिस्तान की झोली में।
उस क्षण का प्रसारण और तीसरे अम्पायर का निर्णय।
इस विडियो का शीर्षक, इस निर्णय से अन्तरजाल पर उठे विवाद और तनाव का द्योतक है
इस विडियो का शीर्षक, इस निर्णय से अन्तरजाल पर उठे विवाद और तनाव का द्योतक है
ऊपर के विडियो में एकदम लगता है कि गेंद विकेट पर जा रही थी और मैदानी अम्पायर का निर्णय सही था। लेकिन फिर यूडीआरएस में यह क्यों आ गया कि गेंद विकेट पर नहीं लगती।
- क्या यूडीआरएस में कुछ गलती थी, या;
- यह निर्णय गलत था, या;
- तीसरा अम्पायर भारत से मिला था, या;
- फिर मैच फिक्सड था?
क्रिकेट, बॉल ट्रकर, और अम्पायर डिसिशन रिव्यू सिस्टम
विश्व कप सेमी-फाइनल में भारत ने बेईमानी की?।। बॉल ट्रैकर, गेंद का संभावित प्रक्षेप पथ बताता है।। अंतरजाल पर तनाव इतना बढ़ा कि स्पष्टीकरण देना पड़ा।।
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बाल ट्रैकर टेक्नीक के बारे में जानकारी की जिज्ञासा है !
ReplyDeleteजिज्ञासा बढ़ाती पोस्ट।
ReplyDeleteagr ye hota to vo hota , aap kuchh esa hi kah rhe hain UDRS kee prnali pahle se nirdhaarit thee . iske nuksaan aur faayde dono the aur sbhi timon ne ise bhugta , at: aapki soch se km-se-km main to sahmat nhi ,auron ka pta nhin
ReplyDeleteपोस्ट अच्छी लगी
ReplyDeleteजिज्ञासा बढ़ाती पोस्ट।
ReplyDeleteआप ऐसा नही कह सकते कि
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यदि विश्व कप में यूडीआरएस लागू न होती या इसमें बॉल ट्रैकर तकनीक समाहित न होती तब सचिन २३ रन पर आउट थे। हम २६० बनाने की जगह, १९८ पर ही ढ़ेर और मैच पाकिस्तान की झोली में।
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क्योंकि सचिन के आउट होने पर बाकी सब वैसा ही होता जैसा हुआ, हो सकता है भारतीय टीम किसी और खिलाड़ी के उन ओवर्स मे अच्छे खेल से ३०० रन बना लेती, या पूरी टीम १००-१५० के अंदर ही सिमट जाती।